नई दिल्ली : भारत-चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव कम होता दिख रहा है. एशिया की दोनों महाशक्तियों के बीच सहमति बनने के बाद पैंगोंग त्सो झील के दक्षिणी और उत्तरी किनारे पर सेना का पूर्ण विघटन हो गया है. इस मामले में भारतीय मीडिया की रिपोर्टिंग का चीन पर दबाव पड़ा, जिसके कारण चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) पीछे हटने को मजबूर हुई.
भारत-चीन के बीच वार्ता के विवरण से परिचित सूत्रों ने ईटीवी भारत को बताया, 'दोनों देशों के बीच हुई 10 दौर की वार्ताओं के दौरान, चीनी सेना ने हर बार भारतीय मीडिया में रिपोर्टिंग को एक एजेंडा बिंदु के रूप में शामिल किया. हर वार्ता में, चीनी सेना भारतीय पक्ष से भारतीय मीडिया को नियंत्रित करने के लिए कहती. लेकिन जब पीएलए इसे मुद्दा बनाता, तो हम ऐसा करने में असमर्थता व्यक्त करते, क्योंकि भारत में प्रेस और मीडिया स्वतंत्र है.'
एलएसी पर तनाव करने और सैनिकों के विघटन के लिए दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख के चुशूल (भारतीय क्षेत्र) में और मोल्दो गैरीसन (चीनी क्षेत्र) में 10 दौर की वार्ता हुई. यह वार्ता 6 जून, 22 जून, 30 जून, 14 जुलाई, 2 अगस्त, 21 सितंबर, 12 अक्टूबर, 6 नवंबर, 24 जनवरी और 20 फरवरी को हुई.
भारतीय मीडिया शुरू से ही इस मामले पर व्यापक रिपोर्टिंग कर रहा था, जो प्रशंसनीय और संभावित से लेकर 'अविश्वसनीय' तक फैली कथाओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रस्तुत करता है.
चीनी सेना की यह अक्षमता है कि भारतीय मीडिया कैसे संचालित होता है, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर आधिकारिक सार्वजनिक बयान दिए जाते हैं.