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जानें 12 मई को क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस - फ्लोरेंस नाइटिंगेल

अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस हर साल 12 मई को मनाया जाता है. इस दिन 1820 में फ्लोरेंस नाइटिंगेल - शायद दुनिया की सबसे प्रसिद्ध नर्स - पैदा हुई थीं. फ्लोरेंस नाइटिंगेल एक अंग्रेजी समाज सुधारक, सांख्यिकीविद और आधुनिक नर्सिंग के संस्थापक थीं.

International Nurses Day
International Nurses Day

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Published : May 12, 2021, 5:00 AM IST

हैदराबाद : हर साल 12 मई को फ्लोरेंस नाइटिंगेल की जयंती को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के रूप में मनाया जाता है. अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस हर साल 12 मई को मनाया जाता है. इस दिन 1820 में, फ्लोरेंस नाइटिंगेल - शायद दुनिया की सबसे प्रसिद्ध नर्स - पैदा हुई थीं. फ्लोरेंस नाइटिंगेल एक अंग्रेजी समाज सुधारक, सांख्यिकीविद और आधुनिक नर्सिंग के संस्थापक थीं.

क्रीमियन युद्ध के दौरान नर्सों के प्रबंधक और प्रशिक्षक के रूप में सेवा करते हुए वह काफी प्रसिद्ध हो गईं. नाइटिंगेल और 34 स्वयंसेवकों की नर्सों की सेवा के चलते क्रीमियन युद्ध में घायल हुए सैनिकों की मृत्यु दर में उल्लेखनीय गिरावट आई थी.

नर्सिंग पेशे फ्लोरेंस नाइटिंगेल के लिए उनके योगदान का अधिकांश समय घायलों की देखभाल और सेवा करने में व्यतीत होता.वह नर्सों के लिए औपचारिक प्रशिक्षण स्थापित करने वाली पहली महिला थीं. पहला नर्सिंग स्कूल-नाइटिंगेल स्कूल ऑफ नर्सिंग का उद्घाटन 1860 में लंदन में हुआ.

साथ ही दाइयों के प्रशिक्षण के लिए स्कूल स्थापित करने के पीछे फ्लोरेंस नाइटिंगेल एक प्रमुख व्यक्ति थीं. वह पहली महिला थीं, जिन्हें ऑर्डर ऑफ मेरिट 1907 से सम्मानित किया गया था.

2021 में हम यह दिखाना चाहते हैं कि नर्सिंग भविष्य में कैसे दिखेगी और साथ ही साथ कैसे पेशा स्वास्थ्य सेवा के अगले चरण को बदल देगा.

अंतरराष्ट्रीयनर्स दिवस का महत्व

कोविड-19 महामारी से लड़ने में नर्सें सबसे आगे हैं. डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की तरह, नर्स लगातार बिना ब्रेक के काम कर रही हैं. नर्स अक्सर एकमात्र स्वास्थ्य पेशेवर होते हैं, जिन्हें लोग संकट की स्थिति में अपने साथ पाते हैं.

नर्सों की कमी

डब्ल्यूएचओ के अनुसार दुनिया के सभी स्वास्थ्य कर्मचारियों में आधे से अधिक नर्सों की संख्या है, फिर भी दुनिया भर नर्सों की कमी है और में 5.9 मिलियन से अधिक नर्सों की अभी भी जरूरत है, खासकर कम और मध्यम आय वाले देशों में.

भारत की स्थिति

भारत में भी प्रशिक्षित नर्सों की कमी डब्लयूएचओ में मानदंडों के अनुसार भारत में जनसंख्या के मुकाबले नर्सों की काफी कमी है.

कोविड-19 के दौरान फ्रंटलाइन वर्कर

नर्स अस्पतालों और क्लीनिकों की रीढ़ की हड्डी हैं, जो अपनी जान जोखिम में डालकर महीनों तक कोविड-19 के लाखों मरीजों की देखभाल कर रही हैं. अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस उनके लिए हमारी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करने का एक शानदार अवसर है.

आईसीएन (इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्स) के अनुसार, 31 दिसंबर 2020 तक, कोविड-19 द्वारा 34 देशों में 1.6 मिलियन से अधिक स्वास्थ्य कर्मियों को संक्रमित किया गया है.

फरवरी 2021 में सरकार ने घोषणा की कि 107 नर्सों ने अब तक कोविड19 वायरस के कारण दम तोड़ दिया है.

भारत में कोरोना की पहली लहर को नियंत्रित करने में नर्सों की भूमिका

डब्ल्यूएचओ ने 2020 में स्वीकार किया था कि नर्सों और दाइयों सहित भारत के स्वास्थ्य कर्मचारियों की मेहनत और निस्वार्थ सेवा के कारण ही देश में देश में कोरोना मरीजों की रिकवरी इतनी तादाद में संभव हो सकी.

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