नई दिल्ली : चीन से सटी सीमा की निगरानी करने के लिए भारत ने जिस यूएवी (मानव रहित हवाई विमान) को तैनात किया है, वह 300 किमी की रेंज को कवर करता है. सेना के लिए यह 'रिमोटली पायलेटेड व्हीक्लस' किसी 'आंख' से कम नहीं है. बल्कि यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि भारत के लिए यह 'गेंम चेंजर' साबित हो रहा है. न सिर्फ सीमा पर सुरक्षा पुख्ता हुई है, बल्कि पास से इलाकों में उग्रवाद पर भी नजर रखने में काफी हद तक सफलता मिली है.UAV on LAC.
सीमा से सटे इलाकों में उग्रवादी किस तरीके से मूव करते हैं, या फिर वे किस तरीके की रेडियो फ्रीक्वेंसी का उपयोग कर रहे हैं, सब कुछ इसके जरिए ट्रैक किया जा सकता है.अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन, जिस तरह का रवैया अपना रहा है, इसे दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा मानता है, उसके मद्देनजर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि भविष्य में दोनों देशों के बीच तनाव और अधिक बढ़े. ऐसी स्थिति में तीन फैक्टर, ISR (खुफिया, निगरानी और टोही) जितने अधिक मजबूत होंगे, भारत की स्थिति उतनी अधिक मजबूत होगी. भारत इसे ही मजबूत कर रहा है.
यूएवी की तैनाती आईएसआर को सपोर्ट कर रहा है. फिर चाहे हमें यूएवी बाहर से आयात करना पड़ रहा हो, तो होने दीजिए. इस इलाके में 'हेरोन्स' यूएवी सबसे अधिक कारगर रहा है. उत्तर पूर्व इलाकों में उग्रवादियों पर नजर रखने में भी यह रणनीति काफी कारगर रही है. सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम विद्रोही ठिकाने, उनके शिविरों के लेआउट, उनके आंदोलन सहित विद्रोहियों की संख्या, संचालन के दौरान लाइव फीड प्रदान करने आदि संबंधित जानकारी साझा कर रहे हैं और आतंकवाद विरोधी अभियानों में हम बखूबी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं.