नई दिल्ली : 26 नवंबर 2008 का वो दिन कौन भूल सकता है, जब पाकिस्तान से आए 10 आतंकियों ने देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में खून की होली खेली थी. तब से लेकर अब तक इस हमले के जख्म तो पूरी तरह नहीं भरे हैं, लेकिन देश की आंतरिक सुरक्षा में कई अहम बदलाव जरूर हुए हैं. इस हमले से सबक लेते हुए हमारी सरकारों ने सुरक्षा के अब इतने पुख्ता इंतजाम कर दिए हैं कि 26/11 जैसा हमला दोहराना किसी भी आतंकी संगठन के लिए नामुमकिन है.
26/11 हमले के बाद देश की आंतरिक सुरक्षा पर कई सवाल खड़े हुए थे. इसे सुरक्षा एजेंसियों की नाकामी भी माना गया था. इसके बाद चाहे वो समुद्री सुरक्षा हो या एजेंसियों के बीच आपसी समन्वय या फिर सुरक्षा बलों को आधुनिक हथियारों से लैस करने की बात हो. आज भारत ने इन सब चीजों पर बेहतर काम किया है. आइए जानते हैं, देश की आंतरिक सुरक्षा में कितना बदलाव आया है.
मुंबई हमले के दौरान आतंकी नाव में बैठकर पाकिस्तान के कराची से समुद्र के रास्ते मुंबई पहुंचे थे. जितनी आसानी से आतंकी देश की सीमा में दाखिल हुए थे, वो भारत के सुरक्षा तंत्र के लिए बड़ा झटका था. ऐसे में मुंबई हमले के बाद तटीय सुरक्षा को पुख्ता करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. भारतीय नौसेना, कोस्टगार्ड और मरीन पुलिस तीनों से पूरे देश के तटीय इलाकों में एक ऐसी त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था तैयार की गई है, जिससे कोई भी संदिग्ध गतिविधि बच नहीं सकती. यह त्रिस्तरीय सुरक्षा एकीकृत इकाई के तौर पर काम कर सके उसके लिए भारत सरकार ने साल 2014 में इन्फोर्मेशन मैनेजमेंट एंड एनालिसेस सेंटर का गठन किया.
इसका काम यह सुनिश्चित करना है कि 26/11 के हमले जैसी घटना दोबारा न हो सके. यह समुद्रतटीय सुरक्षा की जानकारी को जमा करने और अलग-अगल जगहों तक पहुंचाने के लिए नोडल सेंटर की तरह काम करता है. इसके अलावा भारतीय कोस्ट गार्ड के डीजी को कोस्टल कमांड के कमांडर का दर्जा दिया गया है, जो केंद्रीय और राज्य की एजेंसियों के बीच समन्वय का काम करते हैं. वहीं भारतीय नौसेना की ताकत में भी 2008 के मुकाबले काफी इजाफा हुआ है. भारतीय सेना की रडार प्रणाली को काफी मजबूत किया गया है, जिससे नौसेना समुद्र में पैनी नजर रख पा रही है. सरकार ने कई पेट्रोलिंग नाव और सर्विलांस उपकरण की खरीद भी की है, जिससे तटीय सुरक्षा को चाक-चौबंद किया जा सके.
गृह मंत्रालय के मुताबिक 26/11 हमले के बाद समुद्री इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने की दिशा में कोस्टल सिक्युरिटी स्कीम फेज-2 की शुरूआत की गई है. इसके तहत 121 कोस्टल पुलिस स्टेशन बनाए गए हैं. वहीं साल 2021 तक 35 जेट्टी और 10 मरीन ऑपरेशनल सेंटर स्थापित हो चुके हैं. इसके अलावा पेट्रोलिंग के लिए 131 चार पहिया वाहन और 242 मोटरसाइकिल भी खरीदी जा चुकी हैं. वहीं सरकार ने कोस्टल मैपिंग की शुरूआत भी की है. इसके जरिए मैपिंग कर समुद्री सुरक्षा से जुड़ी हर एक चीज पर निगरानी रखी जा रही है.
सरकार ने समुद्र में मछली पकड़ने के लिए जाने वाले मछुआरों की नावों का भी ट्रैकिंग सिस्टम बनाया है. इस सिस्टम के तहत हर मछुआरे को एक बायोमीट्रिक कार्डस जारी किए गए हैं. कई राज्यों में यह सिस्टम लागू हो गया है. ऐसे में कोस्ट गार्ड या नेवी किसी भी नाव पर शक होने पर उसका बायोमीट्रिक कार्ड चेक कर पहचान की जांच कर सकती है. मुंबई हमले के बाद महाराष्ट्र सरकार ने कमांडों की एक स्पेशल फोर्स का गठन किया था. जिसे फोर्स वन नाम दिया गया गया है. फोर्स वन के जवानों की ट्रेनिंग एनएसजी जवानों की ट्रेनिंग की तर्ज पर होती है.