नई दिल्ली : भारत-पाकिस्तान के बीच रिश्तों में तल्खी के संकेत इस बात से मिलते हैं कि भारत के साथ व्यापार फिर से शुरू करने के फैसले को खारिज करते हुए पाकिस्तान ने यू-टर्न ले लिया है. पाकिस्तान का यह कदम भारत से चीनी और कपास के आयात की अनुमति देने के लिए पाकिस्तान सरकार के पैनल के रणनीतिकारों ने उठाया. हालांकि इस कदम का फिर से गलत संदेश गया है.
सवाल :पाकिस्तान सरकार ने 'भारत की तरफ शांति का हाथ' बढ़ाया और अचानक उसने भारत के साथ व्यापार संबंधों को फिर से शुरू करने का फैसला किया. फिर इसे वापस भी ले लिया. भारत-पाक संबंधों के इस नाटकीय मोड़ पर आपका क्या कहना है?
जवाब :फ्लिप-फ्लॉप इसलिए हो गया क्योंकि इमरान खान की पार्टी से संबद्ध कुछ पार्टियों ने भारत से आयात करने के सवाल पर टांग अड़ाई. अब पाकिस्तान इन वस्तुओं को अन्य देशों से उच्च कीमतों पर आयात करेगा. मैं इन घटनाक्रमों को नाटकीय नहीं कहूंगा क्योंकि पाकिस्तान द्वारा इस तरह के फ्लिप-फ्लॉप अतीत में भी हुए हैं. इसलिए कहूंगा कि यह कोई नई बात नहीं है.
सवाल :कोई संदेह नहीं है कि पाक ने एक बार फिर कश्मीर का उल्लेख किया और कहा कि जब तक धारा 370 के फैसले को भारत पलट नहीं देता, तब तक हालात सामान्य नहीं हो सकते. क्या आपको लगता है कि यह पाकिस्तान द्वारा चली गई सामरिक चाल है? हम क्या उम्मीद कर सकते हैं?
जवाब :एक बार फिर यह मांग कोई नई नहीं है. यह पुरानी मांग ही है. इससे भारत को ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है. हमारे पास वही पुरानी स्थिति है जो पहले मौजूद थी. कई विश्लेषकों ने इसकी उम्मीद की थी और इसलिए भारत बिल्कुल भी आश्चर्यचकित नहीं हैं.
सवाल :दोनों पड़ोसियों के बीच संबंधों को आसान बनाने की बहुप्रचारित धारणा के बीच इस तथ्य पर आपकी क्या राय होगी. क्या संवाद संभव है?
जवाब : संवाद तभी संभव होगा जब दोनों पक्ष इस पर राजी होंगे. इस प्रक्रिया में विश्वास रखेंगे और जो भी निर्णय आ सकते हैं उनका पालन किया जाए और ईमानदारी से लागू किया जाएगा.
सवाल :क्या भारत के साथ व्यापार फिर से शुरू करने या भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने के लिए इमरान खान की टीम द्वारा निर्णय बदलने पर कोई राजनीतिक गलतफहमी हुई? किसके दबाव में पाकिस्तान ने अपना फैसला बदला? आपका क्या कहना है?
जवाब : कृपया यह याद रखें कि वर्तमान प्रयासों को पाकिस्तानी सेना द्वारा नियंत्रित किया गया है. पहला, नियंत्रण रेखा पर शांति को पुनर्जीवित करने के लिए भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच समझौता हुआ. इसके बाद पाकिस्तान सीओएएस ने भारत-पाकिस्तान के बीच शांति और सहयोग की आवश्यकता की घोषणा करते हुए एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में टिप्पणी की. इसलिए मैं कहूंगा कि भारत को चर्चा के लिए पाकिस्तानी सेना के साथ उस ट्रैक को जारी रखना चाहिए.