नई दिल्ली :भारत को शक्तिशाली चीन से भारी सैन्य चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. मई 2020 के बाद से कठिन काराकोरम और शक्तिशाली हिमालय में चल रहे सीमा गतिरोध के कारण ऐसा संभव है. इसलिए बजट में स्पष्ट संदेश दिया गया है कि उस रास्ते पर चलने के लिए स्वदेशी प्रयासों से सैन्य रूप से शक्तिशाली बनना जरुरी है. यही कारण है कि निजी क्षेत्र द्वारा इसमें तेजी लाने का प्रयास (Efforts by the private sector to accelerate) किया जाएगा.
यही कारण है कि केंद्रीय बजट 2022 में रक्षा आवंटन (Defense allocation in the Union Budget 2022) के सभी चार प्रमुख आकर्षण स्वदेशी और निजी जोर को रेखांकित करते हैं. सबसे पहले आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए स्पष्ट नीति है. नए और उन्नत हथियारों, प्लेटफार्मों और प्रणालियों के अधिग्रहण के लिए किए जाने वाले पूंजीगत व्यय का 68 प्रतिशत केवल स्थानीय खरीद के लिए आरक्षित किया जाएगा. यह पिछले साल आरक्षित 58 प्रतिशत से उल्लेखनीय वृद्धि है.
दूसरा, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने घोषणा की है कि निजी कंपनियों, स्टार्टअप्स और शिक्षाविदों की सहायता के लिए आरएंडडी बजट का एक-चौथाई हिस्सा अलग रखा जाएगा. यह रक्षा निर्माण में सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं के हावी होने के साथ-साथ कई नए निजी फर्मों के लिए एक प्रोत्साहन है. जो उन्नत प्रौद्योगिकी के विकास और दोहन में उल्लेखनीय काम कर रहे हैं.
तीसरा, जो अधिक लागत प्रभावी होने के अलावा स्वदेशी उद्योगों के लिए मंजूरी में तेजी ला सकता है. रक्षा प्रणालियों और प्लेटफार्मों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए परीक्षण और प्रमाणन के लिए एक नोडल निकाय स्थापित किया जा रहा है. चौथा, संयुक्त विकास प्रणालियों में निजी भूमिका को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) मॉडल की परिकल्पना की गई है. वित्त मंत्री ने अपने बयान में कहा कि निजी उद्योग को एसपीवी मॉडल के माध्यम से डीआरडीओ और अन्य संगठनों के सहयोग से सैन्य प्लेटफार्मों और उपकरणों के डिजाइन और विकास के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.
कुल मिलाकर कुल रक्षा परिव्यय को 2021-22 में 4.78 लाख करोड़ रुपये से लगभग 9.9 प्रतिशत बढ़ाकर 2022-23 के लिए 5.25 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है. पूंजीगत व्यय या नए हथियारों, प्लेटफार्मों और प्रणालियों को खरीदने के लिए किए गए खर्च के सबसे महत्वपूर्ण घटक में 2022-23 आवंटन में पिछले साल के संशोधित अनुमान 138850 करोड़ रुपये से 152369 करोड़ रुपये तक 9.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है.
राजस्व व्यय में वेतन का भुगतान और प्रतिष्ठानों के रखरखाव शामिल हैं, जिसमें 2022-23 के लिए 233000 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ है. रक्षा पेंशन के लिए 119696 करोड़ रुपये अलग रखे गए हैं, जबकि 20100 करोड़ रुपये रक्षा मंत्रालय (नागरिक) के लिए अलग रखे गए हैं. बजट वक्तव्य के तुरंत बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने कैबिनेट सहयोगी सीतारमण के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए ट्वीट किया कि रक्षा पूंजी खरीद बजट का 68 प्रतिशत स्थानीय खरीद के लिए आवंटित किया गया है. यह वोकल फॉर लोकल के अनुरूप है और यह निश्चित रूप से घरेलू रक्षा उद्योगों को बढ़ावा देगा. सिंह ने कहा कि आरएंडडी बजट का 25 प्रतिशत स्टार्टअप और निजी संस्थाओं के लिए आरक्षित करने का प्रस्ताव एक उत्कृष्ट कदम है.
भारतीय रक्षा उद्योग के एक शीर्ष निकाय सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स (एसआईडीएम) के अध्यक्ष एसपी शुक्ला ने कहा कि एसआईडीएम घरेलू उद्योगों के लिए रक्षा बजट के पूंजी परिव्यय का 68% अलग करने की घोषणा का स्वागत करता है. यह निवेश को बनाए रखेगा और नए क्षमता निर्माण को आकर्षित करेगा. रक्षा प्रणालियों और प्लेटफार्मों की परीक्षण और प्रमाणन आवश्यकताओं की स्थापना के लिए एक नोडल निकाय का निर्माण घरेलू उद्योग को तेज प्रक्रियाओं और लागत-दक्षता के माध्यम से मदद करेगा.
शुक्ल ने कहा कि स्टार्टअप, अकादमिक और निजी उद्योग के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास बजट का 25% आवंटन बहुत ही आवश्यक सुधार है. हम अनुसंधान और नवाचार को इस बड़े प्रोत्साहन के लिए रक्षा मंत्रालय और वित्त मंत्रालय को धन्यवाद देते हैं.