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भारत-पाक के बीच सुलझ सकता है सिंधु जल संधि मुद्दा : सिंधु आयुक्त पीके सक्सेना

इस महीने के अंत में होने वाली भारत और पाकिस्तान के सिंधु आयुक्तों की बैठक होने वाली है. इससे पहले ईटीवी भारत ने सिंधु जल संधि, इसके प्रासंगिक निहितार्थ और क्या उम्मीद की जा सकती है, जैसे विषयों पर भारत के सिंधु आयुक्त प्रदीप कुमार सक्सेना से बात की. पेश हैं साक्षात्कार के कुछ अंश.

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Published : Mar 15, 2021, 8:00 PM IST

नई दिल्ली :सिंधु जल संधि को लेकरइस महीने के अंत में भारत और पाकिस्तान के सिंधु आयुक्त बैठक करेंगे. 1960 में संधि पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद से भारत और पाकिस्तान ने 115 बैठकें कीं हैं. हालांकि, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद यह पहली बैठक होगी. बैठक से पहले भारत के सिंधु आयुक्त प्रदीप कुमार सक्सेना ने ईटीवी भारत से खात बातचीत की.

सवाल : सिंधु नदी जल संधि के बारे में हमें विस्तार से बताएं?

जवाब : भारत और पाकिस्तान के बीच 19 सितंबर 1960 को सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे. इसके प्रावधानों के तहत पूर्वी नदियों सतलज, ब्यास और रावी का औसत वार्षिक प्रवाह 33 मिलियन एकड़ फीट (MAF) के साथ भारत को आवंटित किया गया है. इसके अलावा भारत का दायित्व है कि वह पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब को औसत वार्षिक प्रवाह 135 MAF के आस-पास प्रवाहित करने दें. घरेलू और गैर-उपभोग को छोड़कर इस जल के साथ किसी भी तरह का हस्तक्षेप न होने पाए. भारत को पश्चिमी नदियों पर जलविद्युत उत्पादन के लिए अप्रतिबंधित अधिकार भी दिए गए हैं, जो डिजाइन और संचालन के लिए विशिष्ट मानदंडों के अधीन है.

सवाल : पाकिस्तान ने चिनाब नदी पर भारतीय जल विद्युत परियोजनाओं के बारे में चिंता जताई है? इस पर आपका क्या कहना है?

जवाब : संधि के तहत भारत अपने अधिकारों का पूर्ण उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए काम कर रहा है. हम चर्चा के माध्यम से मुद्दों के सौहार्दपूर्ण समाधान में विश्वास करते हैं. बैठक के दौरान चिनाब नदी पर भारतीय जल विद्युत परियोजनाओं के डिजाइन पर पाकिस्तान की आपत्तियों पर चर्चा की जा सकती है. यह आशा की जाती है कि निरंतर चर्चा के साथ इन मुद्दों पर एक सहमति बन पाएगी.

सवाल : भारत-पाकिस्तान संबंधों के लिए सिंधु जल संधि कितनी प्रासंगिक है?

जवाब : यह संधि सिंधु जल के उपयोग से संबंधित एक दूसरे के अधिकारों और दायित्वों को सही करती है. अच्छी तरह से परिभाषित तंत्र के माध्यम से इस मुद्दे के निपटारे के लिए प्रावधान करती है.

सवाल : भारत-पाक के बीच बढ़ते तनाव के संदर्भ में आगामी बैठक कितनी महत्वपूर्ण है?

जवाब : संधि के प्रावधानों के तहत भारत और पाकिस्तान के दोनों आयुक्तों को वैकल्पिक रूप से वर्ष में कम से कम एक बार मिलना अनिवार्य है. पिछले साल की बैठक जो पहले मार्च 2020 में नई दिल्ली में निर्धारित की गई थी, आपसी सहमति से महामारी की स्थिति को देखते हुए रद कर दी गई थी. सुधार होने के बाद कोविड-19 संबंधित प्रोटोकॉल के साथ यह अनिवार्य बैठक हो रही है.

सवाल : अनुच्छेद 370 के तहत विशेष प्रावधानों को निरस्त करने के बाद यह पहली बैठक होने के कारण क्या नई उम्मीद की जा सकती है? सिंधु जल संधि में भारत की भूमिका क्या होगी?

जवाब : वार्षिक बैठक अनिवार्य है और बैठक के लिए एजेंडा बैठक से पहले दोनों आयुक्तों द्वारा तय किया जाएगा. भारत इस संधि का एक हस्ताक्षरकर्ता है.

सवाल : आगे जाकर भारत और पाक के बीच पानी के टकराव और सहयोग को क्या माना जाएगा?

जवाब : संधि का अनुच्छेद IX आयुक्त, सरकार और फिर तीसरे पक्ष से शुरू होने वाले विवाद के समाधान के लिए बहु-स्तरीय तंत्र प्रदान करता है. भारत और पाकिस्तान के सिंधु आयुक्त स्थायी सिंधु आयोग की वार्षिक बैठक में शामिल होंगे. जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के तहत विशेष प्रावधानों को निरस्त होने के बाद दोनों आयुक्तों के बीच यह पहली बैठक होगी.

रिपोर्टों के अनुसार भारत ने लद्दाख में कई जल विद्युत परियोजनाओं को मंजूरी दी है. वे लेह के लिए दुर्बुक श्योक (19 मेगावाट), शंकर (18.5 मेगावाट), निमू चिलिंग (24 मेगावाट), रोंडो (12 मेगावाट), रतन नाग (10.5 मेगावाट) है, जबकि मैंगडुम संगरा (19 मेगावाट), कारगिल हंटरमैन (25 मेगावाट) ) और तमाशा (12 मेगावाट) कारगिल के लिए मंजूरी दे दी गई है.

सवाल : संक्षिप्त पृष्ठभूमि क्यों आवश्यक है?

जवाब : विभाजन के बाद विभाजित जल पर अधिकार और दायित्व आवश्यक थे. जल शक्ति मंत्रालय, जल संसाधन, नदी विकास, गंगा कायाकल्प विभाग के अनुसार स्वतंत्रता के समय नए बनाए गए दो स्वतंत्र देशों के बीच की सीमा रेखा पाकिस्तान और भारत सिंधु बेसिन के ठीक सामने खींची गई थी. इसके अलावा दो महत्वपूर्ण सिंचाई हेडवर्क्स, एक रावी नदी पर माधोपुर में और दूसरा सतलुज नदी पर फिरोजपुर में बनाया गया. जिस पर पंजाब (पाकिस्तान) में सिंचाई नहर की आपूर्ति पूरी तरह से निर्भर है. इस प्रकार मौजूदा सुविधाओं से सिंचाई के पानी के उपयोग को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद पैदा हो गया.

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1960 में सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (वर्ल्ड बैंक) के कार्यालय में वार्ता आयोजित की गई. कराची में फील्ड मार्शल मोहम्मद अयाज खान द्वारा हस्ताक्षर किए गए, जो पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति थे. तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और डब्ल्यूएबी 19 सितंबर 1960 को हस्ताक्षर किए. हालांकि, संधि 1 अप्रैल 1960 से प्रभावी है. यह ध्यान देने योग्य है कि आगामी बैठक दो साल के अंतराल के बाद 116वीं बैठक होगी.

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