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आगरा में 2 साल से कोमा में है मां, बेटी को जन्म देने पर मिली ऐसी सजा

उत्तर प्रदेश में एक बहु का बेटी को जन्म देना ससुराल पक्ष को इतना नागवार गुजरा कि उसे जीने लायक तक नहीं छोड़ा. ये मामला है आगरा के एक गांव का, जहां बच्ची के जन्म पर ससुराल पक्ष ने बहु को इस तरह प्रताड़ित किया गया, कि देखने वाले की रूह तक कांप जाये.

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Published : Jul 30, 2021, 8:09 PM IST

आगरा :हमारे देश में बेटियों को लक्ष्मी का रूप माना जाता है. बेटियों पर कई स्लोगन भी हैं, जैसे बेटी है तो कल है, बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओं, बेटा अंश है तो बेटी वंश है- बेटा आन है तो बेटी शान हैं, लेकिन इनका वास्तविक जीवन से कितना संबंध है ये कहना थोड़ा मुश्किल है. एक ऐसा ही मामला है आगरा के एक गांव का, जहां एक मां को बेटी के जन्म पर खुशियों और देखभाल की जगह मिली मौत से बदतर प्रताड़ना, जिसे सुन आप भी कहेंगे ऐसे नर्क ससुराल से भगवान बचाये.

दो सालों से कोमा में है गौरी

दरअसल, आगरा जिले के ताजगंज थाना क्षेत्र के राजरई गांव की रहने गौरी वंदना पिछले दो सालों से कोमा में है. बताया जा रहा है कि बेटी पैदा होने के बाद ससुरालवालों उसे इतना प्रताड़ित किया वो वह कोमा में पहुंच गई. उसकी हालत अब ऐसी हो चली है कि अब वह अपनी बेटी को भी नहीं पहचान सकती है.

बेटी के जन्म पर ससुराल की प्रताड़ना
हमारे समाज की एक बड़ी विडंबना है कि जिस समाज में कन्या को देवी के रूप में पूजा जाता है, अगर वही कन्या घर में जन्म लेती है तो बड़ा अपराध और उसे जन्म देने वाली महिला अपराधी मानी जाती हैं. वो भी आज के समय में जब बेटियां किसी मायने में बेटों से कम नहीं है. यहां तक की कई क्षेत्रों में तो लड़कियों वो मकाम हासिल किया है, जो लड़के आज तक हासिल नहीं कर पाए. ऐसे समय में लड़कियों को कम आंकना मूर्खता नहीं तो क्या है, लेकिन यह बात शायद आगरा की बेटी गौरी वंदना के ससुरालवालों को समझ नहीं आई. तभी तो उन्होंने अपनी बहु का वो हाल कर दिया कि उसे देखकर किसी का भी दिल दहल उठेगा.

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2 साल 27 दिन से कोमा में हैं गौरी
गौरी का बेटी को जन्म देने परिवार को इतना नागवार गुजरा कि उसे जीने लायक नहीं छोड़ा. गौरी दो साल 27 दिन से बिस्तर पर जीवन काट रही है. उसके मायके वालों का आरोप है कि बेटी पैदा होने पर ससुराल वालों ने प्रताड़ित किया. इससे वो बीमार होकर कोमा में चली गई. तब से आज तक वो मायके में बिस्तर पर है. वह अपनी बेटी को भी पहचान नहीं पाती है. परिवार वालों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इलाज के लिए मदद की गुहार लगाई है.

ससुराल पक्ष ने मां से छीनी दुधमुंही बेटी
बीते 27 माह से बिस्तर पर जिंदगी और मौत से जूझ रही गौरी वंदना ताजगंज के राजरई गांव की निवासी हैं. चार साल पहले उनकी शादी शाहगंज थाना क्षेत्र के नरीपुरा के रहने वाले त्रिवेंद्र कुमार से हुई थी. त्रिवेंद्र इस समय गाजियाबाद में रेलवे विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद पर तैनात हैं. कोमा में पड़ी गौरी का अपराध बस यह है कि उन्होंने बेटी को जन्म दिया. गौरी के ससुरालजनों ने उसकी दुधमुंही बेटी को भी छीन लिया है. गौरी के पिता अपनी पेंशन से उसका इलाज करा रहे है, जिसे वहन कर पाना अब उनकी हैसियत से बाहर है.

बेटी को देख पिता का छलकता दर्द
गौरी के पिता त्रिलोकी नाथ का कहना है कि उनकी होनहार बेटी की हालत के जिम्मेदार उसके ससुराल वाले हैं. बड़े अरमानों ओर दान-दहेज के साथ अपनी बेटी को दिल पर पत्थर रख कर ससुराल भेजा था, लेकिन बेटी के साथ ऐसा होगा उन्होंने कभी सपने में भी नही सोचा था. यह बताते-बताते पिता की आंखों में आंसू आ जाते हैं. उन्होंने कहा कि मेरी बेटी को उसका पति त्रिवेंद्र और उसके परिजन शादी के बाद दहेज के लिए प्रताड़ित करते थे. बेटी ने कई बार इसकी शिकायत हमसे की, लेकिन बेटी की शादी बचाने की खातिर हम चुप रहे.

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बेटी के जन्म से नाराज था ससुराल
गौरी के पिता ने बताया कि ससुराल वाले शुरू से ही गौरी पर बेटा पैदा करने का दवाब बना रहे थे, लेकिन बेटी पैदा होने पर गौरी के ससुराल वाले नाराज हो गए, जिसका खामियाजा गौरी को अपनी जान दांव पर लगा कर उठाना पड़ा है. गौरी के पिता त्रिलोकी बताते हैं कि उनकी बेटी को गर्भावस्था के महीनों में भी प्रताड़ित किया गया था. लड़का पैदा करने के लिए मानसिक दवाब बनाया जाता था.

बेटी को जन्म देने के बाद से ही कोमा में है गौरी
उन्होंने आगे बताया कि गर्भावस्था के वक्त उस पर इतने जुल्म ढाए गए कि वह मानसिक तौर पर पूरी तरह से टूट गयी. बेटी को जन्म देते ही गौरी वंदना कोमा में चली गयी. इसी बात का फायदा उठा कर ससुरालीजन गौरी की दुधमुंही बेटी को अपने साथ ले गए, जिसे देखने के लिए आज तक गौरी की आंखे तरस रही हैं.

CM योगी से लगाई मदद की गुहार
गौरी के पिता पुलिस फायर सर्विस से सेवानिवृत्त हैं. गौरी कुल चार बहने हैं, जिनमे से दो विवाहित है और दो अविवाहित. गौरी के पिता ने अपनी बेटियों के लालन-पालन और उनकी पढ़ाई में अपनी पूरी पूंजी लगा दी और पेंशन पर अपना घर चलाते हैं. ऐसे में 27 महीनों से कोमा में पड़ी वंदना के ईलाज का खर्चा भी उनके पिता वहन कर रहे हैं, लेकिन अब उनके पास जमापूंजी नहीं बची. गौरी के पिता का कहना है कि गौरी के महंगे इलाज के लिए अब उनके पास पैसे नहीं है, लेकिन अपनी बेटी को वो अपने पैरों पर खड़ा देखना चाहते हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गौरी के इलाज में मदद की गुहार लगाई है, जिससे उनकी होनहार बेटी जल्द से जल्द ठीक हो सके.

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