नई दिल्ली : ब्रेक्सिट के बाद ब्रिटेन और यूरोपीय संघ में गुरुवार को महीनों चली वार्ता के बाद ट्रेड डील पर सहमति बन गई. इस ऐतिहासिक व्यापार समझौते का भारत के लिए क्या अर्थ है और ब्रेक्सिट समझौते से भारत को क्या लाभ होगा? इस पर अर्थशास्त्रियों का मानना है कि ब्रेक्सिट से पहले की पूरी अवधि के दौरान पिछले 18 महीनों में, ब्रिटेन भारत के करीब आया है, जहां तक आर्थिक संबंध का सवाल है ब्रिटेन यूरोपीय संघ से अलग हो गया है, लेकिन पूरी तरह से नहीं.
इसका एक स्वाभाविक परिणाम यह भी होगा कि यूके कुछ अन्य देशों के करीब आएगा, क्योंकि प्रत्येक देश को वैश्विक व्यापार करने की आवश्यकता है, क्योंकि ये ग्लोबलाइजेशन का दौर है.
ब्रेक्सिट का मतलब यह नहीं है कि ब्रिटेन या यूरोपीय संघ अन्य देशों के बिना जीवित रहेगा या आगे बढ़ेगा. उन्हें अन्य देशों की जरूरत है और भारत एक ऐसा देश है, जहां हम बहुत सहयोग और विकास की उम्मीद करते हैं, जहां तक आपसी आर्थिक संबंध का सवाल है, हमने पिछले 18 महीनों में इसका एक नमूना देखा है.
अर्थशास्त्री आकाश जिंदल ने शनिवार को ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि जहां तक भारतीयों का वहां रहने और नागरिकता पाने का सवाल है, उनके लिए नियमों में ढील दी जाएगी. इसलिए यूके में अधिक भारतीय प्रवासी होंगे और दोनों देशों के रिश्ते और भी मजबूत होंगे.
यूके दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और भारत पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. हम पहले से ही जापान और चीन की स्थिति से अवगत हैं.
जापान जब से अपनी मुद्रा की कीमत बढ़ाने के लिए मजबूर हुआ, तब से वो विकास करने वाला देश नहीं रहा, बल्कि पिछले तीन वर्षों में उसकी जीडीपी थम गई है. इसलिए भारत यूके के साथ मजबूत आर्थिक रिश्ते कायम करने का प्रबल दावेदार है.
उन्होंने समझौते से भारत के लाभों के बारे में बताते हुए कहा कि व्यापार समझौता सकारात्मक संकेत और निहितार्थ के साथ आगे बढ़ रहा है.
दूसरी ओर, चीन की अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में नहीं है, इसलिए भारत में बहुत सारे एफडीआई, विदेशी संस्थागत निवेशक, म्यूचुअल फंड निवेश होंगे.
दूसरी बात यह है कि भारत इस समझौते से कैसे लाभान्वित होगा, तो इसके बाद बहुत सारे सामान का मेन्यूफैक्चर होंगे, जो भारत से यूके को निर्यात किए जाएंगे, क्योंकि भारत विनिर्माण क्षेत्र में आगे बड़ रहा है.
अर्थशास्त्री जिंदल का कहना है कि भारत में फॉरेन पोर्टफोलियो निवेशक (FPI), म्यूचुअल फंड और पेंशन मनी के माध्यम से भारत में विदेशी मुद्रा का बहुत अधिक प्रवाह होगा. इसलिए, दोनों तरह से भारत को लाभ होने जा रहा है.
दोनों पक्षों ने यूके के ट्रांसीशन अवधि समय पूरा होने से पहले 31 दिसंबर की तय समय सीमा तक अपने भविष्य के संबंधों की शर्तों को परिभाषित करने के लिए एक समझौते पर सहमति बनाने का फैसला किया.
यूरोपीय संघ और यूके दोनों के लिए एक सफल ब्रेक्सिट डील पर बहुत निर्भर कर रहा है. उम्मीद जताई जा रही है कि जीरो-टैरिफ और जीरो-कोटा डील करके यूके और यूरोपीय संघ $ 1 ट्रिलियन सालाना व्यापार की रक्षा करने में सक्षम होंगे.