हैदराबाद :सरकार ने वर्ष 1875 में 'भारत मौसम विज्ञान विभाग' (IMD) की स्थापना की, जिसमें देश के सभी मौसम संबंधी कार्यों को एक केंद्रीय प्राधिकरण के अधीन लाया गया. 2002 में बड़े पैमाने पर सूखे की भविष्यवाणी करने में एफएसएलआरएफ (First Stage Long- Range Forecast ) की विफलता के बाद आईएमडी ने 2003 में एसएसएलआरएफ (Second Stage Long-Range Forecast ) पेश किया. 1995 के बाद से 24 वर्षों में एफएसएलआरएफ ने 13 बार अधिक बारिश का अनुमान जताया जबकि 11 बार के लिए कम बारिश की भविष्यवाणी की.
क्या जानकारी देता है आईएमडी ?
मौसम विभाग दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के बारे में महत्वपूर्ण पूर्वानुमान जारी करता है. इसका फायदा देश में आजीविका के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से खेती पर निर्भर करीब 700 मिलियन लोगों को होता है.
मौसम विभाग पांच तरह के पूर्वानुमान जारी करता है. Nowcast, 24 घंटे से कम समय के लिए है. लघु-श्रेणी का पूर्वानुमान तीन दिनों तक का होता है जबकि मध्यम अवधि के लिए पूर्वानुमान तीन से 10 दिनों का होता है. इसी तरह 10 से 30 दिनों के भी पूर्वानुमान जारी किए जाते हैं. जैसे मॉनसून का पूर्वानुमान, कृषि, परिवहन और जल प्रबंधन जैसे विभिन्न उद्यमों के लिए जारी किया जाता है. पूर्वानुमान मौसम मॉडल की मदद से तैयार किए जाते हैं.
आईएमडी कैसे करता है मौसम की भविष्यवाणी ?
आईएमडी दक्षिण-पश्चिम मॉनसून का पूर्वानुमान जारी करता है. जून से सितंबर के दौरान बारिश कैसी होगी, इसके बारे में अनुमान लगाता है. ये पूर्वानुमान दो चरणों में जारी किया जाता है. इसके लिए आईएमडी प्रायोगिक जलवायु पूर्वानुमान केंद्र (ईसीपीसी), स्क्रिप्स इंस्टीट्यूट ऑफ ओशनोग्राफी में विकसित मौसमी पूर्वानुमान मॉडल (एसएफएम) का उपयोग करता है. वर्तमान मौसम और वातावरण की स्थिति के बारे में यथासंभव ज्यादा से ज्यादा जानकारी एकत्र की जाती है. तापमान, दबाव, आर्द्रता और हवा की गति के बारे में दुनिया भर से आंकड़े जमा किए जाते हैं जिन्हें सुपर कंप्यूटरों में फीड किया जाता है, जिसकी मदद से पूर्वानुमान लगाना संभव होता है.
गलत भी साबित होते हैं पूर्वानुमान
कई बार पूर्वानुमान गलत भी साबित होते हैं. पिछले 16 वर्षों के डेटा से पता चलता है कि आईएमडी का पहला मॉनसून पूर्वानुमान वास्तविक बारिश से काफी अलग था. 1995 और 2006 के बीच 7.94%, 2007 और 2018 के बीच 5.95% तक और पिछले 11 साल में केवल पांच या छह बार ही अनुमान सही साबित हुए हैं.
जानें कितने सही साबित हुए पूर्वानुमान
- 1988 के बाद से पिछले 23 वर्षों में आईएमडी केवल नौ बार मॉनसून की सफलतापूर्वक भविष्यवाणी कर सका है. यानी सफलता का प्रतिशत केवल 40 है.
- 2007 में आईएमडी ने लंबी अवधि के औसत (एलपीए) के 93% की 'सामान्य से कम' बारिश का अनुमान लगाया था, लेकिन सामान्य से अधिक 106 फीसदी बारिश हुई थी. 2009 में आईएमडी ने फिर से एलपीए के 93% की सामान्य वर्षा की भविष्यवाणी की, लेकिन वास्तविक वर्षा केवल 78% हुई थी.
- 2014 में उत्तराखंड ने अप्रत्याशित रूप से भारी बारिश और बादल फटने की घटना हुई थी, जिस कारण मौसम विभाग को अपनी पुरानी भविष्यवाणी प्रणाली के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा था.
- 2016 में आईएमडी ने ज्यादा बारिश की भविष्यवाणी की थी लेकिन औसत बारिश ही हुई.
- 2018 में आईएमडी ने 97% बारिश का पूर्वानुमान जारी किया था, लेकिन एलपीए का प्रतिशत 91% रहा. 2018 में पहली बार भारत में एलपीए के 80% से कम बारिश हुई.
- 11 फरवरी 2018 को ओलावृष्टि ने मध्य महाराष्ट्र और विदर्भ के कई गांवों को भारी नुकसान पहुंचाया. मराठवाड़ा और विदर्भ में 300,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र की करीब 313 करोड़ रुपये की खड़ी फसल नष्ट हो गई थी. जबकि 9 फरवरी को आईएमडी ने 12 फरवरी के लिए मौसम पूर्वानुमान में जिक्र किया था कि मराठवाड़ा में 'अलग-अलग स्थानों पर ओलावृष्टि के साथ गरज के साथ बौछारें पड़ने की संभावना है.' वह 10 और 11 फरवरी के लिए ऐसी कोई भविष्यवाणी करने में विफल रहा.
- 4 मार्च 2018 को 7 और 8 मार्च के लिए उत्तरी मध्य महाराष्ट्र और विदर्भ के अलग-अलग स्थानों पर गरज और ओलावृष्टि की भविष्यवाणी की गई थी. लेकिन दोपहर 1 बजे जारी बुलेटिन ने महाराष्ट्र में ओलावृष्टि और गरज के साथ सभी चेतावनियों को हटा दिया गया.
- मौसम विभाग के मॉनसून पूर्वानुमान गलत साबित होने का सिलसिला 2021 में भी जारी है. मौसम विभाग ने 11 जून 2021 को घोषणा की कि उत्तर पश्चिम भारत के अन्य हिस्सों के साथ दिल्ली में मानसून का आगमन कम से कम 12 दिन आगे बढ़ गया है. विभाग ने कहा कि 27-28 जून की सामान्य आगमन तिथि के बजाय, 15 जून तक मानसून की बारिश होगी.
- मौसम विभाग (IMD) ने 17 जून को भविष्यवाणी की थी कि 'मध्यम बारिश और गरज के साथ' मॉनसून सप्ताहांत में दिल्ली में दस्तक देगा. मॉनसून अपनी सामान्य शुरुआत की तारीख से 10 दिन से अधिक समय पहले राजधानी में पहुंच जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ. बारिश नहीं होने के कारण दिल्ली वालों को पसीना बहाना पड़ा.