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ICAR के योगदान से बढ़ी देश में चार गुना तक उपज

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) का आज स्थापना दिवस है. इसकी स्थापना 16 जुलाई 1929 को की गई थी. जानिए आईसीएआर क्या है और कृषि विकास में क्या है योगदान.

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Published : Jul 16, 2021, 6:50 AM IST

हैदराबाद :भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग (डीएआरई), कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त संस्थान है. इसकी स्थापना 16 जुलाई 1929 को सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत एक पंजीकृत सोसायटी के रूप में की गई थी.

आईसीएआर (ICAR) का मुख्यालय नई दिल्ली में है. परिषद पूरे देश में बागवानी, मत्स्य पालन और पशु विज्ञान सहित कृषि में अनुसंधान और शिक्षा के समन्वय, मार्गदर्शन और प्रबंधन के लिए शीर्ष संस्था है. देश भर में फैले 101 आईसीएआर संस्थानों और 71 कृषि विश्वविद्यालयों के साथ यह दुनिया की सबसे बड़ी राष्ट्रीय कृषि प्रणालियों (largest national agricultural systems) में से एक है.

डीम्ड विश्वविद्यालयों में ये शामिल हैं:

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, बरेली (उत्तर प्रदेश)

राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल (हरियाणा)

केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान, मुंबई (महाराष्ट्र)

आईसीएआर की उपलब्धियां

आईसीएआर ने हरित क्रांति को बढ़ावा देने और इस क्रम में शोध एवं तकनीक विकास के माध्यम से भारत में कृषि विकास में अहम भूमिका निभाई है. राष्ट्र की खाद्य और पोषण सुरक्षा पर इसका खासा प्रभाव है. इसने कृषि में उच्च शिक्षा में उत्कृष्टता को प्रोत्साहन देने में प्रमुख भूमिका निभाई है.

आईसीएआर ने पर्यावरण के अनुकूल प्रबंधन और नवीन तकनीकों के उपयोग के माध्यम से कृषि को टिकाऊ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इसकी वजह से अनाज की पैदावार चार गुना तक बढ़ी है. बागवानी फसलों की उपज छह गुना होने के साथ ही मछली पालन क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है. मछलियों की पैदावार नौ गुना और अंडे 1951 के मुकाबले आज करीब इक्कीस गुना हैं.

अनुसंधान के क्षेत्र में निवेश कम

पिछले 20 वर्षों में भारत अपने सकल घरेलू उत्पाद का 0.7 से 0.8 प्रतिशत अनुसंधान और विकास (Research and development ) पर खर्च कर रहा है. यह विकासशील देशों और एशिया की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं द्वारा खर्च किए गए सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत से काफी कम है.

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