दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस : कोरोना महामारी और दूसरे देशों में फंसे प्रवासियों का दर्द

संयुक्त राष्ट्र ने चार दिसंबर 2000 को 18 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस के रूप में घोषित किया था. यह दिन प्रवासी कामगारों और उनके परिवार के सदस्यों के अधिकार और सुरक्षा के लिए आयोजित किया जाता है. इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण प्रवासी श्रमिक दूसरे देशों में फंसे रह गए, जिस कारण अंतरराष्ट्रीय प्रवास की चुनौतियों और कठिनाइयां बढ़ती जा रही है. पढ़े विशेष रिपोर्ट...

International Migrants Day
International Migrants Day

By

Published : Dec 18, 2020, 6:03 AM IST

विश्व में आज अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस मनाया जा रहा है. चार दिसंबर 2000 को महासभा ने दुनिया में प्रवासियों की बढ़ती हुई संख्या को ध्यान में रखते हुए 18 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस घोषित किया था. यह संयुक्त राष्ट्र द्वारा अनुमानित 272 मिलियन प्रवासियों को मान्यता देने का एक दिन है, जो समाज का अभिन्न हिस्सा हैं.

दुनिया में प्रवास बढ़ता जा रहा है. दूरदर्शिता, आपातकाल और जटिलता के साथ अंतरराष्ट्रीय प्रवास की चुनौतियां और कठिनाइयां बढ़ती जा रही हैं. इस दिन इन व्यक्तियों को याद करने और सभी के अधिकारों और उनके सम्मान की आवश्यकता को दोहराया जाता है.

कोरोना महामारी का प्रवासियों पर प्रभाव

प्रवासी श्रमिक जो पैसे कमाने के लिए दूसरे देश गए हुए थे, वह इस महामारी के दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित हुए. कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच भी कम वेतन में काम करने वाले प्रवासी महत्वपूर्ण क्षेत्र में थे और वह उपयोगी भूमिका निभा रहे थे.

तीन नवंबर 2020 तक 20 देशों के कोविड 19 मामलों में सबसे अधिक प्रवासियों का कुल अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों का लगभग 28 प्रतिशत हिस्सा था और उन्होंने वैश्विक स्तर पर 2019 में सभी धनों का अनुमानित 37 प्रतिशत मूल देशों में भेजा था.

प्रवासियों से से जुड़े कुछ प्रमुख आंकड़े.

संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग और डब्ल्यूएचओ के जीएमडीएसी के विशलेषण के अनुसार 20 देशों की सूची में वह 12 देश, जिनमें सबसे कम कोविड-19 के मामले है वहां आप्रवासियों की कम से कम 4.5 प्रतिशत आबादी है. इनमें से आठ देशों में यह हिस्सा 10 प्रतिशत से अधिक है. अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों की वैश्विक हिस्सेदारी की तुलना में कुल आबादी का 3.5 प्रतिशत हिस्सा इन देशों में इनका प्रतिनिधित्व है.

सीमा प्रतिबंध बढ़ने से प्रवासियों की गतिशीलता और मानवीय संगठनों की भूमिका पर भी प्रभाव पड़ा. 11 मार्च 2020 के बीच जब डब्ल्यूएचओ ने कोविड-19 को एक महामारी घोषित किया. तब से 26 अक्टूबर 2020 तक दुनिया भर में लागू किए गए प्रतिबंधों की कुल संख्या बढ़कर 96,000 से अधिक हो गई है. इसी समय 167 देशों, क्षेत्रों ने इन प्रतिबंधों के लिए 681 अपवाद जारी किए.

प्रवासी श्रमिक और कोरोना महामारी
आईएलओ ने 2017 में 164 मिलियन लोगों को प्रवासी श्रमिक होने का अनुमान लगाया गया था. इसमें उत्तरी अमेरिका और उत्तरी, दक्षिणी और पश्चिमी यूरोप के सभी श्रमिकों में प्रवासी श्रमिकों का हिस्सा 20.6 प्रतिशत और 17.8 प्रतिशत था.

इसलिए, वे उन क्षेत्रों में पांच श्रमिकों में से एक का प्रतिनिधित्व करते हैं और वह आवागमन प्रतिबंधों और महामारी के कारण सबसे पहले प्रभावित होकर अपना रोजगार खो देते हैं. ऐसे में वह भीड़भाड़ वाले स्थान पर रहते है, जो कोविड-19 के प्रसार के लिए विशेष जोखिम पैदा करती है.

