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मध्य प्रदेश : इंदौर बना देश का पहला वाटर प्लस रैंकिंग वाला शहर, सूरत को पछाड़ा

वाटर प्लस सर्टिफिकेट पाने वाला इंदौर देश का पहला शहर बन गया है. स्वच्छता सर्वे की एक और सीढ़ी चढ़ते हुए इंदौर शहर को देश का पहला वाटर प्लस शहर बनने का सर्टिफिकेट मिला है.

: इंदौर बना देश का पहला वाटर प्लस रैंकिंग वाला शहर
: इंदौर बना देश का पहला वाटर प्लस रैंकिंग वाला शहर

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Published : Aug 12, 2021, 1:58 AM IST

इंदौर : देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर ने एक और उपलब्धि अपने नाम की है. इंदौर वाटर प्लस रैंकिंग में भी नंबर एक पर आया है. देश के तमाम शहरों के बीच हुई कड़ी प्रतिस्पर्था के बाद इंदौर को वाटर प्लस शहर के खिताब से नवाजा गया है. इंदौर देश का एकमात्र शहर है, जिसे वाटर प्लस रैंकिंग के लिए चुना गया है.

कुछ महीने पहले हुआ था सर्वे

कुछ महीने हुए वाटर प्लस रैंकिंग के सर्वे में इंदौर को सबसे मजबूत दावेदार माना जा जा रहा था, लेकिन फिर भी प्रतिस्पर्था काफी कड़ी थी. इस सर्वे के लिए दूषित जल प्रबंधन को लेकर केंद्र सरकार की टीम सर्वे करने के लिए इंदौर पहुंची थी. टीम ने कम्युनिटी टॉयलेट पब्लिक टॉयलेट (सीटीपीटी) के साथ 11 पैरामीटर पर सर्वे किया था. 11 पैरामीटर्स पर करीब 200 लोकेशन देखने के बाद इंदौर को वाटर प्लस सर्टिफिकेट दिया गया है.

इंदौर नगर निगम ने की नाला टैपिंग

देश के किसी शहर में अपने तरह के इस प्रयोग के लिए इंदौर नगर निगम ने 300 करोड़ रुपए में नाला टैपिंग कर दोनों नदियों और 27 नालों को सीवर मुक्त करने का काम किया गया. इसके लिए शहर के पांच हजार से ज्यादा परिवारों ने 20 करोड़ खर्च कर नाले में सीधे गिरने वाले आउटफॉल को बंद कर ड्रेनेज लाइन में कनेक्शन लिया.

इंदौर बना देश का पहला वाटर प्लस रैंकिंग वाला शहर

सर्वे के लिए तय किए गए थे 11 पैरामीटर

सर्वे के लिए केन्द्र सरकार ने वाटर प्लस के 11 पैरामीटर तय कर कुल 1800 नंबर रखे हैं. इनमें वाटर प्लस के 700 नंबर हैं. पिछली बार इंदौर को 500 नंबर मिले थे. हालांकि इस बार इंदौर में वाटर प्लस के लिए जरूरी नंबर हासिल कर लिए हैं गौरतलब है सेवन स्टार रैंकिंग के लिए इंदौर का मुकाबला सूरत, अहमदाबाद और मुंबई से था इंदौर को इस सर्वे में स्वच्छता के साथ अवशेष प्रबंधन और जल निस्तारण की सफल प्रक्रिया का लाभ मिला है.

3 साल से इंदौर नगर निगम कर रहा था तैयारी

इंदौर में सेवन स्टार रैंकिंग की तैयारी को लेकर बीते 3 साल से तैयारियां चल रही थी, यही वजह है कि नगर निगम ने 300 करोड़ रुपए से अधिक राशि का वह शहर की प्रमुख दो नदियों में अवशिष्ट जल प्रभाव को रोककर किया इसके लिए बड़े पैमाने पर शहर के तमाम नालों को नदियों में मिलने से रोका गया. इसके अलावा करीब 20 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद दूषित पानी को भी नदियों से मिलने से रोका गया. इसके अलावा सेवन स्टार रैंकिंग के लिए नगर निगम के 311 एप पर होने वाली शिकायतों के त्वरित निराकरण का भी लाभ इंदौर को मिला.

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यह थे वाटर प्लस के प्रोटोकॉल

स्वच्छ भारत मिशन के तहत उन शहरों के बीच स्वच्छता के साथ अपशिष्ट जल प्रबंधन को लेकर भी कड़ी स्पर्धा रही है जो वाटर प्लस रैंकिंग की श्रेणी हासिल करना चाहते थे. वाटर प्लस प्रोटोकॉल के तहत शहर के आवासी घरों और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों से निकलने वाले अपशिष्ट जल को जल स्त्रोतों में छोड़ने से पहले उसे उपचारित करने के मापदंड शहरी विकास मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए थे.

7 स्टार रैंकिंग के लिए 1100, वाटर प्लस के लिए 700 अंक थे

विभिन्न मापदंडों को पूरा करने के अलग अलग अंक निर्धारित थे, यह अंक संबंधित क्षेत्रों को उनके जल प्रबंधन प्रयासों और प्रयोगों को ध्यान में रखते हुए दिए गए नतीजतन वाटर प्लस सर्टिफिकेशन के 1800 नंबर में से 7 स्टार रैंकिंग के लिए 1100 नंबर और वाटर प्लस के लिए 700 अंक निर्धारित थे जो इंदौर को मिल सके हैं.

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