हैदराबाद : 17 अक्टूबर 1987 से हर साल गरीबी उन्मूलन के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है. 1948 में मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा पर हस्ताक्षर पेरिस के ट्रोकैडेरो में किए गए थे. इसी जगह पर 1987 में आज के दिन एक लाख के करीब लोग अत्यधिक भूख, गरीबी और हिंसा के पीड़ितों के समर्थन में आवाज बुलंद करने के लिए जुटे थे. इस दौरान गरीबों के अधिकारों का सम्मान करने के लिए मांगें की गईं. अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाने के लिए और गरीबों के प्रति अपनी एकजुटता दिखाने के लिए हर साल 17 अक्टूबर को लोग वहां इकट्ठा होते हैं.
यूनेस्को का मानना है कि गरीबी के खिलाफ स्थायी लड़ाई के लिए व्यक्तियों को मजबूत करने की आवश्यकता है. उन्हें मजबूर करने के लिए जो रोजगार के आवश्यक साधन शिक्षा, विज्ञान के माध्यम से क्षमताएं और रचनात्मक अर्थव्यवस्था पर बल दिया गया है. इसके लिए यूनेस्को ने अपनी विशेषज्ञता 2030 एजेंडा फॉर सस्टेनेबल की सेवा में लगाया है, जिसमें विकास और विशेष रूप से लक्ष्य-1, 'हर जगह गरीबी को उसके सभी रूपों में समाप्त करने का लक्ष्य रखा गया है.'
गरीबी उन्मूलन के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस 2023 के लिए थीम,'सभ्य कार्य और सामाजिक सुरक्षा: सभी के लिए सम्मान को व्यवहार में लाना'है. इस साल का थीम उन लोगों के लिए है गरीबी के कारण ज्यादा मेहनत करना पड़ता है. उन्हें मजबूरी में अनियमित परिस्थितियों में लंबे समय तक खतरनाक काम करना होता है. इसके बाद भी अपने परिवार के लिए पर्याप्त आय अर्जित नहीं कर पाते हैं. थीम में सभी कामगारों के लिए गरीमा, सामाजिक सुरक्षा, उचित वेतन और सुरक्षा प्रदान होनी चाहिए. यह विषय राजनीतिक नेताओं और नीति निर्माताओं से मानवीय गरिमा का उपयोग करने का आह्वान भी है.
'गरीबी सिर्फ पैसे की कमी नहीं है, बल्कि उससे कहीं अधिक है.' विश्व बैंक के अनुसार 'गरीबी भूख है. गरीबी आश्रय का अभाव है. बीमार होना और डॉक्टर को न दिखा पाना गरीबी है. स्कूल तक पहुंच न होना और पढ़ना न आना गरीबी है. गरीबी का मतलब नौकरी न होना, भविष्य का डर है. एक-एक दिन का समय निकालना है. गरीबी के कई चेहरे होते हैं, जो जगह-जगह और समय-समय पर बदलते रहते हैं. इसका कई तरह से वर्णन किया गया है. अक्सर, गरीबी एक ऐसी स्थिति है जिससे लोग बचना चाहते हैं. इसलिए गरीबी पर कार्रवाई का आह्वान है. गरीबों के लिए अमीरों के बराबर समान अवसर हों. गरीबों के लिए दुनिया को बदलने का आह्वान ताकि कई और लोगों के पास खाने के लिए पर्याप्त, पर्याप्त आश्रय और पहुंच हो सके. शिक्षा और स्वास्थ्य, हिंसा से सुरक्षा, और उनके समुदायों में जो होता है उस पर आवाज उठाना.'
भारत में गरीबी में योगदान देने वाले कारक:
- 1.4 अरब से अधिक लोगों के साथ भारत दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है.
- देश में धन का असमान वितरण है. 1 फीसदी अमीर भारतीयों के पास देश की 40 फीसदी से अधिक की संपत्ति है.
- आज के समय में भी गरीब भारतीयों के गुणवत्ता शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल सबों के लिए सुलभ नहीं है.
- बहुआयामी गरीबी सूचकांक के अनुसार, भारत में बाल मृत्यु दर है 1.5 फीसदी और स्कूल में उपस्थिति 3.9 फीसदी है.
- गरीब लोगों को अक्सर लिंग, जाति, धर्म के आधार पर भेदभाव का सामना करना पड़ता है. नौकरियां ढूंढना और अवसरों तक पहुंचना उनके लिए कठिन है.