नई दिल्ली : भारतीय सशस्त्र बलों ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ लंबे समय से जारी सैन्य गतिरोध से उत्पन्न तथा अन्य राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए 2021 में एक मुखर दृष्टिकोण (Indian military calibrated assertive approach) अपनाया. इसी साल अगस्त में तालिबान ने अफगानिस्तान में अचानक और अप्रत्याशित तरीके से सत्ता पर नियंत्रण हासिल कर लिया. तालिबान की पाकिस्तान के साथ निकटता और अफगानिस्तान के विभिन्न आतंकवादी समूहों का अड्डा बनने की आशंका के चलते भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकारों के बीच चिंता पसर गई.
भारत के शीर्ष सैन्य अधिकारी सेना के तीन अंगों का महत्वाकांक्षी एकीकरण करने के लिए एक व्यापक कवायद की तैयारी कर ही रहे थे कि आठ दिसंबर को तमिलनाडु के कुन्नूर में देश के सबसे वरिष्ठ सैन्य अधिकारी प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत का एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में निधन हो गया.
इस दुर्घटना में जनरल रावत की पत्नी मधुलिका, उनके रक्षा सलाहकार ब्रिगेडियर एल.एस. लिद्दर, सीडीएस के स्टाफ ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह और पायलट ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह समेत 13 अन्य लोगों का भी निधन हो गया.
भारत के पहले सीडीएस के रूप में 63 वर्षीय जनरल रावत, भविष्य के खतरों का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए एक राष्ट्रीय सुरक्षा दृष्टिकोण तैयार कर रहे थे. वह सैन्य कमानों का पुनर्गठन करने सहित सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण की महत्वाकांक्षी योजना के कार्यान्वयन की कवायद में भी जुटे थे.
पूर्व थल सेनाध्यक्ष जनरल रावत की मृत्यु से वरिष्ठ सैन्य पदानुक्रम में एक खालीपन पैदा होता दिख रहा है क्योंकि सरकार ने अभी तक व्यापक सुधार पहलों को लागू करने के लिए किसी नए सीडीएस की नियुक्ति नहीं की है.
भारतीय सशस्त्र बलों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के आक्रामक सैन्य रुख की पृष्ठभूमि में एक मुखर राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांत को मजबूत बनाने के साथ ही अपनी लड़ाकू क्षमताओं को और मजबूत करने के लिए इस वर्ष बड़े पैमाने पर सैन्य साजो-सामान तथा हथियारों की भी खरीद की.
पूर्वी लद्दाख में 18 महीनों से अधिक समय तक भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध चला आ रहा है, हालांकि वे अगस्त में गोगरा क्षेत्र में और फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तर व दक्षिण तट से पीछे हटने की प्रक्रिया को पूरा करने में कामयाब रहे.
अक्टूबर में दोनों देशों के बीच कोर कमांडर स्तर की 13वें दौर की वार्ता बेनतीजा रही. इस दौरान भारत की तरफ से कहा गया कि चीनी पक्ष ने उसके द्वारा दिए गए 'रचनात्मक सुझाव' स्वीकार नहीं किए.
थलसेना प्रमुख जनरल एम.एम. नरवणे ने अक्टूबर में स्थिति से निपटने के लिए भारत के दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित करते हुए कहा कि यदि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) वहां (पूर्वी लद्दाख में) से नहीं हटी, तो भारतीय सेना भी डटी रहेगी.
फरवरी में, चीन ने आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया कि पिछले साल जून में गलवान घाटी में भारतीय सेना के साथ संघर्ष में पांच चीनी सैन्य अधिकारी और सैनिक मारे गए थे, हालांकि यह व्यापक रूप से माना जाता है कि मरने वालों की संख्या इससे कहीं अधिक थी.
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों पक्षों में से प्रत्येक के पास फिलहाल लगभग 50,000 से 60,000 सैनिक हैं.