नई दिल्ली : प्रधानमंत्री की विशेष बैठक के बाद विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला ने यूक्रेन में फंसे छात्रों पर कई अहम जानकारियां दीं हैं. उन्होंने कहा कि 20 हजार भारतीय फंसे हुए थे, जिनमें से करीब 12 हजार छात्र यूक्रेन छोड़ चुके हैं. यानि वे पूरी तरह से सुरक्षित हैं. उन्होंने कहा कि बाकी के आठ हजार छात्रों में से आधे छात्र खारकीव और सुमी एरिया में फंसे हुए हैं और शेष आधे छात्र पश्चिमी यूक्रेन की ओर बढ़ रहे हैं. यानी यूक्रेन की राजधानी कीव में अब कोई भी भारतीय छात्र नहीं हैं.
विदेश सचिव ने बताया कि अभी तक की जानकारी के मुताबिक कीव में फंसे किसी भी भारतीय छात्र ने दूतावास को फोन नहीं किया है. ऐसा लगता है कि कीव से सभी भारतीय निकलकर पश्चिमी यूक्रेन की ओर बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगले तीन दिनों में कम के कम 26 विशेष उड़ानों की व्यवस्था की गई है. ये सभी उड़ानें बुखारेस्ट और बुडापेस्ट से संचालित होंगी. विदेश सचिव ने बताया कि पोलैंड और स्लोवाकिया के एयरपोर्ट का भी इस्तेमाल हो सकता है.
विदेश मंत्रालय ने बताया कि यूक्रेन को मानवीय सहायता दी जा रही है. मंत्रालय के अनुसार आज सुबह पोलैंड के जरिए एक फ्लाइट गई है. इसमें दवा और रिलीफ मैटेरियल शामिल हैं. एक और फ्लाइट बुधवार को रवाना किया जाएगा. विदेश सचिव ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों का फोन आया था. उन्होंने वर्तमान संकट पर बातचीत की. फ्रांस के राजदूत इमैनुअल लीनैन ने भारतीय छात्र के निधन पर शोक जताया और कहा कि फ्रांस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान करने, नागरिकों की सुरक्षा और बिना किसी रुकावट के मानवीय मदद पहुंचाने का आह्वान करने के लिए प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है.
यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने भी मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की और युद्ध प्रभावित यूक्रेन के खारकीव शहर में गोलाबारी में एक भारतीय छात्र की मौत पर शोक जताया. मिशेल ने कहा कि यूरोपीय देश पूरी तन्मयता से यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकालने में मदद कर रहे हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कानून की रक्षा के लिए पूरे विश्व को एकजुट होना चाहिए.