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Green Hydrogen होगा भविष्य का ईंधन, भारत बनेगा सबसे बड़ा बाजार- आरके सिंह

ग्रीन हाइड्रोजन पर 3 दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान केंद्रीय ऊर्जा और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा कि भारत हरित हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अत्याधुनिक तकनीक विकसित करने में उद्योग के साथ साझेदारी करेगा.

RK Singh
आरके सिंह

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Published : Jul 6, 2023, 6:32 AM IST

नई दिल्ली:केंद्रीय ऊर्जा और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने नई दिल्ली में ग्रीन हाइड्रोजन पर 3 दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान कहा कि सरकार हरित हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अत्याधुनिक तकनीक विकसित करने में उद्योग के साथ साझेदारी करेगी. उन्होंने कहा कि हरित हाइड्रोजन भारत में भविष्य का ईंधन बनने जा रहा है. अब एक वैश्विक सहमति है कि हमें नवीकरणीय ऊर्जा में परिवर्तन करने की आवश्यकता है.

आरके सिंह ने कहा कि भारत दुनिया में सबसे कम कार्बन उत्सर्जकों में से एक है. हमारा प्रति व्यक्ति उत्सर्जन वैश्विक औसत का लगभग एक तिहाई है. यह हमारी संस्कृति से उपजा है. उन्होंने कहा कि यह संस्कृति प्रधान मंत्री द्वारा समर्थित मिशन LiFE में परिलक्षित होती है. सिंह ने उद्योग जगत के प्रमुखों से कहा कि सरकार ईंधन सेल, हाइड्रोजन भंडारण और हरित हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र के लिए आवश्यक अन्य प्रौद्योगिकियों के लिए अत्याधुनिक तकनीक विकसित करने में उद्योग के साथ साझेदारी करेगी.

उन्होंने कहा कि आरएंडडी रोडमैप में सरकार, उद्योग और आईआईटी के बीच क्रॉस-कटिंग साझेदारी होगी, ताकि पेटेंट का स्वामित्व भी हम सभी के पास हो. उन्होंने कहा कि हमारे साथ साझेदारी करें, यह दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है और हम भारत में विकसित समाधानों को प्राथमिकता देते हैं. सिंह ने कहा कि देश ने अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान लक्ष्य को पूरा कर लिया है. साल 2030 के लक्ष्य से 9 साल पहले, 2021 में गैर-जीवाश्म बिजली लक्ष्य का 40 प्रतिशत हासिल कर लिया है.

आरके सिंह ने का कि कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिे हमारे पास कुछ विश्व-अग्रणी कार्यक्रम हैं, जैसे कि एलईडी कार्यक्रम, जिसके परिणामस्वरूप कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में प्रति वर्ष 103 मिलियन टन की कमी आई है. हमारी परफॉर्म अचीव ट्रेड योजना के परिणामस्वरूप प्रति वर्ष लगभग 106 मिलियन टन उत्सर्जन में कमी आई है. मंत्री ने बताया कि आज भारत की 42 प्रतिशत बिजली उत्पादन क्षमता गैर-जीवाश्म ईंधन पर आधारित है और हम 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन से 50% क्षमता के लक्ष्य को हासिल कर लेंगे.

सिंह ने कहा कि भारत हरित हाइड्रोजन अपनाने में भी अग्रणी बनकर उभरने लगा है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत 35 लाख टन हरित हाइड्रोजन विनिर्माण क्षमता स्थापित करने की परियोजनाएं पहले ही शुरू की जा चुकी हैं. हम ऐसा करने में सक्षम हैं क्योंकि हमने नवीकरणीय ऊर्जा के लिए एक विशाल मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण किया है. अब हमारे पास ऐसे उद्योग हैं जो सौर और पवन ऊर्जा पारिस्थितिकी तंत्र में विश्व में अग्रणी हैं. हमारे पास लगभग 25,000 मेगावाट सौर विनिर्माण क्षमता है और अन्य 40 गीगावॉट-50 गीगावॉट निर्माणाधीन है. हम चीन के बाहर सौर सेल और मॉड्यूल के सबसे बड़े निर्माता के रूप में उभरने जा रहे हैं.

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मंत्री ने कहा कि भारत में हरित हाइड्रोजन की लागत दुनिया में सबसे कम होगी क्योंकि भारत में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने की लागत दुनिया में सबसे कम है. एक उद्योग रिपोर्ट को याद करते हुए जिसमें भारत को नवीकरणीय ऊर्जा निवेश के लिए दुनिया में सबसे आकर्षक गंतव्य बताया गया था. मंत्री ने कहा कि हर प्रमुख फंड भारत में निवेश किया जाता है. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है, जिसका मतलब ऊर्जा मांग में वृद्धि भी है. इसलिए, हम सबसे बड़ा उभरता हुआ बाजार हैं और यदि आप ऊर्जा के व्यवसाय में हैं, तो यह आपके लिए उपयुक्त स्थान है.

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