अहमदाबाद:प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने बुधवार को कहा कि उनका लक्ष्य भारत को वैश्विक विकास का इंजन बनाना है. साथ ही उन्होंने दावा किया कि देश जल्द ही दुनिया की आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरेगा. 'वाइब्रेंट गुजरात शिखर सम्मेलन' के 20 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में मोदी ने कहा कि उन्होंने 20 साल पहले 'वाइब्रेंट गुजरात' के छोटे-छोटे बीज बोए थे और आज यह एक बड़े पेड़ के रूप में विकसित हो गया है.
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि वाइब्रेंट गुजरात ऐसे समय में सफल हुआ जब तत्कालीन केंद्र सरकार (पूर्ववर्ती संप्रग सरकार) राज्य की औद्योगिक प्रगति के प्रति उदासीन थी. उन्होंने कहा, 'हमने राज्य को भारत का विकास इंजन बनाने के लिए वाइब्रेंट गुजरात का आयोजन किया. देश ने इस कल्पना को साकार होते देखा. वर्ष 2014 में जब मुझे देश की बागडोर सौंपी गई तो मेरा लक्ष्य भारत को वैश्विक वृद्धि का इंजन बनाना था.'
इस कार्यक्रम में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राज्य इकाई के अध्यक्ष सी आर पाटिल भी मौजूद थे. उन्होंने कहा कि देश ऐसे मोड़ पर खड़ा है कि वह जल्द ही वैश्विक आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरेगा. उन्होंने कहा कि वैश्विक एजेंसियां और विशेषज्ञ भी इस बात के संकेत दे रहे हैं. प्रधानमंत्री ने कहा, 'यह मोदी की गारंटी है कि अब से कुछ वर्षों में, आपकी आंखों के सामने, भारत दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगा.'
उन्होंने देश के उद्योग जगत से अपील की कि वे उन क्षेत्रों के बारे में सोचें जहां भारत नयी संभावनाएं तलाश सकता है या खुद को मजबूत कर सकता है और कैसे वाइब्रेंट गुजरात इस मिशन को गति दे सकता है. मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे एक साधारण शुरुआत से, वाइब्रेंट गुजरात कार्यक्रम एक संस्थान में बदल गया है और बाद में कई राज्यों ने इसका अनुसरण करते हुए निवेश शिखर सम्मेलन आयोजित किए.
मोदी ने वाइब्रेंट गुजरात की सफलता के विभिन्न चरणों का उल्लेख करते हुए कहा, 'स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि हर काम तीन चरणों से गुजरता है- पहले उसका मजाक उड़ाया जाता है, बाद में उसे विरोध का सामना करना पड़ता है और अंत में उसे स्वीकार किया जाता है, खासकर तब जब विचार समय से पहले का होता है.' आज दुनिया वाइब्रेंट गुजरात की सफलता देख सकती है.
उन्होंने कहा, 'लेकिन जब यह (पहली बार) आयोजित किया गया था, तो तत्कालीन केंद्र सरकार ने गुजरात के विकास के प्रति उदासीनता दिखाई. मैंने हमेशा गुजरात के विकास के माध्यम से भारत के विकास के बारे में बात की है, लेकिन केंद्र में सत्ता में रहने वालों ने गुजरात के विकास को राजनीति से भी जोड़ा है.' उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के तत्कालीन मंत्री शिखर सम्मेलन में शामिल होने से इनकार कर देते थे.
मोदी ने कहा, 'उन्होंने मुझे व्यक्तिगत रूप से बताया कि वे शामिल होंगे, लेकिन बाद में इनकार कर दिया. शायद ऊपर से दबाव के बाद. समर्थन तो दूर, वे बाधाएं पैदा करने में व्यस्त थे. उन्होंने दावा किया कि यहां तक कि विदेशी निवेशकों को भी गुजरात नहीं जाने की धमकी दी गई. प्रधानमंत्री ने कहा, 'इस तरह की धमकियों के बावजूद विदेशी निवेशकों ने गुजरात का दौरा किया, जबकि यहां कोई विशेष प्रोत्साहन नहीं था. वे यहां इसलिए आए क्योंकि वे सुशासन, निष्पक्ष कार्यप्रणाली, नीति आधारित शासन, समान विकास प्रणाली और दैनिक जीवन में पारदर्शी सरकार का अनुभव कर सकते थे.'
वर्ष 2003 के पहले वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन को याद करते हुए मोदी ने कहा कि यह राज्य के लोगों की वजह से सफल हुआ जिन पर उन्हें काफी भरोसा था. उन्होंने कहा कि वह पहली बार जब मुख्यमंत्री बने थे तो उन्होंने 2001 के भूकंप, उससे पहले सूखे के वर्ष, सहकारी बैंकों के तबाह होने, 2002 की गोधरा त्रासदी और उसके बाद राज्यव्यापी हिंसा जैसे संकटों का सामना किया.