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काबुल से भारतीय दूतावास के कर्मचारियों को लेकर रवाना हुआ एयरफोर्स का विमान - भारतीय वायुसेना

तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है . वहां के हालात काफी खराब बताए जा रहे हैं. वहीं, काबुल एयरपोर्ट को सुबह ही अमेरिकी एजेंसियों ने दोबारा खुलवाया है. भारत अपने लोगों की सुरक्षा को लेकर सजग है. इसके मद्देनजर आज भारतीय वायुसेना का C-17 ने सुबह 7.30 बजे काबुल से उड़ान भरी. इस विमान में करीब 120 भारतीय अधिकारियों को वापस लाया जा रहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि भारतीय राजदूत रूदेंद्र टंडन भी अब भारत वापस लाए जा रहे हैं.

वायुसेना का विमान
वायुसेना का विमान

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Published : Aug 17, 2021, 9:15 AM IST

Updated : Aug 17, 2021, 10:45 AM IST

काबुल/नई दिल्ली :अफगानिस्तान के काबुल में बिगड़ते हालात को देखते हुए भारतीय दूतावास के 120 कर्मचारियों को लेकर भारतीय वायुसेना का विमान वहां से निकल चुका है. भारतीय वायुसेना का C-17 विमान ने सुबह 7.30 बजे काबुल से उड़ान भरी. भारतीय राजदूत रूदेंद्र टंडन भी अब भारत वापस लाए जा रहे हैं. वहीं, एनएसए (NSA) अजीत डोभाल ने अफगानिस्तान के हालात पर अमेरिकी समकक्ष जेक सुलिवन से बात की है.

देश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया कि यह फैसला किया गया है कि काबुल में भारत के राजदूत और उनके भारतीय कर्मियों को मौजूदा हालात के मद्देनजर तत्काल देश वापस लाया जाएगा.

बागची ने ट्वीट किया, 'मौजूदा हालात के मद्देनजर, यह फैसला किया गया है कि काबुल में हमारे राजदूत और उनके भारतीय कर्मियों को तत्काल भारत लाया जाएगा. भारतीय वायुसेना का सी-17 विमान सोमवार को कुछ कर्मियों को लेकर भारत लौटा था और मंगलवार को दूसरा विमान भारत आ रहा है.

काबुल एयरपोर्ट को अमेरिकी एजेंसियों ने दोबारा खुलवाया है. बता दें कि अफगानिस्तान पर तालिबान ने पूरी तरह से कब्जा कर लिया है. अफगान के हालात दिन व दिन बिगड़ रहे हैं. सोमवार को काबुल एयरपोर्ट के हालात काफी खराब हो गए थे, जिसकी वजह से वहां पर विमानों की आवाजाही रोक दी गई थी.

बता दें कि, दो दशक तक चले युद्ध के बाद अमेरिका के सैनिकों की पूर्ण वापसी से दो सप्ताह पहले तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है.

विद्रोहियों ने पूरे देश में कोहराम मचा दिया और कुछ ही दिनों में सभी बड़े शहरों पर कब्जा कर लिया क्योंकि अमेरिका और इसके सहयोगियों द्वारा प्रशिक्षित अफगान सुरक्षाबलों ने घुटने टेक दिए.

तालिबान का 1990 के दशक के अंत में देश पर कब्जा था और अब एक बार फिर उसका कब्जा हो गया है.

अमेरिका में 11 सितंबर 2001 को हुए भीषण आतंकी हमलों के बाद वाशिंगटन ने ओसामा बिन लादेन और उसे शरण देने वाले तालिबान को सबक सिखाने के लिए धावा बोला तथा विद्रोहियों को सत्ता से अपदस्थ कर दिया. बाद में, अमेरिका ने पाकिस्तान के ऐबटाबाद में ओसामा बिन लादेन को भी मार गिराया.

अमेरिकी सैनिकों की अब वापसी शुरू होने के बाद तालिबान ने देश में फिर से अपना प्रभाव बढ़ाना शुरू कर दिया और कुछ ही दिनों में पूरे देश पर कब्जा कर पश्चिम समर्थित अफगान सरकार को घुटने टेकने को मजबूर कर दिया.

पढ़ें :काबुल हवाईअड्डा खाेला गया, अमेरिका ने उतारे सैनिक

विगत में तालिबान की बर्बरता देख चुके अफगानिस्तान के लोग खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. काबुल हवाईअड्डे पर देश छोड़ने के लिए उमड़ रही भारी भीड़ से यह बिलकुल स्पष्ट हो जाता है कि लोग किस हद तक तालिबान से भयभीत हैं.

लोगों को पूर्व में 1996 से 2001 तक तालिबान द्वारा की गई बर्बरता की बुरी यादें डरा रही हैं. सबसे अधिक चिंतित महिलाएं हैं जिन्हें तालिबान ने विगत में घरों में कैद रहने को मजबूर कर दिया था.

Last Updated : Aug 17, 2021, 10:45 AM IST

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