नई दिल्ली: पूरा देश नए साल के जश्न में डूबा है. प्रार्थनाओं और उत्सवों के बीच नए साल का स्वागत करने के लिए विभिन्न धर्मों के लोग बड़ी संख्या में अपने धार्मिक स्थलों पर एकत्र हुए. दिल्ली के झंडेवालान मंदिर में भक्तों ने इस अवसर पर प्रार्थना की क्योंकि मंदिर में वर्ष की पहली आरती हुई.
इसी तरह पंजाब के अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर में भी श्रद्धालु आस्था और प्रार्थना के साथ नए साल का स्वागत करते दिखे. शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल अपनी पत्नी सांसद हरसिमरत कौर बादल के साथ स्वर्ण मंदिर पहुंचे और नए साल की शुरुआत पर अपने रीति रिवाज से प्रार्थना की.
सुखबीर बादल ने कहा, 'हम यहां दरबार साहिब में प्रार्थना करने आए हैं कि नया साल सभी के लिए खुशियों का साल बने. देश और पंजाब का विकास हो.' साल के आखिरी दिन बड़ी संख्या में भक्तों ने
पथानामथिट्टा में सबरीमाला श्री धर्म संस्था मंदिर में दर्शन किए. महाराष्ट्र के शिरडी में स्थित शिरडी साईं बाबा मंदिर में भी साल के आखिरी दिन पूजा-अर्चना के लिए भक्तों की भीड़ देखी गई. इस बीच, देश भर के शहरों ने भव्य जश्न और खुशी के साथ नए साल का स्वागत किया.
गोवा आतिशबाजी के शानदार प्रदर्शन से जगमगा उठा और लोग 2024 का स्वागत करने के लिए मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया पर एकत्र हुए. दिल्ली में झंडेवालान देवी मंदिर में नए साल की आरती की गई और कनॉट प्लेस में भारी भीड़ उमड़ी. इसी तरह, चेन्नई में कामराजार सलाई में भारी भीड़ देखी गई और शिमला में मॉल रोड आगामी वर्ष का स्वागत करने वाले लोगों से भर गया.
भारत बड़े उत्साह और खुशी के साथ 2024 का स्वागत किया. पिछला वर्ष भारत के लिए राष्ट्रीय और वैश्विक दोनों मोर्चों पर महत्वपूर्ण साबित हुआ. जी-20 शिखर सम्मेलन राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित किया गया, जबकि चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरा. जैसे ही यह उल्लेखनीय वर्ष समाप्त हुआ, 2024 देश के लिए आशा की किरणों से भरा है.
अयोध्या के बहुप्रतीक्षित राम मंदिर के उद्घाटन से लेकर आगामी लोकसभा चुनाव तक, नया साल भारत के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक है. देशभर के शहरों में भव्य जश्न और हर्षोल्लास के साथ नए साल का स्वागत किया गया. विशेष रूप से किरिबाती, 33 एटोल वाला एक द्वीप राष्ट्र, 2023 को विदाई देने और 2024 का स्वागत करने वाला पहला स्थान था क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा इसके सबसे पूर्वी द्वीपों के चारों ओर घूमती है.
जम्मू-कश्मीर में सैनिकों और स्थानीय लोगों ने मिलजुलकर मनाया नए साल का जश्न
नियंत्रण रेखा पर मौजूद देश के सैनिकों ने इससे कुछ समय पहले नए साल का जश्न मनाया क्योंकि उन्हें पाकिस्तान के साथ लगने वाली नियंत्रण रेखा की निगरानी के लिए अपनी रात्रिकालीन ड्यूटी पर जाना था. जवानों ने अपनी ड्यूटी पर लौटने से पहले स्थानीय लोगों के साथ गर्म चाय पी, भोजन किया और नृत्य कर नव वर्ष का जश्न मनाया तथा एक दूसरे को शुभकामनाएं दीं.
सैनिकों का नए साल का जश्न जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर के चुरुंडा गांव में रविवार की शाम लगभग चार बजे शुरू हुआ. इस दौरान सेना और ग्रामीणों ने एक-दूसरे को आश्वस्त किया कि वे सुख-दुख में एक साथ हैं. स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता लाल हसन कोहली ने बताया कि 'जब कभी भी नागरिकों को कोई भी समस्या होती है तो सेना सबसे पहले अपनी प्रतिक्रिया देती है और आवश्यकता पड़ने पर नागरिक भी सैनिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होते हैं.'
नए साल पर माता वैष्णो के भवन में लगी भक्तों की भीड़
31 दिसंबर को धार्मिक नगरी कटरा में नए साल के आगमन पर मां वैष्णो देवी के भक्तों की संख्या में जबरदस्त उछाल आया और 50 हजार से ज्यादा भक्तों ने देवी मां के दरबार में शीश नवाया. नए साल की पूर्व संध्या पर श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने के कारण कटरा में पंजीकरण काउंटर शाम 7:15 बजे बंद कर दिए गए. सोमवार को सुबह चार बजे से रजिस्ट्रेशन काउंटर खोल दिये गये.
रविवार शाम 4 बजे तक करीब 37 हजार श्रद्धालु पंजीकरण कराकर धाम के लिए रवाना हो चुके थे. साल के आखिरी दिन श्राइन बोर्ड ने हर श्रद्धालु को 31 दिसंबर का स्टीकर लगा आरएफआईडी कार्ड जारी किया. कटरा में रजिस्ट्रेशन काउंटरों पर पूरे दिन लंबी कतारें लगी रहीं. माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के सीईओ अंशुल गर्ग ने कहा कि केवल उन्हीं लोगों को दर्शन के लिए जाने की अनुमति दी गई, जिनके पास 31 दिसंबर के स्टिकर वाला कार्ड था.