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दुर्लभ जीव-जन्तु व प्राकृतिक धरोहरों की रक्षा जरूरी, जानें क्या है International Day for Biosphere Reserves

दुनिया भर में हजारों की संख्या में दुर्लभ प्राकृतिक संपदा और जीव-जंतु मौजूद हैं. इनकी रक्षा भविष्य ही नहीं वर्तमान के लिए भी जरूरी है. इसी को ध्यान में रखकर 3 नवंबर को बायोस्फीयर रिजर्व अंतरराष्ट्रीय दिवस बनाया जाता है. पढ़ें पूरी खबर..International Day for Biosphere Reserves 2023, Man and the Biosphere Programme, International Day for Biosphere Reserves Date.

Biosphere Reserves Day 2023
बायोस्फीयर रिजर्व के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 3, 2023, 11:57 AM IST

Updated : Nov 3, 2023, 12:22 PM IST

हैदराबाद : हर गुजरते वक्त के साथ-साथ देश-दुनिया में पर्यावरणीय मुद्दे गंभीर होते जा रहे हैं. जल, जंगल और जमीन पर मौजूद पेड़-पौधे और विभिन्न के जीवों पर असर हो रहा है. खतरे में दुर्लभ जैव विविधता को बचाने के लिए एक ठोस नीति और इच्छाशक्ति की जरूरत है. साधारण भाषा में संरक्षित दुर्लभ जैव विविधता वाले स्थल और प्राकृति साइट्स को बायोस्फीयर रिजर्व कहा जाता है. यूनेस्को के अनुसार 134 देशों में बायोस्फीयर रिजर्व की संख्या 748 हैं. इनमें 23 ट्रांसबाउंड्री साइट्स भी शामिल हैं. इसी को ध्यान में रखकर हर साल बायोस्फीयर रिजर्व के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है.

2021 में आयोजित यूनेस्को के जनरल कॉन्फ्रेंस के 41वें सत्र में बायोस्फीयर रिजर्व के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस हर साल 3 नवंबर को मनाने का निर्णय लिया गया. प्रकृति के साथ स्थायी व सामंजस्यपूर्ण संबंध स्थापित करते हुए इस दुनिया को बेहतर बनाने के उद्देश्य से इस दिवस का आयोजन किया जाता है. पहली बार 3 नवंबर 2022 को बायोस्फीयर रिजर्व के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया गया था. इस साल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह दूसरा आयोजन होगा.

यूनेस्को मैन एंड द बायोस्फीयर (एमएबी) कार्यक्रम 1971 में स्थापित किया गया था. बायोस्फीयर के संरक्षण के लिए इस कार्यक्रम का महत्वपूर्ण योगदान है. पूरी दुनिया में आज के समय में 750 के करीब हैं, जिनका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संरक्षण किया जा रहा है. इन सबों की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा नीति और प्रबंधन है. इनमें दुनिया के दुर्लभ क्षेत्र शामिल हैं. द बायोस्फीयर कार्यक्रम सफल जैव विविधता नीति को प्रदर्शित करने का अवसर देता है.

सवाल उठता है कि जैव विविधता क्या है. जैव विवधता में जल, जंगल और जमीन पर मौजूद जीवों का पारिस्थितिक तंत्र और पारिस्थितिक परिसर शामिल हैं. इनमें प्रजातियों के भीतर, प्रजातियों के बीच और पारिस्थितिक तंत्र की विविधता भी शामिल हैं. बता दें कि बायोस्फीयर रिजर्व इलाके में कई जीव व पेड़-पौधें हैं जो International Union for Conservation of Nature Red List- IUCN Red List में शामिल हैं.

केंद्र सरकार बायोस्फियर रिजर्व का निर्धारण सीधे तौर कर कर सकते हैं या किसी राज्य सरकार के प्रस्ताव केंद्र सरकार की ओर से बायोस्फियर रिजर्व घोषित किया जाता हैं. यूनेस्को के बायोस्फियर रिजर्व का चयन एक निर्धारित मानक के आधार पर किया जाता है. केंद्र सरकार के प्रस्ताव पर World Network of Biosphere Reserves की ओर से मानकों का सत्यापन किया जाता है. सत्यापन के बाद यूनेस्को बायोस्फियर रिजर्व की सूची में शामिल किया जाता है. बायोस्फियर रिजर्व में इलाके को 3 जोन में बांटा जाता है.

कोर एरिया, बफर जोन व ट्रांजिशन एरिया. बफर जोन जीवों या पेड़-पौधों के लिए पूरी तरीके से संरक्षित होता है. इस इलाके में कोई भी अनधिकृत व्यक्ति नहीं जा सकता है. वहीं बफर जोन का उपयोग शैक्षणिक, वैज्ञानिक शोध और विभिन्न प्रकार की निगरानी के लिए किया जाता है. वहीं ट्रांजिशन एरिया में कुछ लिमिटेड आर्थिक गतिविधियां व मानव विकास के लिए कुछ गतिविधियां की अनुमति होती है.

केंद्र सरकार की सूची में शामिल बायोस्फियर रिजर्व :

  1. नीलगिरि, तमिलनाडु-केरल 1986
  2. नंदा देवी, उत्तराखंड 1988
  3. नोकरेक, मेघालय 1988
  4. ग्रेट निकोबार अंडमान व निकोबार 1989
  5. मन्नार की खाड़ी, तमिलनाडु 1989
  6. मानस, असम 1989
  7. सुंदरबन, पश्चिम बंगाल 1989
  8. सिमिलिपाल, ओडिशा 1994
  9. डिब्रू-सैखोवा, असम 1997
  10. देहांग-देबांग, अरुणाचल प्रदेश 1998
  11. पचमढ़ी, मध्य प्रदेश 1999
  12. कंचनजंगा, सिक्किम 2000
  13. अगस्त्यमाला, कर्नाटक-तमिलनाडु-केरल 2001
  14. अचानकमार-अमरकंटक, मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ 2005
  15. कच्छ,गुजरात 2008
  16. शीत मरुस्थल, हिमाचल प्रदेश 2009
  17. शेषचलम, आंध्र प्रदेश 2010
  18. पन्ना, मध्य प्रदेश 2011

भारत में यूनेस्को संरक्षित बायोस्फीयर रिजर्व

  1. नीलगिरि, तमिलनाडु-केरल 2000
  2. मन्नार की खाड़ी, तमिलनाडु 2001
  3. सुंदरबन, पश्चिम बंगाल 2001
  4. नंदा देवी, उत्तराखंड 2004
  5. पचमढ़ी, मध्य प्रदेश 2009
  6. नोकरेक, मेघालय 2009
  7. सिमिलिपाल, ओडिशा 2009
  8. अचानकमार-अमरकंटक, मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ 2012
  9. ग्रेट निकोबार, अंडमान और निकोबार द्वीप 2013
  10. अगस्त्यमाला, कर्नाटक-तमिलनाडु-केरल 2016
  11. कंचनजंगा, सिक्किम 2018
  12. पन्ना, मध्य प्रदेश 2020

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Last Updated : Nov 3, 2023, 12:22 PM IST

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