सरगुजा: रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर लाकपा बताते हैं " मेरा जन्म मैनपाट में ही हुआ है यहीं पढ़ाई किया. पढ़ने के बाद मैं आर्मी में भर्ती हुआ और 2017 में मैं रिटायर हुआ. रिटायरमेंट के बाद मैं यहां फार्मिग करता हूँ. पहले जो खेती का तरीका था, हम सब जानते हैं उसमें तो ज्यादा फायदा नहीं है. इसलिये मैंने इसको बदलकर आज के युग में जो खेती का तरीका होता है उस तरह से लगाया है. मैंने लीची और नाशापती लगाए हैं. 27 किस्म का फ्रूट लगाया हूं. इसके साथ ही गैप में इंटर क्रॉपिंग करता रहता हूं. इस तरह से 12 महीने खेती होती है. "
5 देशों के लीची की वराइटी: "मैं इंडियन आर्मी में था. मेरे कई ऐसे दोस्त बने जो अलग लग देशों में रहते हैं. मैं उनके सामने अपनी बात रखता था. तो उन्होंने मुझे सपोर्ट किया जिससे मैनपाट में थाईलैंड, चाइना, बांग्लादेश और वियतनाम का लीची है. चार बाहर देश का है. इसके साथ ही हमारा भारत का बिहार, मुजफ्फरपुर की लीची की किस्म है. "
गार्डन में 1 हजार से ज्यादा फलदार वृक्ष: "लीची के 408 पेड़ हैं. नासपाती 400 पेड़ हैं. अन्य फ्रूट भी हैं. लीची की ये जो फसल तैयार होगी. उसका तीसरा साल होगा और नाशपती का दूसरा साल होगा. इसमे कोई नुकसान नहीं है फायदा ही है. क्योंकि दो तीन साल से हम इसका रिजल्ट देख रहे हैं. बढ़िया है."