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कर्नाटक : तस्करों से बचाने के लिए चंदन के पेड़ों में लगाए जाएंगे माइक्रोचिप - पेड़ों में लगाए जाएंगे माइक्रोचिप

कर्नाटक सरकार ने चंदन के पेड़ों के अवैध कटान और इन्हें तस्करों से बचाने के लिए एक अनोखा आइडिया खोज निकाला है. सरकार ने चंदन के पेड़ों में चिप डालने की योजना बनाई है. यदि कोई पेड़ को छूता है तो, इसकी जानकारी संबंधित अधिकारी तक पहुंच जाएगी. पढ़ें विस्तार से...

चंदन के पेड़
चंदन के पेड़

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Published : Feb 5, 2021, 12:42 PM IST

बेंगलुरु :चंदन के पेड़ों की खुशबू इस दुनिया में लोगों के मन को आकर्षित करती है, लेकिन वर्तमान समय में इसकी बढ़ती हुई तस्करी के कारण चंदन की प्रजातियां लुप्त हो रही हैं. वन विभाग के लिए प्रत्येक चंदन के पेड़ की रखवाली करना आसान नहीं है. इन्ही सब बातों को देखते हुए राज्य सरकार ने चंदन के पेड़ों में चिप डालने की योजना बनाई है.

चंदन के पेड़ उगाने के लिए कर्नाटक प्रसिद्ध है, लेकिन अब यहां के किसान सुरक्षा के अभाव में इसे नहीं उगाना चाहते. चंदन की रक्षा के लिए वन विभाग इस पर माइक्रोचिप डालने के लिए एक नया विचार पेश कर रहा है.

कर्नाटक के विभिन्न वन क्षेत्रों में उगाए जाने वाले चंदन के पेड़ों की तस्करी को रोकने के लिए वन विभाग तकनीक की ओर रुख कर रहा है. विभाग ने तस्करों से बचाने के लिए चंदन पर माइक्रोचिप लगाने का विचार किया है. योजनाओं के अनुसार एक जंगल में विभिन्न स्थानों पर बड़े चंदन के पेड़ों में माइक्रोचिप डाले जाएंगे.

चंदन के पेड़ों को बचाने का अनोखा तरीका.

इससे वन अधिकारियों को पेड़ों की निगरानी और उनकी चोरी और परिवहन का पता लगाने में मदद मिलेगी. यहां तक कि अगर कोई व्यक्ति पौधे को छूता है, तो वन अधिकारी के मोबाइल पर मैसेज चला जाएगा. शुरुआत में, ट्रायल के तौर पर चिप डाले जाएंगे.

श्रीगंधानाडु के नाम से जाना जाता था मैसूर को

कर्नाटक राज्य में मैसूर चंदन उगाने के लिए बहुत प्रसिद्ध है, पहले इसका नाम श्रीगंधानाडु (सैंडलवुड प्रांत) था. अब तस्करों के प्रभाव के कारण किसान चंदन के पेड़ उगाने में रूची नहीं दिखाते.

जागरूकता पैदा करने की सरकार की कोशिश

कई सालों से सरकार और वन विभाग राज्य में चंदन की तस्करी को नियंत्रित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं. चंदन की सुरक्षा के लिए कई योजनाएं लागू किया. तस्करी को नियंत्रित करने के साथ सरकार लोगों को चंदन के बारे में जागरूक करने की कोशिश कर रही है.

सरकार ने मैसूर के अशोकपुरम में अरण्य भवन के चंदन डिपो में एक सैंडलवुड संग्रहालय स्थापित किया गया है. संग्रहालय को इस तरह से स्थापित किया गया है कि यह इतिहास और चंदन उत्पादों के बारे में लोगों को जानकारी दी जा सके. साथ ही चंदन के साबुन, चंदन के तेल, अगरबत्ती आदि के बारे में लोगों को बताया जा सके.

केरल सरकार ने 2012 में इसी योजना को लागू करने की कोशिश की

2012 में केरल के वन मंत्री केबी गणेश कुमार ने भी विधानसभा में बताया कि केरल के एकमात्र स्थान मरायूर में चंदन के पेड़ों में माइक्रोचिप डालने के लिए योजना पर काम किया जा रहा है, जिसमें प्राकृतिक चंदन के जंगल हैं. 2018 में भी वन विभाग ने दावणगेरे जिले के चन्नागिरी तालुक में मवीनाकटे चंदन वन के हिस्से में चंदन के पेड़ में माइक्रोचिप डालने का काम किया जा रहा है.

दो साल के बाद मैसूर के हिस्से में फिर से वन विभाग ने तस्करी से बचने के लिए जिले में चंदन के पेड़ों पर माइक्रोचिप लगाना निर्धारित किया गया है. उन्होंने इसे एक परीक्षण के रूप में शुरू करने की योजना बनाई है. सफलता मिलने के बाद वे इसे चंदन उगाने वाले किसानों से परिचित कराएंगे.

तस्करों को खोजने में तकनीक करेगी मदद

डीसीएफ प्रशांत कुमार ने कहा कि यह माइक्रोचिप चंदन के पेड़ से डेढ़ फीट की ऊंचाई पर डाली गई है. जब कोई व्यक्ति चंदन के पेड़ को काटेगा तो, यह माइक्रोचिप वन विभाग, पुलिस विभाग और मालिक को सूचित करेगा. इस तकनीक का आविष्कार एक निजी कंपनी द्वारा किया जा रहा है. सफल परीक्षण के बाद इसे किसानों को दिया जाएगा.

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