दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

दुनिया भर में मनाया जा रहा अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस, जानें क्यों है खास

लंबे समय से उपेक्षित अन्याय, शिक्षा तक असमान पहुंच, पर्यावरणीय क्षरण से लेकर नस्लीय भेदभाव और महिलाओं के खिलाफ हिंसा ये असमानताएं लोकतंत्र के लिए खतरा हैं. सार्वजनिक अधिकारियों पर विश्वास न होना, अवसरों की कमी, आर्थिक अशांति सामाजिक अशांति को बढ़ा रही है. ऐसे में सरकारों को बदलाव की मांग करने वाले लोगों की बात सुननी चाहिए और बातचीत के लिए नए चैनल खोलने और शांतिपूर्ण विधानसभा संचालन को बढ़ावा देना चाहिए.

Democracy
Democracy

By

Published : Sep 15, 2021, 5:00 AM IST

हैदराबाद : लोकतंत्र एक सार्वभौमिक मान्यता प्राप्त शासनों में से एक है और संयुक्त राष्ट्र के मूल्यों और सिद्धांतों में से एक है. लोकतंत्र मानव अधिकारों के संरक्षण और उनके प्रभावी तरीके से लागू करने का माहौल प्रदान करता है. संयुक्त राष्ट्र सुशासन को बढ़ावा देता है, चुनावों की निगरानी करता है, लोकतांत्रिक संस्थाओं और जवाबदेही को मजबूत करने के लिए नागरिक समाज का समर्थन करता है, विघटित देशों में आत्मनिर्णय सुनिश्चित करता है और नए गठन के प्रारूपण में सहायता करता है.

संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस क्यों मनाता है ?

अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस दुनिया में लोकतंत्र की स्थिति की समीक्षा करने का अवसर प्रदान करता है. स्वतंत्रता के मूल्य, मानव अधिकारों के लिए सम्मान और सार्वभौमिक मताधिकार द्वारा चुनाव कराने के सिद्धांत लोकतंत्र के आवश्यक तत्व हैं. बदले में, लोकतंत्र मानव अधिकारों के संरक्षण और प्रभावी प्राप्ति के लिए माहौल प्रदान करता है.

इतिहास
लोकतंत्र का अंतरराष्ट्रीय दिवस प्रत्येक वर्ष 15 सितंबर को दुनिया भर में मनाया जाता है. यह 2007 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा पारित एक प्रस्ताव के माध्यम से स्थापित किया गया था, जो सरकारों को लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए प्रोत्साहित करता है.

2008 में यह पहली बार मनाया गया था, इसलिए दुनिया भर में सैकड़ों संसदीय कार्यक्रम आयोजित किए गए. इनमें फोटो प्रतियोगिताओं, बच्चों के लिए कार्यशालाएं, लाइव टीवी पर बहस, रेडियो फोन-इन्स और नागरिक समाज संगठनों के साथ बैठकें की गईं.

इसमें मजबूत लोकतंत्र, 2030 एजेंडा फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट, नागरिकों की आवाज को मजबूत करने, संवाद और समावेशिता, जवाबदेही और राजनीतिक सहिष्णुता के लिए लोकतंत्र का महत्व शामिल है.

लोकतंत्र के अंतरराष्ट्रीय दिवस पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव का संदेश
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने सरकारों से अपनी कोविड-19 प्रतिक्रिया में पारदर्शी, उत्तरदायी और जवाबदेह होने का आग्रह किया है और यह सुनिश्चित किया है कि कोई भी आपातकालीन उपाय कानूनी और गैर-भेदभावपूर्ण हो.

जैसा कि दुनिया कोरोना वायरस महामारी का सामना कर रही है ऐसे में लोकतंत्र सूचना के मुक्त प्रवाह को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. निर्णय लेने में भागीदारी और महामारी की प्रतिक्रिया के लिए जवाबदेही भी सुनिश्चित कर रहा है. फिर भी कई देशों में आपातकाल का इस्तेमाल किया है. लोकतंत्र उन देशों में कमजोर है जहां संस्थागत ढांचे कमजोर हैं.

लंबे समय से उपेक्षित अन्याय, शिक्षा तक असमान पहुंच, पर्यावरणीय क्षरण से लेकर नस्लीय भेदभाव और महिलाओं के खिलाफ हिंसा ये असमानताएं लोकतंत्र के लिए खतरा हैं. सार्वजनिक अधिकारियों पर विश्वास न होना, अवसरों की कमी, आर्थिक अशांति सामाजिक अशांति को बढ़ा रही है. ऐसे में सरकारों को बदलाव की मांग करने वाले लोगों की बात सुननी चाहिए और बातचीत के लिए नए चैनल खोलने और शांतिपूर्ण विधानसभा संचालन को बढ़ावा देना चाहिए.

पढ़ें :-गृहयुद्ध की ओर म्यांमार, लोकतंत्र समर्थकों ने तैयार किए लड़ाके

लोकतंत्र के इस अंतरराष्ट्रीय दिवस पर मानवाधिकारों के प्रति पूर्ण सम्मान के साथ समान और समावेशी दुनिया बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए. कोविड-19 संकट की वजह से विश्व स्तर पर सामाजिक, राजनीतिक और कानूनी चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं. इसलिए जरूरी है कि दुनिया भर के देश कानून के शासन को कायम रखें, अंतरराष्ट्रीय मानकों की रक्षा और सम्मान करें और बुनियादी सिद्धांतों और न्याय की उचित प्रक्रिया तक पहुंचने का बराबरी का अधिकार दें.

दुनिया में लोकतंत्र को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राष्ट्र क्या करता है
यूनाइटेड नेशन डेमोक्रेसी फंड (यूएनडीईएफ) निधियों का अधिकांश हिस्सा स्थानीय नागरिक समाज संगठनों में जाता है. यूएनडीईएफ संयुक्त राष्ट्र के पारंपरिक कामों के साथ दुनिया भर में लोकतांत्रिक शासन को मजबूत करने के लिए अनूठी भूमिका निभाता है.

भारतीय लोकतंत्र
जनसंख्या की दृष्टि से भारत विश्व का बड़ा लोकतंत्र है. भारत 2019 में इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट द्वारा किए गए सर्वेक्षण में भारत का 51वां स्थान है. 2019 की वैश्विक रैंकिंग में भारत का लोकतंत्र 10वें स्थान से फिसलकर 51वें स्थान पर आ गया. 22 जनवरी 2020 को प्रकाशित रिपोर्ट में इसका प्राथमिक कारण देश में नागरिक स्वतंत्रता का ह्रास बताया गया है.

ये हैं दुनिया के शीर्ष दस लोकतंत्र देशों की सूची

  • नॉर्वे
  • आइसलैंड
  • स्वीडन
  • न्यूजीलैंड
  • फिनलैंड
  • आयरलैंड
  • डेनमार्क
  • कनाडा
  • ऑस्ट्रेलिया
  • स्विट्जरलैंड

ABOUT THE AUTHOR

...view details