नई दिल्ली:विदेशी मामलों में गुटनिरपेक्षता और रणनीतिक स्वायत्तता (Non alignment and Strategic Autonomy) की पारंपरिक भारतीय स्थिति को मौजूदा समय में बदलती वैश्विक व्यवस्था में धीरे-धीरे सामंजस्य बैठाना पड़ रहा है. कई प्रमुख मुद्दों पर भारत का रुख अमेरिका और रूस दोनों के दबाव के साथ जल्द ही एक विकल्प तैयार करने की ओर अग्रसर है. साउथ ब्लॉक में भारत की विदेश नीति का प्रबंधन करने वालों पर कई मुद्दों पर निर्णायक स्थिति लेने का जबरदस्त दबाव है. जो नई वैश्विक व्यवस्था की रूपरेखा को परिभाषित करने लगे हैं, जो कि चीन के महाशक्ति के रूप में उभरने और अमेरिका और चीन-रूस के नेतृत्व में नये ब्लॉक बना रहा है.
यूक्रेन-रूस
यूक्रेन संकट जो अब किसी भी बड़ा हो सकता है, पर भारत अपनी नीति पर अडिग है. रूस-यूक्रेन सीमाओं के साथ-साथ तटीय जल में रूस विशाल सैन्य तैनाती कर चुका है. जिससे युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं क्योंकि दूसरी तरफ अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो बलों के साथ समानुपाती ताकत खड़ी है. इससे भारत एक विकट स्थिति का सामना कर रहा है. रूस पिछले आठ दशकों से भारत का आजमाया हुआ मित्र रहा है. इस गहरे सहयोग को दिसंबर 2021 में हुए एक समझौते द्वारा 2031 तक बढ़ा दिया गया है. वैसे भी लगभग 60 प्रतिशत भारतीय हथियार और सिस्टम पहले से ही रूसी हैं.
दूसरी ओर यूक्रेन, कई भारतीय सैन्य उपकरणों और प्लेटफार्मों के पुर्जों के लिए प्रमुख आपूर्तिकर्ता है. भारत के साथ सोवियत युग के संबंधों की विरासत को अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है. जिससे भारत के लिए इसे चुनना मुश्किल हो गया है. अब तक भारत ने यूक्रेन पर अमेरिका और रूस के बीच वाक युद्ध पर चुप्पी बनाए रखी है. यूक्रेन पर भारत के गैर-प्रतिबद्ध रुख का नतीजा यह है कि मेलबर्न में अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद 11 फरवरी 2022 को क्वाड संयुक्त बयान में यूक्रेन का कोई संदर्भ नहीं था.
चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता (क्वाड)
ऐसा माना जाता है कि क्वाड के उड़ान नहीं भरने के कारणों में से एक यह भी है कि भारत की ओर से उल्लेखनीय अनिच्छा रही है. अमेरिका के लिए चीन के खिलाफ स्टैंड लेने और रूस के साथ दूरी बनाने में भारत व्यस्त है. इसीलिए अमेरिका समय-समय पर भारत की आलोचना करता रहता है. 11 फरवरी 2022 को अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अमेरिकी राजदूत-एट-लार्ज व राशद हुसैन ने भारतीय मुस्लिम महिलाओं द्वारा हिजाब पहनने पर बढ़े विवाद पर कड़े शब्दों में भारत की आलोचना की.
उन्होंने ट्वीट किया कि धार्मिक स्वतंत्रता में किसी की धार्मिक पोशाक को चुनने की क्षमता शामिल है. स्कूलों में हिजाब प्रतिबंध धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है. भारत-अमेरिका संबंधों में नाजुकता का एक और संकेत यह होगा कि अमेरिका ने अभी तक रूस से शक्तिशाली एस-400 वायु रक्षा प्रणाली खरीदने के लिए भारत को छूट नहीं दी है. 2020 में DRDO और रूस के रोसोबोरोन एक्सपोर्ट के बीच रॉकेट और मिसाइलों को पावर देने के लिए उन्नत पायरोटेक्निक इग्निशन सिस्टम विकसित करने के लिए एक प्रौद्योगिकी विकास अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे.