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Multi utility legged equipment MULE: सेना को मिला AI बेस्ड बेजुबान सिपाही, दुश्मन को नेस्तनाबूद करने की क्षमता

जम्मू-कश्मीर के जम्मू में आयोजित एक प्रदर्शनी में सेना ने एआई बेस्ड उपकरण को प्रदर्शित किया गया. यह उपकरण सेना के लिए कागरगर साबित हो सकता है.

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 13, 2023, 9:19 AM IST

Indian army developed Multi utility legged equipment MULE at  North Tech Symposium 2023 in Jammu Kashmir
सेना को मिला एआई बेस्ड बेजुबान सिपाही, दुश्मन को नेस्तनाबूद करने की क्षमता

जम्मू:भारतीय सेना समय के साथ अपनी क्षमताओं में भी उन्नति कर रही है. सेना अपनी रक्षा प्रणाली को अपग्रेड कर रही है. जम्मू कश्मीर के जम्मू में आयोजित एक प्रदर्शनी में सेना की ओर से एक आधुनिक उपकरण को प्रदर्शित किया गया. इस मल्टिपर्पस उपकरण का नाम म्यूल है. इसे मल्टिपर्पस इसलिए कहा गया क्योंकि इसका इस्तेमाल कई उद्देश्यों को पूरा करने में किया जा सकता है. सेना ने इसका निर्माण निजी क्षेत्र के वैज्ञानिकों के साथ किया है. म्यूल एक ऐसा उपकरण है एआई आधारित है. हालांकि इसे रिमोट से भी चलाया जा सकता है. सेना खुद बंकरों में सुरक्षित रहकर इसकी मदद से दुश्मनों के छक्के छुड़ा सकती है.

क्या है म्यूल की विशेषता: इसे बनाने वाली कंपनी के इंजीनियर आर्यन सिंह का कहना है कि इसमें आधुनिक हथियार भी लगाया जा सकता है. यह 12 किलो वजन आसानी से वहन कर सकता है. इसमें हथियार के साथ साथ थर्मल कैमरे भी लगाए जा सकते हैं. सिंह ने कहा कि इसका इस्तेमाल विपरीत परिस्थितियों में भी किया जा सकता है. यह किसी भी क्षेत्र में काम कर सकता है. इसका मुख्य उद्देश्य आस पास की गतिविधियों पर नजर रखना या उसकी जानकारी जुटाना है. इसके बाद उनपर हमला करने की भी क्षमता है. इसमें 45 डिग्री तक के पहाड़ पर चढ़ने की क्षमता है. 18 सेंटीमीटर तक की सीढियां आसानी से चढ़ सकता है. इस उपकरण को रिमोट कंट्रोल से नियंत्रित किया जाता है.

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लेफ्टिनेंट कर्नल मिहिर ने कहा, 'इसे 3 हिस्सों में बांटा गया है. इसके एक हिस्से में हथियार जैसे एलएमजी, राइफल और कार्बाइन लगाए जा सकते हैं. दूसरे हिस्से में एआई (AI) -आधारित लैपटॉप लगाया जा सकता है. वहीं, तीसरे हिस्से में कंट्रोल बॉक्स. इसे दो मोड में रखा जा सकता है. इंडिपेंडेट और मैनुअल. स्वायत्त मोड में यह ड्रोन का स्वयं पता लगाता है. इसके बाद आब्जेक्ट को ट्रैक करता है. इससे ऑपरेटर टारगेट को अपने हिसाब से भेद सकता है. इसे एमसीईएमई द्वारा विकसित किया गया है. इसमें एक फायरिंग प्लेटफॉर्म भी एकीकृत किया जा सकता है. एलटीई और वाई-फाई बैंड दोनों का उपयोग किया गया है. छोटी दूरी के लिए, वाई-फाई इस्तेमाल किया जा सकता है. एलटीई का इस्तेमाल 10 किमी तक की दूरी के लिए किया जा सकता है.

(एएनआई)

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