नई दिल्ली : रक्षा मंत्रालय ने भारतीय नौसेना के लिए करीब 43,000 करोड़ रुपये की लागत से छह पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण को मंजूरी दे दी है. चीन की तेजी से बढ़ती नौसैन्य क्षमताओं के मद्देनजर भारत की क्षमताएं बढ़ाने के उद्देश्य से यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है.
आयात पर निर्भरता घटाने के लिए ये पनडुब्बियां उस रणनीतिक साझेदारी के तहत बनाई जाएंगी, जो घरेलू रक्षा उपकरण निर्माताओं को विदेशों की रक्षा निर्माण क्षेत्र की अग्रणी कंपनियों के साथ साझेदारी में अत्याधुनिक सैन्य मंच बनाने की अनुमति देता है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कार्यालय के मुताबिक रक्षा मंत्रालय ने करीब 6800 करोड़ रुपये की लागत से विभिन्न सैन्य हथियारों और उपकरणों की खरीद संबंधी प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी. एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में डीएसी ने सशस्त्र बलों को दिए गए अधिकार के तहत तत्काल खरीद की समयसीमा 31 अगस्त, 2021 तक बढ़ा दी, ताकि वे अपनी आपातकालीन खरीद को पूरा कर सकें.
रक्षा खरीद परिषद ने लिया फैसला
रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) की बैठक में 'पी-75 इंडिया' नाम की इस परियोजना को अनुमति देने का निर्णय लिया गया. डीएसी खरीद संबंधी निर्णय लेने वाली रक्षा मंत्रालय की सर्वोच्च इकाई है. परियोजना में 43,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से अत्याधुनिक प्रणोदन प्रणाली से युक्त छह पारंपरिक पनडुब्बियों का देश में निर्माण किया जाएगा.
सबसे बड़ी 'मेक इन इंडिया' प्रोजेक्ट में से एक
यह परियोजना सबसे बड़ी मेक इन इंडिया परियोजनाओं में से एक होगी. इससे भारत में पनडुब्बी के निर्माण के लिए प्रोद्यौगिकी और औद्योगिक ढांचे को बढ़ावा मिलेगा. इसे रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत मंजूरी दी गई है.
आयात पर घटेगी निर्भरता
इस परियोजना से हमारी निर्भरता आयात पर घटेगी. हम देशी स्रोतों से आपूर्ति सुनिश्चत कर पाएंगे. यह आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम बढ़ाएगा.
देश में पनडुब्बियों के निर्माण को मिलेगी नई ताकत
इस परियोजना की मंजूरी मिलने के बाद भारत में पनडुब्बी निर्माण को नई ताकत मिलेगी. उसके डिजाइन भी भारत में ही तय किए जाएंगे. सरकार ने लक्ष्य निर्धारित किया है कि अगले 30 सालों में पनडुब्बी निर्माण कार्यक्रम में भारत आत्मनिर्भरता हासिल कर ले.
घरेलू रक्षा निर्माताओं को एडवांटेज
रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत घरेलू रक्षा निर्माताओं को अत्याधुनिक सैन्य उपकरण तैयार करने के संबंध में आयात पर निर्भरता घटाने के लिए अग्रणी विदेशी रक्षा कंपनियों से हाथ मिलाने की अनुमति होगी.