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कोलकाता में खोला गया भारत का पहला जासूसी विभाग - देश पहला जासूसी विभाग कलकत्ता पुलिस

देश में पहला जासूसी विभाग कलकत्ता पुलिस (अब कोलकाता पुलिस) द्वारा स्थापित किया गया था. वर्तमान कोलकाता पुलिस के जासूसी विभाग ने 28 नवंबर, 1868 को पूरे देश को अपराध की जांच करना सिखाया.

India's first detective department was formed in Kolkata
भारत का पहला जासूसी विभाग कोलकाता में स्थापित किया गया

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Published : Nov 19, 2022, 11:15 AM IST

Updated : Nov 19, 2022, 11:54 AM IST

कोलकाता: कोलकाता पुलिस के तहत जासूसी विभाग शहर में अपराध का पता लगाने और रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. लेकिन कोलकाता पुलिस के डिटेक्टिव डिपार्टमेंट की इस कामयाबी का सफर इतना आसान नहीं था जितना दिख रहा है. वर्तमान कोलकाता पुलिस के जासूसी विभाग ने 28 नवंबर, 1868 को पूरे देश को अपराध की जांच करना सिखाया.

जिस व्यक्ति को उस खुफिया जानकारी के उदय के लिए सबसे अधिक श्रेय दिया जाना चाहिए, वह कलकत्ता पुलिस (अब कोलकाता पुलिस) के तत्कालीन पुलिस आयुक्त सर स्टुअर्ट सॉन्डर्स हॉग हैं. उनका नेतृत्व रिचर्ड रीड और तत्कालीन प्रख्यात जासूसों जैसे इंस्पेक्टर आर लैम्ब, श्रीनाथ पाल और कालीनाथ बोस ने किया था. पूरे प्रकरण की शुरुआत 1 अप्रैल, 1868 को हुई. उत्तरी कोलकाता के एमहर्स्ट स्ट्रीट थाना क्षेत्र में रोज ब्राउन नाम की एक एंग्लो-इंडियन महिला की रहस्यमयी मौत हो गई. बाद में पता चला कि कुछ हमलावरों ने एंग्लो इंडियन महिला की बेरहमी से हत्या कर दी थी.

18वीं शताब्दी में देश के विभिन्न छोटे और बड़े अखबारों ने कलकत्ता (कोलकाता) के बीचोबीच एक एंग्लो-इंडियन महिला की हत्या की निंदा की. एमहर्स्ट स्ट्रीट पुलिस स्टेशन के पुलिस ने पुलिस मुख्यालय लालबाजार के आदेश पर तुरंत पूरी घटना की जांच शुरू कर दी. लेकिन कई दिनों के बाद भी संबंधित थाने के जांच अधिकारी हमलावरों का कोई सुराग नहीं लगा पाए.

तत्कालीन कलकत्ता पुलिस राजधानी के बीचोबीच एंग्लो-इंडियन महिला की हत्या की गुत्थी सुलझाने में नाकाम रही और देश-विदेश के कई जाने-माने समाचार मीडिया में प्रकाशित हुई. उसके बाद तत्कालीन कलकत्ता पुलिस कमिश्नर सर स्टुअर्ट सॉन्डर्स हॉग ने खुद जांच शुरू की थी और कई सच्चाइयों का सामना किया. उस समय स्टुअर्ट सॉन्डर्स हॉग ने महसूस किया कि इस प्रकार की हत्या या अपराध से निपटने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित अधिकारियों के साथ एक विशेष इकाई बनाई जानी चाहिए.

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इसके बाद, 28 नवंबर, 1868 को इसे बनाया गया. इसके लिए 10 हेड कांस्टेबल, 10 द्वितीय श्रेणी कांस्टेबल और 10 तृतीय श्रेणी कांस्टेबल और एक कुशल पुलिस अधीक्षक और कुछ कुशल निरीक्षकों का चयन किया गया. इस जासूस विभाग के प्रमुख में रिचर्ड रीड था. तत्कालीन सक्षम निरीक्षक आर. लैम्ब ने जांच में उनकी सहायता की. परिस्थितिजन्य साक्ष्य कैसे इकट्ठा करें, अपराध से जुड़े संदिग्धों के नामों की सूची कैसे बनाएं, संदिग्धों से व्यक्तिगत रूप से कैसे पूछताछ करें और उनसे आमने-सामने जिरह कैसे करें - यह सब इस विभाग के कर्मियों को सिखाया गया. इसके बाद सफलता मिली. लालबाजार के जासूसी विभाग ने शहर के बीचोबीच एंग्लो-इंडियन महिला रोज ब्राउन की हत्या में शामिल हमलावरों को गिरफ्तार कर पूरे देश की पुलिस व्यवस्था को झकझोर कर रख दिया था.

Last Updated : Nov 19, 2022, 11:54 AM IST

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