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भारतीय वैज्ञानिकों ने विकसित किया 3D प्रिंटेड ह्यूमन कॉर्निया - LV Prasad Eye Institute

हैदराबाद के वैज्ञानिकों ने देश में पहली बार 3डी प्रिंटेड कॉर्निया को विकसित किया है. शोध के तहत इस पहले खरगोश की आंख में प्रत्यारोपित किया गया था. एल.वी. प्रसाद आई इंस्टीट्यूट (LVPEI), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी हैदराबाद (IITH) और सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB) ने इंसानी आंख से डिसेल्युलराइज्ड कॉर्नियल टिशू और स्टेम सेल्स निकालकर बायोमिमीटिक हाइड्रोजेल बनाया. इसी हाइड्रोजेल से 3D प्रिंटेड कॉर्निया बनाया गया.

हैदराबाद
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Published : Aug 16, 2022, 4:26 PM IST

हैदराबाद :भारतीय वैज्ञानिकों ने पहली बार 3D प्रिंटेड कॉर्निया बना लिया है. इससे आंखों की परेशानी से जूझ रहे लोगों की मदद हो सकेगी. ये 3D प्रिंटेड कॉर्निया एलवी प्रसाद आई इंस्टीट्यूट (LVPEI), आईआईटी हैदराबाद (IITH) और सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB) के वैज्ञानिकों ने मिलकर बनाया है. इस कॉर्निया को एक खरगोश में ट्रांसप्लांट भी किया गया है. इस कॉर्निया को इंसान की आंख के कॉर्नियल टिशू से बनाया गया है. कॉर्निया को पूरी तरह से देश के वैज्ञानिकों ने स्वदेशी तकनीक से ही बनाया है. इसमें कोई सिंथेटिक कंपोनेंट नहीं है और इसे मरीजों को भी लगाया जा सकता है.

न्यूज एजेंसी के मुताबिक, LVPEI, IITH और CCMB के वैज्ञानिकों ने इंसानी आंख से डिसेल्युलराइज्ड कॉर्नियल टिशू और स्टेम सेल्स निकालकर बायोमिमीटिक हाइड्रोजेल बनाया. इसी हाइड्रोजेल से 3D प्रिंटेड कॉर्निया बनाया गया. वैज्ञानिकों का कहना है कि ये 3D प्रिंटेड कॉर्निया इंसान की आंख के कॉर्नियल टिशू से तैयार किया गया है, इसलिए ये पूरी तरह से बायोकम्पेटिबल और प्राकृतिक है. LVPEI के वैज्ञानिक डॉ. सयान बसु और डॉ. विवेक सिंह ने बताया कि इससे कॉर्नियल स्कैरिंग (जिसमें कॉर्निया अपारदर्शी हो जाता है) और केराटोकोनस (जिसमें कॉर्निया पतला हो जाता है) जैसी बीमारियों का इलाज करने में मददगार साबित होगा.

उनका कहना है कि ये पूरी तरह से स्वदेशी उत्पाद है और पहला 3D प्रिंटेड ह्यूमन कॉर्निया है जो ट्रांसप्लांटेशन के लिए भी सही है. उन्होंने बताया कि कई बार चोट की वजह से आर्मी जवानों का कॉर्निया खराब हो जाता है. ऐसे में 3D प्रिंटेड कॉर्निया से उन जवानों की रोशनी को बचाया जा सकता है.

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