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कोरोना वायरस का भारतीय म्युटेंट 17 देशों में मिला : डब्ल्यूएचओ - covid variant india

डब्ल्यूएनओ ने कहा कि कोरोना वायरस का भारतीय प्रकार 17 देशों में पाया गया है. एक अध्ययन में बताया गया कि दूसरी लहर का प्रसार भारत में पहली लहर के प्रसार की तुलना में बहुत ही घातक है.

डब्ल्यूएचओ
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Published : Apr 28, 2021, 7:29 PM IST

जिनेवा: कोरोना वायरस का भारतीय प्रकार जिसे बी.1.617 के नाम से या 'दो बार रूप परिवर्तित कर चुके प्रकार' के तौर पर जाना जाता है, वह कम से कम 17 देशों में पाया गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने यह बात कही है. दुनिया में पिछले हफ्ते कोरोना संक्रमण के 57 लाख मामले सामने आए. इन आंकड़ों ने इससे पहले की सभी लहरों के चरम को पार कर लिया है.

संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी ने अपने साप्ताहिक महामारी संबंधी जानकारी में कहा सार्स-सीओवी-2 के बी.1.617 प्रकार या भारतीय प्रकार को भारत में कोरोना वायरस के मामले बढ़ने का कारण माना जा रहा है, जिसे डब्ल्यूएचओ ने रुचि के प्रकार (वैरिएंट्स ऑफ इंटरेस्ट -वीओआई) के तौर पर निर्दिष्ट किया है.

इसने कहा, 27 अप्रैल तक जीआईएसएआईडी में करीब 1,200 अनुक्रमों (सीक्वेंस) को अपलोड किया गया. वंशावली बी.1.617 को कम से कम 17 देशों में मिलने वाला बताया.

जीआईएसएआईडी 2008 में स्थापित वैश्विक विज्ञान पहल और प्राथमिक स्रोत है, जो इंफ्लुएंजा विषाणुओं और कोविड-19 वैश्विक माहामारी के लिए जिम्मेदार कोरोना वायरस के जीनोम डेटा तक खुली पहुंच उपलब्ध कराता है.

एजेंसी ने कहा, पैंगो वंशावली बी.1.617 के भीतर सार्स-सीओवी-2 के उभरते प्रकारों की हाल में भारत से एक वीओआई के तौर पर जानकारी मिली थी. डब्ल्यूएचओ ने इसे हाल ही में वीओआई के तौर पर निर्दिष्ट किया है.

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डब्ल्यूएचओ ने कहा कि अध्ययनों ने इस बात पर जोर दिया है कि दूसरी लहर का प्रसार भारत में पहली लहर के प्रसार की तुलना में बहुत तेज है.

विश्व स्वास्थ्य निकाय की रिपोर्ट में कहा, जीआईएसएआईडी को सौंपे गए अनुक्रमों पर आधारित डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रारंभिक प्रतिरूपण से सामने आया है कि बी.1.617 भारत में प्रसारित अन्य प्रकारों से अधिक गति से विकसित हो रहा है, जो संभवत: अधिक संक्रामक है, साथ ही अन्य प्रसारित हो रहे वायरस के प्रकार भी अधिक संक्रामक मालूम हो रहे हैं.

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि अन्य कारकों में जन स्वास्थ्य एवं सामाजिक उपायों का क्रियान्वयन एवं पालन से जुड़ी चुनौतियां, सामाजिक सभाएं (सांस्कृतिक एवं धार्मिक उत्सव और चुनाव आदि) शामिल हैं. इन कारकों की भूमिका को समझने के लिए और जांच किए जाने की जरूरत है.

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