नई दिल्ली:भारत की इस रुख को लेकर आलोचना की गई है उसने रूस से रियायती दर पर कच्चा तेल खरीदने के लिए रास्ते खुले रखे हैं. इसके बाद सरकार की टिप्पणी सामने आई है. सूत्रों ने कहा कि यूक्रेन संघर्ष के कारण कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी ने भारत की चुनौतियां बढ़ा दी है. इससे स्वभाविक रूप से प्रतिस्पर्धी दर पर तेल प्राप्त करने को लेकर दबाव बढ़ा है.
उन्होंने कहा कि रूस बहुत कम मात्रा में भारत को कच्चे तेल का निर्यात करता है जो देश की जरूरत का एक फीसदी से भी कम है. सूत्रों ने कहा कि आयात के लिए सरकारों के बीच कोई समझौता भी नहीं है. सूत्रों ने बताया कि भारत प्रतिस्पर्धी ऊर्जा स्रोतों पर ध्यान केंद्रित करते रहेगा. हम सभी उत्पादकों के ऐसे प्रस्तावों का स्वागत करते हैं. भारतीय व्यापारी भी सर्वोत्तम विकल्प तलाशने के लिए वैश्विक ऊर्जा बाजारों में काम करते हैं. रूस ने यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई के बाद पश्चिमी पाबंदियों की वजह से भारत को रियायती दर पर कच्चा तेल बेचने की पेशकश की है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Foreign Ministry spokesperson Arindam Bagchi) ने रूस से रियायती दर पर तेल खरीदने की संभावना से बृहस्पतिवार को इनकार नहीं किया और कहा कि वह बड़ा तेल आयातक होने की वजह से हमेशा सभी संभावनाओं पर विचार करता है. मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि भारत अपनी जरूरत का अधिकतर तेल आयात करता है, उसकी जरूरतें आयात से पूरी होती हैं. इसलिए हम वैश्विक बाजार में सभी संभावनाओं का दोहन करते रहते हैं क्योंकि इस परिस्थिति में हमें अपने तेल की जरूरतों के लिए आयात का सामना कर पड़ रहा है.