आईएलओ 2015 की रिपोर्ट में कहा गया कि 2013 में दुनिया भर में अनुमानित 11.5 मिलियन प्रवासी घरेलू कामगार थे, जिनमें से लगभग 8.5 मिलियन महिलाएं थीं. कोविड 19 के समय में उनके मालिक संक्रमित हो सकते है, जिससे यह बीमारी और फैल सकती है. नियोक्ता के बीमार होने से काम करने वाले कर्मचारी की आय कम हो जाती है क्योंकि काम से संबंधित नियम अक्सर नियोक्ता से बंधे होते हैं. सीमा बंद होने और आर्थिक बाधाओं के साथ उनका मूल देशों में वापस आना अक्सर संभव नहीं हो पाता. जिस कारण वह उसी जगह पर बिना काम और आय के फंसे रह जाते हैं.

धन का प्रवाह
जीएमडीएमसी की एक रिपोर्ट के अनुसार 2019 में जो पैसा वैश्विक स्तर पर भेजा गया था, उसका 37 प्रतिशत 2020 में कोरोना महामारी के दौरान वापस आ गया.

देश जिनमें कोरोना के ज्यादा मामले देखे गए.

विश्व स्तर पर 20 में से 7 देश जहां कोविड 19 के सबसे ज्यादा मामले है, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, रूसी संघ, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम, इटली और जर्मनी शामिल हैं. इन जगहों पर 2018 में सबसे अधिक मात्रा में धन भेजे गए थे. इन सात देशों से भेजा गया धन 2018 में प्राप्त सभी वैश्विक प्रेषणों का 23 प्रतिशत से अधिक था.

कोरोना संकट शुरू होने से पहले विश्व बैंक ने 2019 में अनुमान लगाया था कि 2020 के अंत तक 574 बिलियन अमेरिकी डालर निम्न और मध्यम आय वाले देशों में भेजे जाएंगे, लेकिन शटडाउन के कारण कई लोगों की नौकरी गई, जिसने निश्चित रूप से वित्तीय मामलों को प्रभावित किया.

राथा ने अपने एक शोध पत्र में अनुमान लगाया कि अप्रैल 2020 में निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लिए धन भेजना 2020 में 445 बिलियन अमरीकी डालर तक गिर जाएगा, जो 2019 की तुलना में 20 प्रतिशत होगा. 2020 अक्टूबर में राथा ने अपने फोरकास्ट में थोड़ा बदलाव किया और कहा कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में 508 बिलियन अमेरिकी डालर और 2021 में 470 बिलियन अमेरिकी डालर तक की गिरावट समायोजित की जाएगी.

विदेश में फंसे प्रवासी और वापस लौटे प्रवासी
कोरोना महामारी के प्रसार के कारण वैश्विक स्तर पर सरकारों द्वारा लगाए गए यात्रा प्रतिबंध और सीमा बंद होने के कारण कई प्रवासी, जिनमें दिहाड़ी मजदूर (सीजनल वर्कर) और अंतरराष्ट्रीय छात्र शामिल हैं. वह अपने मूल देशों में वापस जाने में असमर्थ थे. 13 जुलाई 2020 तक प्रवास के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठन (आईओएम) की रिटर्न टास्क फोर्स ने कम से कम 3 मिलियन फंसे प्रवासियों की पहचान की थी. इनमें से 1.2 मिलियन से अधिक प्रवासी मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका के आईओएम क्षेत्र में फंसे हुए थे.

विदेश से लौटे भारतीय प्रवासी.

नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने कहा कि दो नवंबर 2020 तक भारत के आधिकारिक प्रत्यावर्तन अभियान ने दुनिया भर से 2.1 मिलियन से अधिक फंसे भारतीयों की वापस लाने की सुविधा प्रदान की. एक मार्च 2020 से 24 अक्टूबर 2020 के बीच ईरान और पाकिस्तान से 6,00,000 से अधिक बिना किसी वैध डॉक्यूमेंट के अफगान वापस आ गए.

वंदे भारत मिशन : भारतीय प्रवासी विदेश से लौटे
कोरोना वायरस के प्रसार और इसके कारण लागू लॉकडाउन के कारण विदेशों में फंसे भारतीय नागरिकों को वापस लाने के प्रयास में भारत ने 'वंदे भारत मिशन' और 'समुंद्र सेतु' अभियान चलाया. कुवैत में 1990 से बाद से शायद यह सबसे बड़ा एयर लिफ्ट था. 7 मई से 13 मई तक इस मिशन का पहला चरण शुरू हुआ था.

प्रवासी की मौत
आईओएम के मिसिंग माइग्रेंट्स प्रोजेक्ट के आंकड़ों के अनुसार 2020 की पहली छमाही में प्रवास के दौरान 2,500 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. इसमें वह हजारों मौतें शामिल नहीं हैं जो प्रवासी कामगारों के बीच कोविड 19 मामलों से जुड़ी हुई हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details