हैदराबाद : हर गुजरते वक्त के साथ-साथ देश-दुनिया में पर्यावरणीय मुद्दे गंभीर होते जा रहे हैं. जल, जंगल और जमीन पर मौजूद पेड़-पौधे और विभिन्न के जीवों पर असर हो रहा है. खतरे में दुर्लभ जैव विविधता को बचाने के लिए एक ठोस नीति और इच्छाशक्ति की जरूरत है. साधारण भाषा में संरक्षित दुर्लभ जैव विविधता वाले स्थल और प्राकृति साइट्स को बायोस्फीयर रिजर्व कहा जाता है. यूनेस्को के अनुसार 134 देशों में बायोस्फीयर रिजर्व की संख्या 748 हैं. इनमें 23 ट्रांसबाउंड्री साइट्स भी शामिल हैं. इसी को ध्यान में रखकर हर साल बायोस्फीयर रिजर्व के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है.
2021 में आयोजित यूनेस्को के जनरल कॉन्फ्रेंस के 41वें सत्र में बायोस्फीयर रिजर्व के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस हर साल 3 नवंबर को मनाने का निर्णय लिया गया. प्रकृति के साथ स्थायी व सामंजस्यपूर्ण संबंध स्थापित करते हुए इस दुनिया को बेहतर बनाने के उद्देश्य से इस दिवस का आयोजन किया जाता है. पहली बार 3 नवंबर 2022 को बायोस्फीयर रिजर्व के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया गया था. इस साल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह दूसरा आयोजन होगा.
यूनेस्को मैन एंड द बायोस्फीयर (एमएबी) कार्यक्रम 1971 में स्थापित किया गया था. बायोस्फीयर के संरक्षण के लिए इस कार्यक्रम का महत्वपूर्ण योगदान है. पूरी दुनिया में आज के समय में 750 के करीब हैं, जिनका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संरक्षण किया जा रहा है. इन सबों की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा नीति और प्रबंधन है. इनमें दुनिया के दुर्लभ क्षेत्र शामिल हैं. द बायोस्फीयर कार्यक्रम सफल जैव विविधता नीति को प्रदर्शित करने का अवसर देता है.
सवाल उठता है कि जैव विविधता क्या है. जैव विवधता में जल, जंगल और जमीन पर मौजूद जीवों का पारिस्थितिक तंत्र और पारिस्थितिक परिसर शामिल हैं. इनमें प्रजातियों के भीतर, प्रजातियों के बीच और पारिस्थितिक तंत्र की विविधता भी शामिल हैं. बता दें कि बायोस्फीयर रिजर्व इलाके में कई जीव व पेड़-पौधें हैं जो International Union for Conservation of Nature Red List- IUCN Red List में शामिल हैं.