नई दिल्ली: यह कहते हुए कि 2030 तक भारत की बिजली खपत क्षमता दोगुनी हो जाएगी, एक संसदीय सलाहकार समिति (Parliamentary Consultative Committee) ने मंगलवार को इस बात पर प्रकाश डाला कि बिजली उत्पादन बढ़ाने और तदनुसार ट्रांसमिशन क्षमता को मजबूत करने की आवश्यकता है. मौजूदा समय में देश में बिजली की खपत (electricity consumption in india) 1,400 बिलियन यूनिट है और यह 2030 तक दोगुनी हो जाएगी. इसलिए बिजली उत्पादन बढ़ाने और तदनुसार पारेषण क्षमता को मजबूत करने की जरूरत है, बिजली मंत्रालय से जुड़ी संसदीय सलाहकार समिति की बैठक में इस बात पर जोर दिया गया.
केंद्रीय बिजली मंत्री और एमएनआरई आर.के. सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में विश्वास व्यक्त किया गया कि देश में प्रसारण तेजी से बढ़ेगा. बताया गया कि इंटीग्रेटेड नेटवर्क (जनरल नेटवर्क एक्सेस) से कहीं से भी बिजली खरीदना और बेचना आसान हो जाता है. सरकार ने अक्षय ऊर्जा को पूरा करने के लिए आरई प्रबंधन केंद्र भी खोले हैं. हमने पारदर्शिता और समान अवसर के लिए सेंट्रल ट्रांसमिशन यूटिलिटी (सीटीयू) बनाया है. बैठक में बताया गया कि पारेषण प्रणाली बिजली व्यवस्था की रीढ़ है.
एकीकृत ट्रांसमिशन नेटवर्क कहीं भी बिजली उत्पन्न करने की अनुमति देते हैं. सिंह ने कहा कि 'हमारे पास देश के लिए वन नेशन, वन ग्रिड, वन फ्रीक्वेंसी, वन नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर है, जिसके परिणामस्वरूप एक बाजार है. भारत की पारेषण प्रणाली विश्व का प्रमुख एकीकृत ग्रिड है.' केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) के प्रतिनिधि ने बैठक में उपस्थित सांसदों को भारत में राष्ट्रीय विद्युत ग्रिड के विकास और इसके महत्व को संबोधित करने के लिए किए जा रहे विभिन्न उपायों और इनके बारे में सूचित करने के लिए एक प्रस्तुति दी है.