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International Day of the Girl Child 2023 : बेटियों के लिए क्यों खास है आज का दिन, जानें

आज अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस (International Day Of the Girl Child) है. इस दिवस को मनाने की पहल संयुक्त राष्ट्र ने की थी. आइये जानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का इतिहास क्या है और इसे मनाने के लिए साल 2023 का थीम (International Day of the Girl Child Theme ) क्या है. पढ़ें पूरी खबर..

International Day Of the Girl Child
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 11, 2023, 12:02 AM IST

Updated : Oct 12, 2023, 1:32 PM IST

हैदराबाद : मानव सभ्यता के विकास से अब तक लड़कियां/ महिलाएं समानता के अधिकार के लिए लड़ रही हैं. आज भी उन्हें बराबरी का हक नहीं मिल पाया है. महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने, उन्हें गरीबी, अशिक्षा सहित अन्य समस्याओं से बाहर निकालने के उद्देश्य से 11 अक्टूबर 2012 से हर साल अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जा रहा है.

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का इतिहास
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लंबे समय से महिलाओं व लड़कियों के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्थाएं इस दिशा में लगातार प्रयास कर रही हैं. इसी कड़ी में पहली बार 1995 में बीजिंग महिलाओं पर विश्व सम्मेलन (Conference on Women in Beijing ) का आयोजन किया गया था. इस दस्तावेज को बीजिंग घोषणा पत्र भी कहा जाता है. इस दौरान महिलाओं के लिए बराबरी, सुरक्षा सहित कई अन्य मुद्दों पर सहमति बनी.

19 दिसंबर 2011 को संयुक्त राष्ट्र महासभा की ओर से लड़कियों के अधिकारों को मान्यता देने के उद्देश्य से 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में घोषित किया गया. इसके बाद से हर साल 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने की परंपरा शुरू हुई.

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस 2023 थीम
हर साल अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के लिए अलग-अलग थीम निर्धारित किया जाता है. 2023 का थीम 'लड़कियों के अधिकारों में निवेश करें: हमारा नेतृत्व, हमारा कल्याण' (Invest In Girls Right : Our Leadership, Our Well-being) निर्धारित किया गया है.

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का उद्देश्य

  • अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का मुख्य उद्देश्य लड़कियों के सामने आने वाली चुनौतियों की पहचान कर उनके समाधान के लिए वैश्विक स्तर पर नीति-निर्माताओं को उसे हल करने के लिए प्रोत्साहित करना.
  • लड़कियों का सशक्तिकरण करना और उनके मानवाधिकारों के हनन को रोकने के लिए सभी राष्ट्रों को प्रोत्साहित करना.
  • लड़कियों के लिए सुरक्षित समाज का निर्माण करना, उन्हें शिक्षित करना और स्वस्थ जीवन का अधिकार मुहैया कराना.
  • लड़कियों के लिए अधिक न्यायसंगत व समृद्ध भविष्य की योजनाओं पर काम करना.
  • राजनीति, आर्थिक विकास, सामाजिक विकास, बीमारी की रोकथाम जलवायु परिवर्तन सहित अन्य सभी क्षेत्रों में बराबरी के अवसर के लिए पहल करना.

आंकड़ों में भारतीय महिलाएं

  • आजादी के बाद 1951 में भारत में लिंगानुपात (प्रति एकहजार में लड़कियों/महिलाओं की संख्या) 946 था.
  • 2011 में भारत में लिंगानुपात 944 रहा. 2036 तक लिंगानुपात 952 होने का अनुमान है.
  • 2011 की जनगणना के डेटा के अनुसार भारत में महिलाओं की आबादी 48.5 फीसदी है.
  • 2036 तक महिलाओं की आबादी 48.8 फीसदी होने का अनुमान है.
  • 30 जनवरी 2006 को महिला और बाल विकास मंत्रालय अस्तित्व में आया.
  • NHFS-5 (2019-21) के रिपोर्ट के अनुसार भारत में कई छोटे राज्यों का लिंगानुपात बेहतर है. प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या लद्दाख में 1125 है. लक्षद्वीप में यह संख्या 1051, त्रिपुरा में 1028, मेघालय में 989 और उतराखंड में 948 है.
  • वहीं कई राज्यों में लिंगानुपात काफी नीचे के स्तर पर है. सबसे खराब स्थिति दादरा और नगर हवेली व दमन और दीव की है. यहां प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या महज 817 है. वहीं चंढ़ीगढ़ और गोओ में 838, हिमाचल में 875 है, वहीं राजस्थान में 891 है.

आंकड़ों में महिलाओं की स्थिति

  • यूनेस्को के डेटा के अनुसार वैश्विक पैमाने पर 2015 की तुलना में आज 50 मिलियन अधिक बच्चे स्कूल में हैं.
  • कई प्रकार की योजनाओं के बाद अभी 122 मिलियन लड़कियां स्कूल नहीं जा रही हैं.
  • गरीबी की समस्या, बाल विवाह, कम उम्र में मां बनना, बालश्रम या घरेलू श्रम के कारण लड़कियां अपने अधिकारों को हासिल नहीं कर पा रही हैं.
  • संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार 5 में से 1 लड़की दुनिया में मीडिल तक की शिक्षा नहीं पूरी कर पाती हैं.
  • 10 में से 4 लड़कियां 12 वीं तक की पढ़ाई पूरी नहीं कर पा रही हैं.
  • कम आय से जुड़े देशों में 90 फीसदी के करीब किशोरियां और युवतियां इंटरनेट की सुविधा नहीं पा रही हैं. वहीं इस आयुवर्ग में लड़कों के पास इंटरनेट की संभावना दोगुनी है.
  • किशोरावस्था में एचआईवी संक्रमण के 4 मामलों में 3 की शिकार किशोर लड़कियां होती हैं.

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Last Updated : Oct 12, 2023, 1:32 PM IST

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