नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने कहा है कि देश में विपक्षी पार्टियां माहौल बिगाड़ने का प्रयास कर रही हैं. गुरुवार को प्रधानमंत्री मोदी के कुल कार्यकाल के 20 वर्ष पूरे होने के मौके पर नेशनल सिटीजंस कमिटी ने 'मोदी कार्यकाल में छात्रों का विकास' विषय पर एक लेख प्रतियोगिता की शुरुआत की है, जिसमें देशभर के 60 लाख से ज्यादा छात्रों को शामिल करने का लक्ष्य तय किया गया है.
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि मौजूद इंद्रेश कुमार ने सबसे पहले लखीमपुर खीरी की घटना पर टिप्पणी करते हुए कहा कि देश का मीडिया लखीमपुर भी दिखा रहा है और कश्मीर में हुई आतंकवादी हमले में हत्या को भी दिखा रहा है, लेकिन देश की राजनीति का न कोई सिद्धांत है, न उसमें धर्मनिरपेक्षता है और न ही उनका कोई संविधान ही है.
उन्होंने कहा कि नेताओ को यदि लखीमपुर खीरी की निंदा करनी है, तो उससे कहीं ज्यादा निंदा कश्मीर की घटना की भी होनी चाहिए. नेताओं को यह नहीं समझना चाहिए कि उनके धंधे से देश का प्रबुद्ध वर्ग भी उनसे प्रभावित हो जाएगा.
कार्यक्रम के दौरान मोदी सरकार के कार्यकाल में हुए विकास कार्यों और भ्रष्टाचार में आई कमी को बताया जा रहा था. ईटीवी भारत ने इंद्रेश कुमार से मोदी सरकार के बीते दो वर्ष के कार्यकाल के दौरान लिए गए दो बड़े निर्णय पर बात की, जिसके लिये विपक्ष लगातार सरकार की आलोचना करता रहा है. एक निर्णय जम्मू कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को हटाना है तो दूसरा तीन कृषि कानूनों का है, जिसके विरोध में बीते 10 महीने से दिल्ली आए बॉर्डरों पर किसान संगठन धरने पर बैठे हैं. कृषि कानूनों से जुड़े आंदोलन में तीन दिन पहले उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसक घटना में 8 लोगों को मौत हो गई थी, जिसमें 4 लोग किसान आंदोलन से जुड़े थे.
संघ के नेता इंद्रेश कुमार ने किसान आंदोलन पर कहा कि यह पूरे देश का आंदोलन न था और न है. आंदोलन में शामिल संगठनों ने कई बार भारत बंद का आह्वान किया, जो पूरी तरह से असफल रहा है. अब यह आंदोलन अतिवादियों और राजनीतिक दलों का शिकार हो कर रह गया है. इसलिए राजनीतिक दल इस काम पर लगे हैं कि किस तरह किसान आंदोलन के नाम पर देश की 130 करोड़ जनता को पीड़ित किया जाए. इस तरह से विपक्ष देश हित को अलग रख कर अपना राजनीतिक हित साधने में जुटा है.