नई दिल्ली : विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने बुधवार को कहा कि दुनिया को बहुपक्षवाद की जरूरत है क्योंकि बहुपक्षवाद उस तरह से व्यवहार नहीं कर रहा है जैसा उसे करना चाहिए. उन्होंने कहा कि एक निर्वात है जो उभर कर आया है, जहां बहुपक्षवाद कम हो गया है, शक्तियां वह नहीं हैं जो वे हुआ करती थीं. द्विपक्षीय वितरण वह नहीं है जो यह हुआ करता था. इसके लिए ऐसे देशों की आवश्यकता है जो एक-दूसरे के साथ सहज हों, जो एक-दूसरे के साथ काम करने में योग्यता देखते हों और जो एक साथ काम करके दुनिया को एक बेहतर जगह बनाएंगे.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को फ्रांस एवं आस्ट्रेलिया के अपने समकक्ष के साथ डिजिटल वार्ता में कहा कि हिन्द प्रशांत रचना एक बृहद समसामयिक दुनिया को प्रदर्शित करती है और यह शीत युद्ध से उबरने की ओर इंगित करती है, उसे थोपती नहीं है.
जयशंकर ने कहा कि हिन्द प्रशांत एक ऐसे निर्बाध विश्व को प्रदर्शित करता है जो ऐतिहासिक रूप से भारत-अरब आर्थिक कारोबारी संबंधों और वियतनाम एवं चीन के पूर्वी तटीट आसियान देशों के सांस्कृतिक प्रभाव के रूप में मौजूद था.
रायसीना वार्ता में हिस्सा लेते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, मैं इसे ऐसे रखना चाहूंगा कि यह एक तरह से हिन्द प्रशांत इतिहास की ओर फिर से लौटना है. यह अधिक समसायिक दुनिया को प्रदर्शित करता है. यह वास्तव में शीतयुद्ध से उबरने जैसा है और उसे थोपता नहीं है.
यह संयोग ही है कि बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में रूसी राजदूत निकोलाई कुदाशेव ने पश्चिमी देशों की हिन्द प्रशांत रणनीति की आलोचना करते हुए इसे खतरनाक और शीत युद्ध की मानसिकता को उभारने का प्रयास बताया.
उल्लेखनीय है कि बुधवार को जयशंकर के साथ फ्रांस के विदेश मंत्री जे वाई एल ड्रियान और आस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मैरिस पेन ने हिस्सा लिया. इसमें हिन्द प्रशांत क्षेत्र में सहयोग और कोरोना वायरस के प्रतिकूल प्रभावों से निपटने को लेकर चर्चा हुई.