नई दिल्ली : अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस तो लगभग दुनिया के सारे देशों में मनाया जाता है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस (International Men's Day 2022) के मनाने की परंपरा कई सालों की कोशिश के बाद 1999 में शुरू हो सकी. इसकी पहली पहल त्रिनिदाद एवं टोबागो में हुयी. तभी से हर साल 19 नवम्बर को “अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस” दुनिया के लगभग तीन दर्जन देशों में मनाया जाता है. अब तो संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी इसे मान्यता दे दी है. हर साल इसके लिए थीम जारी जारी होती है और सालभर उससे संबंधित कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसकी आवश्यकता को बल देते हुए अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस को मनाने पर जोर दे रहा है.
अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस हर साल 19 नवंबर को मनाने के पीछे मुख्य उद्देश्य यह है कि इससे जेंडर के बीच संबंधों में उत्तरोत्तर सुधार करते हुए पुरुष रोल मॉडल को लोगों के सामने पेश करना ताकि पुरुषत्व की सकारात्मक अभिव्यक्ति को बढ़ावा मिल सके. पुरुष परिवार, समाज और राष्ट्र का ऐसा स्तम्भ है, जिसके बिना सब कुछ अधूरा है. इसके संबल से बहुत सारी चीजें आसान हो जाती हैं.
अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस लड़कों और पुरुषों, संघ, समाज, समुदाय, राष्ट्र, परिवार, विवाह और चाइल्ड केअर में उनके योगदान को पहचानने सम्मान देने में मदद करता है. इसका उद्देश्य पुरुषों से जुड़े मुद्दों के बारे में बुनियादी जागरूकता को पैदा करने के साथ साथ उनके लिए कार्य करना है.
हैदराबाद की उमा चल्ला ने की पहल
हमारे देश में अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस पहली बार 2007 में मनाया गया. कोशिश की गयी कि हर साल 19 नवंबर को पुरुषों की घर, परिवार, समाज व देश में महत्ता को समझने व समझाने के साथ साथ सबको मजबूत व एकजुट रखने में इनके योगदान व महत्व पर व्यापक चर्चा हो. ताकि पुरुषों के प्रति नकारात्मकता को कम किया जा सके और उनके त्याग व समर्पण को याद किया जा सके. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जाता है कि भारत में अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाने की शुरुआत होते होते काफी साल लग गए और साल 2007 में हैदराबाद की लेखिका उमा चल्ला ने इसको शुरू किया. आपको सुनने में आश्चर्य लगेगा, पर इंटरनेशनल मेन्स डे की शुरुआत ही महिलाओं ने की थी.