हैदराबाद : कोविड-19 ने दुनिया भर को महामारी के कारण पैदा हो सकने वाली भयावह परिस्थितियों से रूबरू करवाया है. कोविड़ 19 का प्रभाव पूरी दुनिया ने बेहद गंभीर स्वरूप में महसूस किया. लेकिन इस घटना ने संगठनों व लोगों को भविष्य में किसी भी प्रकार की महामारी या चिकित्सीय आपदा से बचने के लिए पहले से ही तैयारी करने के लिए प्रेरित भी किया है.
कोविड़ 19 की शुरुआत से ही दुनिया के कई हिस्सों में इस महामारी के अलग-अलग वेरिएन्ट लोगों को कभी कम तो कभी ज्यादा परेशान करते आए हैं. यही नहीं इसके अलावा भी कई चिकित्सीय आपदाओं व महामारियों का प्रभाव दुनिया के अलग अलग हिस्सों में रहने वाले लोग हमेशा से झेलते आए हैं. सिर्फ कोविड़ ही नहीं बल्कि किसी भी प्रकार की महामारी या संक्रामक रोगों के प्रकोप को रोकने, उनके निवारण के लिए हर संभव प्रयास करने तथा इसके लिए रिसर्च व संबंधी प्रणालियों में निवेश के लिए भी लोगों को प्रेरित करने के उद्देश्य से हर साल 27 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय महामारी तैयारी दिवस मनाया जाता है.
जरूरत और उद्देश्य
सभी जानते हैं कि महामारियों का मानव जीवन पर विनाशकारी प्रभाव पड़ता है, जो सिर्फ महामारी काल के दौरान ही नहीं बल्कि लंबे समय तक अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय तथा व्यक्तिगत स्तर पर लोगों के सामाजिक और आर्थिक विकास को प्रभावित करता है. खासतौर पर उनका प्रभाव गरीब और कमजोर देशों के नागरिकों व उनकी अर्थव्यवस्थाओं पर ज्यादा पड़ता है. ऐसे में भविष्य में महामारी की तीव्रता और गंभीरता को रोकने के लिए प्रभावी उपायों को लेकर जागरूकता बढ़ाने, उनसे जुड़ी सूचनाओं के आदान-प्रदान, महामारी के इलाज व उससे बचाव के लिए रिसर्च व शोध को बढ़ावा देने की जरूरत बहुत ज्यादा बढ़ जाती है.
अंतरराष्ट्रीय महामारी तैयारी दिवस का मुख्य उद्देश्य सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज को आगे बढ़ाने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों को मजबूत बनाने के लिए प्रयास करने तथा आपातकालीन परिस्थिति के लिए महामारी तैयारी प्रणाली तैयार करने के लिए सरकारी व गैर सरकारी संगठनों को प्रेरित करना है.