नई दिल्ली :भारतीय नौसेना (Indian Navy) भविष्य के क्वांटम सेंसर विकसित करने और हासिल करने के लिए उत्सुक है. जो कि महासागरों को पारदर्शी और पनडुब्बियों को बेमानी बनाकर सैन्य और आधुनिक नौसैनिक युद्ध के क्षेत्र में क्रांति (Revolution in the field of modern naval warfare) ला सकता है.
वार्षिक नौसेना दिवस मीडिया प्रेस कॉन्फ्रेंस (Annual Navy Day Media Press Conference) के मौके पर नौसेना के एक शीर्ष अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया कि विघटनकारी प्रौद्योगिकियों के बीच हम क्वांटम सेंसर की तलाश कर रहे हैं. जिसके लिए निजी व सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों में बहुत सारी शोध गतिविधियां संचालित हो रही हैं. यह तकनीक ये सुनिश्चित करेगी कि पनडुब्बियों के पास छिपने के लिए कोई जगह नहीं है.
पनडुब्बियां, आज सबसे उन्नत सैन्य प्लेटफार्मों में से हैं जो बहु-भूमिका संचालन में सक्षम हैं. उनकी शक्ति उनकी गुप्त क्षमता में निहित है, जिसके कारण वे सबसे अधिक परमाणु स्ट्राइक फोर्स होने के अलावा समुद्र में घूम सकती हैं. वहीं, परमाणु और उप-परमाणु कणों के व्यवहार के आधार पर क्वांटम सेंसर, गहरे पानी के नीचे या अंतरिक्ष में जीपीएस क्षमताओं की अनुपस्थिति में गति का पता लगा सकते हैं और ट्रैक भी कर सकते हैं.
आधुनिक युद्ध में इस तरह की विघटनकारी तकनीक के महत्व को रेखांकित करते हुए भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार (Indian Navy chief Admiral R Hari Kumar) ने अपने संबोधन में कहा कि उनका उद्देश्य समुद्र में अपना काम करने के बेहतर तरीके खोजने की तकनीक तलाश करना है.
एडमिरल कुमार ने तीन दिन पहले 30 नवंबर 2021 को पूर्व प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह से पदभार संभाला था. उदाहरणों का हवाला देते हुए एडमिरल कुमार ने कहा कि पिछले वर्ष हमने नौसेना के लिए विशिष्ट प्रौद्योगिकियों या उत्पादों को विकसित करने की दिशा में विभिन्न परियोजनाओं के लिए 35 से अधिक स्टार्टअप और एमएसएमई को समर्थन दिया है.
इसके अतिरिक्त भारतीय नौसेना द्वारा डीआरडीओ के साथ साझेदारी में 17 प्रौद्योगिकी विकास कोष (Technology Development Fund) परियोजनाओं का अनुसरण किया जा रहा है. जो कि प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए हैं जो हमारे प्लेटफॉर्म पर फिट किए जाने वाले उपकरणों का निर्माण करेंगे.
पिछले साल से डीआरडीओ (Defense Research and Development Organization) ने वरिष्ठ और अनुभवी वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों की एक चुनिंदा टीम द्वारा निर्देशित अनुसंधान और विकास गतिविधियों का संचालन करने के लिए मुंबई में एक अत्याधुनिक प्रयोगशाला में युवा वैज्ञानिकों को लगाया गया है.