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UGC का संस्थानों को निर्देश, आधुनिक विषयों के साथ भारतीय ज्ञान परंपरा को जोड़ने के दिशानिर्देश लागू करें

यूजीसी ने आधुनिक विषयों के साथ भारतीय ज्ञान परंपरा को जोड़ने के लिए उच्च शिक्षा पाठ्यक्रम के लिए दिशानिर्देश तैयार किये हैं. इस दिशानिर्देश को लागू करने का निर्देश देते हुए यूजीसी ने सभी संस्थानों को पत्र लिखा है.

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Published : Jun 14, 2023, 1:20 PM IST

नई दिल्ली : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सभी विश्वविद्यालयों, कॉलेजों एवं उच्च शिक्षण संस्थानों से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत सभी स्तरों पर पाठ्यक्रमों में भारतीय ज्ञान परंपरा को जोड़ने के दिशानिर्देशों को अक्षरश: लागू करने के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा है. यूजीसी के सचिव मनीष आर जोशी ने 13 जून को सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, सभी राज्यों के मुख्य सचिवों/उच्च शिक्षा सचिवों, सभी उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों और सभी कालेजों के प्राचार्यों को इस संबंध में पत्र लिखा है. पत्र में कहा गया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भारतीय भाषाओं, कलाओं, संस्कृति को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया गया तथा सभी स्तरों पर पाठ्यक्रमों के साथ भारतीय ज्ञान परंपरा का समन्वय बनाकर इसके प्रवाह में रूकावटों को दूर करने का प्रयास किया गया है.

जोशी ने कहा कि आधुनिक विषयों के साथ भारतीय ज्ञान परंपरा के निर्बाध संयोजन के लिए यूजीसी ने उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान परंपरा को जोड़ने के लिए दिशानिर्देश तैयार किये हैं. उन्होंने कहा, "सभी उच्च शिक्षण संस्थानों से आग्रह किया जाता है कि इन दिशानिर्देशों को अक्षरश: लागू करने के लिए जरूरी कदम उठाएं." उच्च शिक्षा पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान परंपरा को शामिल करने के दिशानिर्देशों में कहा गया है कि चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम में दाखिला लेने वाले सभी छात्रों को भारतीय ज्ञान परंपरा में कोर्स करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. इसमें कहा गया है कि छात्रों को ऐसे कोर्स करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, खास तौर पर स्नातक पाठ्यक्रम के पहले चार सेमेस्टर में. सभी स्नातक शिक्षण संस्थानों को भारतीय ज्ञान परंपरा में काफी संख्या में ऐच्छिक पाठ्यक्रम पेश करने चाहिए.

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वर्तमान में कुछ विषयों में स्नातकोत्तर कोर्स हैं जो भारतीय ज्ञान परंपरा का हिस्सा हैं. इनमें भारतीय संगीत में मास्टर ऑफ आर्ट्स, भारतीय दर्शन में मास्टर ऑफ आर्ट्स, भारतीय औषधि प्रणाली की विभिन्न शाखाओं में स्नातकोत्तर कोर्स आदि हैं. कई संस्कृत विश्वविद्यालय विभिन्न शास्त्रों में आचार्य या स्नातकोत्तर डिग्री पाठ्यक्रम कराते हैं. दिशानिर्देशों में कहा गया है कि इन पाठ्यक्रम को नये सिरे से डिजाइन किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ये भारतीय ज्ञान परंपरा के अनुरूप हों. इसमें भारतीय ज्ञान परंपरा में कुछ मॉडल कोर्स सुझाए गए हैं. इनमें कुछ फाउंडेशन कोर्स और कुछ संभावित ऐच्छिक कोर्स भी हैं. ऐच्छिक कोर्स में भारतीय तर्क विज्ञान, भारतीय भाषा विज्ञान, भारतीय धातु शास्त्र, भारतीय वास्तु शास्त्र आदि हैं.

(पीटीआई-भाषा)

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