इंटरनेशनल माउंटेन डे : जानें क्या है थीम और इसका महत्व - इंटरनेशनल माउंटेन डे
पहाड़ प्राकृतिक रत्न हैं, जिन्हें हमें संजोकर रखना चाहिए. इनकी गोद में दुनिया की 15 फीसदी आबादी रहती है. रोजमर्रा की जिंदगी के लिए ताजा पानी का मुख्य श्रोत पहाड़ों से निकलने वाले जल श्रोत हैं. भोजन-दवाई सहित कई महत्वपूर्ण पदार्थों के लिए इंसान को इन पहाड़ों पर निर्भर रहना पड़ता है. पढ़ें पूरी खबर...International Mountain Day, International Mountain Day history, UN International Year of Mountains, Restoring Mountain Ecosystems.
हैदराबाद : संयुक्त राष्ट्र की ओर से साल 1992 में पर्यावरण और विकास पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था. इस दौरान सतत पर्वतीय विकास : नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र का प्रबंधन को संयुक्त राष्ट्र में अपनाया गया. पर्वतों के महत्व को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने 2022 को अंतरराष्ट्रीय पर्वत वर्ष (UN International Year of Mountains) घोषित किया गया. वहीं 11 दिसंबर को इंटरनेशनल माउंटेन डे (International Mountain Day) मनाया गया. 11 दिसंबर 2023 को पहली बार अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस मनाया गया.
अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस 2023 का थीम 'पर्वत पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करना' (Restoring Mountain Ecosystems) तय किया गया है. संयुक्त राष्ट्र की ओर से 2021-2030 को पारिस्थितिकी तंत्र बहाली दशक के रूप में घोषित किया गया है. खाद्य एवं कृषि संगठन व संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की सपोर्ट किया जा रहा है. इसका उद्देश्य पारिस्थतिकी तंत्र की सुरक्ष के लिए राजनीतिक समर्थन जुटाना, वैज्ञानिक अनुसंधान और वित्तीय संसाधन बढ़ाने के लिए नीति निर्माताओं को प्रेरित करना है.
पर्वतों के बारे में तथ्य
पर्वत पृथ्वी की लगभग 27 फीसदी भूमि को कवर करते हैं. जैव विविधता के हिसाब से बात करें तो यह दुनिया के लगभग आधे हिस्से की मेजबानी करते हैं.
दुनिया के जल टावरों के रूप में पर्वत अनुमानित आधी मानवता को मीठे पानी की आपूर्ति करते हैं.
पहाड़ पेड़-पौधों, जानवरों की एक असाधारण श्रृंखला का सांस्कृतिक रूप से घर है. यह विभिन्न भाषाओं और परंपराओं वाले विविध समुदाय का मूल आवास है.
पर्वत जलवायु, मिट्टी संरक्षण, जीवों के जीवन और आजिविका की कुंजी है.
पर्वत जल चक्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
पहाड़ों में बर्फ का जमाव रहता है. पिघलने तक पहाड़ों में जमा रहता है. पिघलने के बाद विभिन्न जल श्रोतों के माध्यम से घरों, खेती, उद्योगों के लिए उपयोग किया जाता है.
अर्ध-शुष्क (Semi Arid Regions) और शुष्क क्षेत्रों (Arid Regions) में लगभग 90 फीसदी पानी नदी और पहाड़ों से आती है।
पहाड़ों से आने वाला पानी जलविद्युत ऊर्जा का बड़ा स्रोत है.
दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत माउंट एवरेस्ट है, समुद्र तल से जिसकी ऊंचाई 8848 मीटर है.
विश्व की सबसे लंबी पर्वत श्रृंखला दक्षिण अमेरिका स्थित एंडीज है, जो 7000 किलोमीटर तक फैली हुई है.
पर्वत पर्यावरण और मौसम पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं, क्योंकि वे एक के रूप में कार्य कर सकते हैं
हवाओं और तूफानों के लिए बाधा, साथ ही साथ अपने स्वयं के माइक्रॉक्लाइमेट बनाते हैं.
पहाड़ की श्रृंखलाओं में विभिन्न प्रकार की अनोखी प्रजातियों और पौधों का मुख्य श्रोत हैं, जो केवल ऊंचे स्थानों पर ही पाए जा सकते हैं.
सबसे गहरी पर्वत श्रृंखला मारियानास ट्रेंच है.
संयुक्त राज्य अमेरिका का सबसे ऊंचा पर्वत माउंट मैककिनले जो अलास्का में स्थित है.
भारत के पहाड़ कंचनजंगा आंशिक रूप से भारत और नेपाल में स्थित है. यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा पर्वत है. दार्जिलिंग में अपने मनमोहक दृश्यों के लिए जाना जाता है. यह कई कई प्रकार के प्राकृतिक पदार्थों का खजाना माना जाता है. नंदा देवी भारत की दूसरी और दुनिया की 23वीं सबसे ऊंची चोटी है. नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व देश के उत्तरी भाग में हिमालय पर्वत में स्थित है. दुर्गमता के कारण नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान कमोबेश बरकरार है. कामेट देश की तीसरी सबसे ऊंची चोटी है. यह सुदूर भौगोलिक क्षेत्र सैंटोरो में भी स्थित है. कांगड़ी देश की चौथी सबसे ऊंची चोटी है जो सियाचिन ग्लेशियर के पास स्थित है. यह दुनिया की 31वीं सबसे ऊंची चोटी है. लद्दाख में स्थित सासेर कांगड़ी भारत में पांचवें और दुनिया में 35वें स्थान पर आती है.