नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे. इसके साथ ही वह दो बार यह सम्मान पाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बन जाएंगे. उनसे पहले कुछ भारतीय प्रधानमंत्रियों ने अमेरिकी कांग्रेसियों को भाषण दिया है. वहीं, विश्व के नेताओं की बात की जाए तो मोदी ऐसे तीसरे नेता बन जाएंगे, जिन्होंने दो बार अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित किया है.
नेहरू ने 1949 में किया था संबोधित : देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 1949 में अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित किया था. राष्ट्रपति हैरी एस. ट्रूमैन की उपस्थिति में उन्होंने 15 मिनट स्पीच दी थी. संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के बीच समानताओं पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा था, 'मैं अमेरिका के दिमाग और दिल की खोज की यात्रा पर और हमारे अपने दिमाग और दिल को आपके सामने रखने के लिए यहां आया हूं. इस तरह से हम उस समझ और सहयोग को बढ़ावा दे सकते हैं, जिसका, मुझे यकीन है, दोनों देश ईमानदारी से इसकी इच्छा रखते हैं.'
नेहरू ने कहा था 'हम महसूस करते हैं कि स्व-सहायता किसी राष्ट्र के लिए सफलता की पहली शर्त है. हमारा प्राथमिक प्रयास होना चाहिए और हम अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए किसी से भी सहायता नहीं मांगेंगे. हालांकि हमारी आर्थिक क्षमता बहुत अच्छी है, लेकिन तैयार धन में इसके रूपांतरण के लिए बहुत अधिक यांत्रिक और तकनीकी सहायता की आवश्यकता होगी.'
राजीव गांधी :राजीव गांधी ने 13 जून 1985 को अमेरिकी कांग्रेस की संयुक्त बैठक को संबोधित किया था. राजीव गांधी ने कहा था 'मुझे ऐसे समय में भारत का प्रधानमंत्री चुना गया है जब हमारा देश विकास की नई लहर के लिए तैयार है. पिछले 30 वर्षों में हमारे नेताओं ने मजबूत नींव स्थापित की है, जिस पर अब हमें निर्माण करना है.'
राजीव गांधी ने कहा था कि 'मैं जवान हूं और मेरा एक सपना है. मैं एक ऐसे भारत का सपना देखता हूं जो - मजबूत, आत्मनिर्भर और मानव जाति की सेवा में दुनिया के देशों की अग्रणी पंक्ति में हो. मैं समर्पण, कड़ी मेहनत और हमारे लोगों के सामूहिक दृढ़ संकल्प के माध्यम से उस सपने को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध हूं. हमें जो भी सहयोग मिलेगा हम उसका स्वागत करेंगे.'
पी.वी नरसिम्हा राव : 18 मई 1994 को पी.वी. नरसिम्हा राव ने अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित किया था. उन्होंने भारत-अमेरिका संबंधों पर जोर दिया और आपसी विकास के विचार पर ध्यान केंद्रित किया. अपने भाषण में उन्होंने कहा, 'चूंकि भारत अगली शताब्दी में वैश्विक समृद्धि और शांति में योगदान देने के लिए तैयार है, हम अमेरिका और अमेरिकी लोगों के साथ अपनी साझेदारी जारी रखने के लिए तत्पर हैं.'
राव ने कहा था कि 'अमेरिका और भारत ने पूरे इतिहास में एक-दूसरे से बहुत कुछ सीखा है. दूरियां कोई मायने नहीं रखतीं. यदि हम आज की चुनौतियों का जवाब देने की उम्मीद करते हैं तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय को संयुक्त राष्ट्र को मजबूत करने और अधिक संसाधन प्रदान करने की आवश्यकता है.'
अटल बिहारी वाजपेयी :14 सितंबर 2000 को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से भारत के पहले प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अमेरिकी कांग्रेस में भाषण दिया था. उन्होंने कहा था 'यदि हम चाहते हैं... एक लोकतांत्रिक, समृद्ध, सहिष्णु, बहुलवादी, स्थिर एशिया... जहां हमारे महत्वपूर्ण हित सुरक्षित हों, तो हमारे लिए पुरानी धारणाओं की फिर से जांच करना आवश्यक है... आने वाले वर्षों में एक मजबूत, लोकतांत्रिक और आर्थिक रूप से समृद्ध भारत, एशिया के सभी प्रमुख सांस्कृतिक और आर्थिक क्षेत्रों के चौराहे पर खड़ा होगा, इस क्षेत्र में स्थिरता का एक अनिवार्य कारक होगा.