नई दिल्ली : सिंधु जल मुद्दे पर चर्चा करने के लिए भारत और पाकिस्तान के शीर्ष अधिकारियों की मंगलवार से दो दिनी बैठक होनी है.
दोनों देशों के बीच ये बैठक 2 साल के अंतराल के बाद हो रही है. अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद दोनों सिंधु आयुक्तों के बीच इस तरह की पहली बैठक होगी. बैठक ऐसे समय हो रही है जब भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध कुछ बेहतर हो रहे हैं.
पिछले कुछ महीनों में भारत और पाकिस्तान दोनों देशों ने संबंधों को सामान्य बनाने में कुछ सकारात्मकता दिखाई है. भारत ने हमेशा यह कहा है कि वह पाकिस्तान के साथ एक सामान्य पड़ोसी संबंध की इच्छा रखता है.
वास्तव में पिछले कुछ हफ्तों में दोनों सरकारों ने सीमाओं को शांत करने और शांतिपूर्ण वार्ता के लिए फिर से जुड़ने के प्रयास किए हैं. अब यह देखा जाना बाकी है कि क्या सिंधु जल पर दोनों पक्षों के विशेषज्ञों के बीच बातचीत से जल बंटवारे पर समतामूलक समाधान का मार्ग प्रशस्त होगा. साथ ही कश्मीर मुद्दे पर भी दोनों देशों के बीच दूरियां घटेंगी.
तल्खी की बर्फ पिघल रही इससे ज्यादा कुछ नहीं : सरीन
'ईटीवी भारत' ने इस मुद्दे पर पाकिस्तान मामलों के जानकार सुशांत सरीन से बातचीत की. सुशांत सरीन ने इस मामले पर अधिक यथार्थवादी दृष्टिकोण अपनाया. उन्होंने कहा, 'ये रूटीन बैठक है. हां इस बैठक से ये पता चलता है कि दोनों देश संबंध बेहतर करने के लिए स्थाई रूप से सकारात्मक कदम उठा रहे हैं. लेकिन पहले भी हमने ऐसा देखा है. यह दिखाता है कि शायद दोनों देशों के बीच तल्खी की बर्फ पिघल रही है और इससे ज्यादा कुछ नहीं. मुझे नहीं लगता कि इसमें ज्यादा कामयाबी मिलेगी.'
भारत के साथ शांति पर बात करने के लिए हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और सेना प्रमुख बाजवा के बीच चर्चा को लेकर टिप्पणी करते हुए सरीन ने कहा, 'पाकिस्तान की तरफ से ऐसे अच्छे शब्द अतीत में बहुत बार आए हैं, लेकिन वे तब तक अर्थहीन हैं जब तक जमीनस्तर पर कुछ नहीं बदलता.' सिंधु जल मुद्दे पर पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व मेहर अली शाह करेंगे जबकि भारत के सिंधु जल आयुक्त पीके सक्सेना के नेतृत्व वाली टीम इस वार्ता में शामिल होगी.
सिंधु जल संधि पर चर्चा होगी इससे ज्यादा कुछ नहीं : जी पार्थसारथी