नई दिल्ली : कल्पना कीजिए कि लड़ाकू विमानों की आपूर्ति के लिए पहली बार किसी विदेशी अनुबंध के लिए बोली लगाई जा रही है और कोशिश व परीक्षण प्रतियोगिता के बाद भारत इसे जीत जाता है. यह ठीक वैसा होगा जैसा भारत चाहता है.
22 जून को जारी मलेशियाई सरकार के प्रस्ताव के अनुरोध (आरएफपी) के लिए भारत आत्मविश्वास के साथ जवाब दे रहा है. इसके अनुसार भारत कम लागत वाले 18 घरेलू लड़ाकू-तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) की आपूर्ति करेगा. इसके बाद फिर से 18 और विमानों की आपूर्ति करने का अनुबंध मिलने की संभावना है.
जबकि चौथी पीढ़ी के घरेलू तेजस एमके1ए पर्याप्त रूप से फिट है. इसकी बोली जीतना देश की स्वदेशी क्षमताओं के आत्मविश्वास और आत्मसम्मान के लिए चमत्कार होगा. जो कि 'आत्मनिर्भर' प्रयास के तहत वर्तमान सरकार का एक विशेष फोकस क्षेत्र है.
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के प्रवक्ता गोपाल सुत्तार ने ईटीवी भारत को बताया कि गोपनीयता के मुद्दों के कारण सटीक विवरण का खुलासा नहीं किया जा सकता. लेकिन हम निश्चित रूप से अनुबंध के लिए मैदान में हैं और इसे जीतने के लिए पर्याप्त रूप से आश्वस्त हैं. राज्य के स्वामित्व वाली एचएएल ही तेजस का उत्पादन करती है.
भारतीय वायु सेना तेजस की पहली और सबसे बड़ी ग्राहक है. जब फरवरी में भारत के रक्षा मंत्रालय ने 83 तेजस लड़ाकू विमानों की आपूर्ति के लिए एचएएल को 48000 करोड़ रुपये का औपचारिक अनुबंध जारी किया था. दिलचस्प बात यह है कि 2019 में मलेशिया के लैंगकॉवी इंटरनेशनल मैरीटाइम एंड एयरोस्पेस इवेंट में तेजस ने पहली बार विदेशी आसमान में उड़ान भरी थी.