नई दिल्ली : निकट भविष्य में भारत दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों में शामिल होने की तैयारी कर रहा है. इसके लिए 35 वर्ष से कम है आयु के लगभग 50 वैज्ञानिकों का एक समूह भविष्यवादी हथियार प्रणालियों, प्लेटफार्मों और उपकरणों को विकसित करने के लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट में ओवरटाइम काम कर रहा है.
यह युवा 50 वैज्ञानिकों को पांच प्रयोगशालाओं में विभाजित किया गया है, जो प्रत्येक एक विशिष्ट विशेषज्ञता के साथ काम कर रहे हैं.
इस संबंध में डीआरडीओ के एक प्रवक्ता ने ईटीवी भारत को बताया कि उन्हें (वैज्ञानिकों) एक लैब के निदेशक की सभी शक्तियां दी गई हैं, जो कि लगभग 25 वर्षों के अनुभव के बाद दी जाती हैं.
उन्होंने बताया कि डीआरडीओ की मौजूदा संरचना से उनका कोई सीधा हस्तक्षेप नहीं है, इसलिए वे कार्य और अपनी कार्यशैली को विकसित कर सकते हैं.
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के तहत एक साल पहले शुरू हुई, ये पांच प्रयोगशालाएं आर्टिफिशियस इंटेलिजेंस (AI), क्वांटम टेक्नोलॉजी, कॉग्निटिव टेक्नोलॉजी, असिम्मेट्रिक टेक्नोलॉजी और स्मार्ट मटीरियल के साथ बेंगलुरु, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता और हैदराबाद में मौजूद हैं.
उन्होंने कहा कि वरिष्ठ, अनुभवी वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों की एक सर्वोच्च समिति सीधे वैज्ञानिकों का मार्गदर्शन करती है.
डीआरडीओ के प्रवक्ता ने कहा कि इनमें से प्रत्येक प्रयोगशाला में काम करने वाले वैज्ञानिक उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकियों जैसे फेस रिकग्निशन सिस्टम और इंटरनेट ऑफ बैटल थिंग्स (IoBT), नए आकार की मेमोरी एलॉय, सॉफ्ट रोबोटिक्स के लिए स्मार्ट एक्ट्यूएटर्स, फ्लैपिंग एयर वाहन, विकास के लिए स्मार्ट मटीरियल-आधारित एक्ट्यूएटर्स, क्वांटम रैंडम नंबर, क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन, कॉग्निटिव सर्विलांस टेक्नोलॉजी और कई एडवांस टेक्नोलॉजी और टास्क पर काम कर रहे हैं.