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Indian Independence Day 15 अगस्त 1947 को नहीं, ग्वालियर में 10 दिन बाद फहराया गया था तिरंगा, जानें क्या था सिंधिया और सरकार का विवाद

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Published : Aug 12, 2022, 10:47 PM IST

15 अगस्त 1947 को हमारा देश अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ था, लेकिन देश के कई इलाके उस वक्त भी ऐसे थे जो पूरी तरह आजाद नहीं हुए थे. इनमें से एक था ग्वालियर, जहां पूरा देश 15 अगस्त 1947 को अपनी आजादी का जश्न मना रहा था तो वहीं मध्य प्रदेश के ग्वालियर में शहर में न तो तिरंगा फहराया गया और नहीं लोग खुशियां मना रहे थे. यह सबकुछ एक विवाद के चलते था. जाने क्या था यह विवाद

first flag hoisted in gwalior after 10 days
ग्वालियर में 10 दिन बाद फहराया गया था तिरंगा

ग्वालियर।आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में इस समय पूरे देश भर में अमृत महोत्सव और आने वाले 15 अगस्त तक देश में हर घर तिरंगा अभियान चलाया जा रहा है. 15 अगस्त 1947 को हमारा देश अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ था, लेकिन देश के कई इलाके उस वक्त भी ऐसे थे जो पूरी तरह आजाद नहीं हुए थे. इनमें से एक था ग्वालियर, जहां पूरा देश 15 अगस्त 1947 को अपनी आजादी का जश्न मना रहा था तो वहीं मध्य प्रदेश के ग्वालियर में शहर में न तो तिरंगा फहराया गया और नहीं लोग खुशियां मना रहे थे. यहां देश को आजादी मिलने के 10 दिन बाद तिरंगा फहराया गया. जाने क्या थी इसके पीछे की वजह.

ग्वालियर में 10 दिन बाद फहराया गया था तिरंगा

15 अगस्त 1947 को ग्वालियर में नहीं मना था आजादी का जश्न:पूरे देश भर में 15 अगस्त 1947 को आजादी का जश्न मनाया जा रहा था लेकिन मध्य प्रदेश की ग्वालियर एक ऐसी जगह थी जहां पर जश्न का कोई माहौल नजर नहीं आया,लेकिन यहां आजादी के 10 दिन यानी 25 अगस्त 1947 को जश्न मनाया गया. इसका सबसे बड़ा कारण यह बताया जाता है कि ग्वालियर स्टेट के तत्कालीन महाराजा जीवाजी राव सिंधिया विलय होने तक अपनी रियासत का झंडा फहराना चाहते थे.

ग्वालियर में 10 दिन बाद फहराया गया था तिरंगा

-जीवाजी राव सिंधिया का कहना था कि जब तक आजाद देश में उनकी रियासत विलय नहीं हो जाता तब तक वह ग्वालियर में अपनी रियासत का झंडा ही फहराएंगे.
- सिंधिया राजा ने आदेश दिया कि विलय होने उनकी रियासत में जो भी राष्ट्रप्रमुख आएंगे उनके स्वागत में हमारी रियासत का सांप और सूरज चिन्ह वाला झंड़ा ही फहराया जाएगा.
-राज परिवार के इस आदेश के चलते ग्वालियर में देश को आजादी मिलने के 10 दिन तक सन्नाटा छाया रहा.

तत्कालीन मुख्यमंत्री ने किया रियासत का झंडा फहराने से इनकार: देश को आजादी मिलने के बाद बाद सरकार मेंतत्कालीन मुखमंत्री बने लीलाधर जोशी ने सिंधिया रियासत का झंडा फहराने से साफ इनकार कर दिया. उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि मैं सांप और सूरज का झंडा नहीं फहराउंगा, मैं तो बरसों से तिरंगा ही फहराता आ रहा हूं और उसे ही फिर फहराउंगा. मुख्यमंत्री और राजपरिवार के बीच इस घोषणा के बाद गंभीर गतिरोध पैदा हो गया. जीवाजी राव सिधिया का कहना था कि अभी रियासतों के विलय की औपचारिकता पूरी ना होने के कारण जब तक देश का संविधान सामने नहीं आ जाता और रियासतों का स्वरूप स्पष्ट नहीं होता तब तक ग्वालियर रियासत में सिंधिया राजवंश के स्थापित प्रशासन को ही माना जाएगा.

ग्वालियर में 10 दिन बाद फहराया गया था तिरंगा

सरदार पटेल ने संभाली कमान, एक साथ फहराए गए दो झंडे:देश को आजादी मिलने के बावजूद ग्वालियर रियासत में तिरंगा न फहराना और आजादी का जश्न न मनाए जाने की बात कांग्रेस के नेताओं को मंजूर नहीं थी. झंडे का यह विवाद दिल्ली पहुंच गया. दिल्ली में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को यह मामला सुलझाने की जिम्मेदारी सौंपी. जिसके बाद ग्वालियर में 25 अगस्त 1947 को देश को आजादी मिलने का जश्न मनाया गया, लेकिन खास बात यह रही कि इस दौरान भी दो झंडे एक साथ फहराए गए.25 अगस्त 1947 को एक तरफ सिंधिया स्टेट ने अपने कर्मचारियों के साथ रियासत का झंडा फहराया तो वहीं दूसरी ओर किला गेट पर हुई आमसभा में तत्कालीन मुख्यमंत्री लीलाधर जोशी ने जनता ने बीच मौजूद होकर तिरंगा फहराकर देश को आजादी मिलने का जश्न मनाया था.

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