नई दिल्ली : भारतीय उच्चायुक्त विक्रम दोरईस्वामी को स्कॉटलैंड के एक गुरुद्वारे में प्रवेश करने से रोके जाने के बाद इस मुद्दे को लेकर भारत ने कड़ा रूख अपनाया. भारत ने ब्रिटेन के विदेश कार्यालय और पुलिस के सामने इस मुद्दे को उठाया है. सूत्रों के अनुसार, दोराईस्वामी को शुक्रवार को कुछ कट्टरपंथियों ने ग्लासगो के एक गुरुद्वारे में प्रवेश करने से रोक दिया गया. भारतीय उच्चायुक्त ने बहस में पड़ने के बजाय वहां से जाने का फैसला किया.
'सिख यूथ यूके' के इंस्टाग्राम चैनल पर पोस्ट किए गए वीडियो में एक खालिस्तानी समर्थक को अल्बर्ट ड्राइव पर स्थित ग्लासगो गुरुद्वारे में दोराईस्वामी को कथित तौर पर प्रवेश करने से रोकते हुए देखा जा सकता है. खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पर भारत और कनाडा के बीच राजनयिक विवाद के बीच यह घटना सामने आई है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने शनिवार को इस घटना की निंदा की है.
सिखों की छवि पर आंच : शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने इस घटना की निन्दा की है. कमेटी के महासचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने सोशल मीडिया पर पोस्ट में लिखा, 'दुनिया के किसी भी कोने में जहां भी गुरुद्वारा साहिब हो, वहां हर कोई जा सकता है और किसी पर कोई रोक नहीं है. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि इंग्लैंड में लोग जग्गी जोहल की अवैध गिरफ्तारी से नाराज हैं, इस वजह से यह घटना घटी. उन्होंने कहा कि इस प्रकार के मतभेदों को दूर करना जरूरी है, क्योंकि विदेशों से सिखों के खिलाफ जो भी खबरें आ रही हैं, उससे सिखों की छवि खराब हो रही है.
एसजीपीसी की प्रतिक्रिया :इंग्लैंड में भारतीय उच्चायुक्त से बदतमीजी पर एसजीपीसी ने प्रतिक्रिया दी है. एसजीपीसी के महासचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने कहा, "इंग्लैंड के लोग जग्गी जोहल की अवैध गिरफ्तारी से परेशान हैं. हम भारतीय दूतावास से कहना चाहते हैं कि किसी भी तरह का तनाव पैदा न करें...अगर किसी गुरुद्वारे में किसी राजदूत के साथ ऐसा कुछ हुआ तो इससे सिखों की प्रतिष्ठा खराब हुई है. इसका असर पड़ता है."
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