नई दिल्ली : भारत-चीन तनाव के बीच मुंबई स्थित नौसेना डॉकयार्ड में आईएनएस 'वेला'-प्रोजेक्ट 75 के तहत स्कॉर्पिन वर्ग की छह पनडुब्बियों की चौथी पनडुब्बी को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया. आत्मनिर्भर भारत की दिशा में किए जा रहे प्रयासों के दृष्टिकोण से गुरुवार का दिन न केवल नौसेना, बल्कि पूरे देश के लिए काफी उल्लेखनीय रहा. इस पनडुब्बी को मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने मेसर्स नेवल ग्रुप ऑफ फ्रांस की सहायता से बनाया है.
आईएनएस वेला की परियोजना में हैदराबाद-मुख्यालय वाला निजी स्टार्ट-अप 'स्काईरूट एयरोस्पेस' भी शामिल है. इस परियोजना के तहत 'भारत के पहले निजी क्रायोजेनिक इंजन का सफल परीक्षण किया गया. भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 75 और मेक इन इंडिया पहल के लिए एक और बड़ा मील का पत्थर साबित होगी.
इस मौके पर भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने कहा कि आईएनएस वेला में पनडुब्बी संचालन के पूरे स्पेक्ट्रम को अंजाम देने की क्षमता है. उन्होंने कहा कि INS वेला में पनडुब्बी संचालन के एक पूरे स्पेक्ट्रम को शुरू करने की क्षमता है. आज की गतिशील और जटिल सुरक्षा स्थिति को देखते हुए, दुश्मन को तबाह करने की इसकी क्षमता से भारतीय नौसेना की क्षमता भी बढ़ेगी.
एडमिरल सिंह ने कहा कि प्रोजेक्ट 75 नौसेना की क्षमता को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम रहा है, हम रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत परियोजना 75-I को एक साथ आगे बढ़ा रहे हैं. परियोजना 75-I का उद्देश्य राष्ट्र के अंदर पनडुब्बी निर्माण पारिस्थितिकी तंत्र के सभी पहलुओं को विकसित करना है और इसमें कई विशिष्ट प्रौद्योगिकियों का हस्तांतरण भी शामिल है. सिंह ने कहा कि प्रोजेक्ट 75 पनडुब्बी निर्माण की दिशा में पूर्ण आत्मनिर्भरता को प्राप्त करने की कल्पना को साकार करता है.
नागपुर में सोलर इंडस्ट्रीज इंडिया लिमिटेड परीक्षण सुविधा में देश की निजी अन्तरिक्ष कंपनी स्काईरूट एयरोस्पेस ने गुरुवार क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन के सफल परीक्षण किया. क्रायोजेनिक इंजन सुपर कुशल सिस्टम हैं, जो क्रायोजेनिक तापमान (माइनस 150 डिग्री सेल्सियस से कम) पर प्रणोदक का उपयोग करते हैं. है.
स्काईरूट के क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन को सुपरएलॉय के साथ 3डी प्रिंटिंग का उपयोग करके विकसित किया गया है, इस प्रक्रिया में निर्माण समय में 95 प्रतिशत से अधिक की कटौती की गई है.
ऐसी अटलकलें लगाई जा रही हैं कि केंद्र सरकार जल्द ही अंतरिक्ष गतिविधि विधेयक 2017 को मंजूरी दे सकती है. इसके अलावा केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2020 में अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधार लाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है और निजी कंपनियों की भागीदारी की अनुमति दी है.
जुलाई 2021 में केंद्रीय अंतरिक्ष राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा था कि सरकार अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों, सेवाओं और उपकरणों के स्वदेशी उत्पादन में अधिक निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की प्रक्रिया में है.