नई दिल्ली: बीते 11 अप्रैल को चौथे भारत-अमेरिका के बीच मंत्रिस्तरीय 2+2 वार्ता (India US in 2 Plus 2 talks) में हुए समझौते का निष्कर्ष यह है कि दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश, यूक्रेन पर रूस की सैन्य कार्रवाई के बाद एक-दूसरे से असहमत हैं. साथ ही यह भी सामने आया कि रूसी कार्रवाई के बाद, मुखर चीन का मुकाबला करने के लिए दोनों देशों के बीच मजबूत साझेदारी होनी चाहिए. दोनों इस पर दृढ़ता से सहमत भी हैं.
कोई शब्द नहीं:यूक्रेन में रूसी कार्रवाई पर भारत की 'रणनीतिक रूप से स्वायत्त स्थिति' का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सावधानीपूर्वक तैयार किए गए 4312 शब्दों के संयुक्त बयान में एक बार भी रूस का नाम नहीं लिया गया है. यह इसलिए भी अजीब है कि वार्ता के शीर्ष एजेंडे में रूस-यूक्रेन संघर्ष शामिल नहीं होता है. हालांकि बयान में यूक्रेन में बिगड़ते मानवीय संकट, शत्रुता की तत्काल समाप्ति और यूक्रेन में नागरिक मौतों की निंदा की गई है. संयुक्त बयान की आधारशिला सबसे पहले पीएम नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच हुई वर्चुअल मीटिंग में रखी गई. जिसके बाद अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी जे ब्लिंकन और रक्षा सचिव लॉयड जे ऑस्टिन व भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर के बीच वार्ता हुई.
तेल खरीद पर भारत का रूख: हालांकि मीटिंग में दो महत्वपूर्ण बातें और भी सामने आईं. जिसमें रूस से तेल आयात रोकने से भारत का इनकार करना और भारत में मानवाधिकारों पर अमेरिका की आलोचना शामिल है. विदेश मंत्री जयशंकर ने सोमवार को संयुक्त ब्रीफिंग के दौरान एक प्रश्न का उत्तर देते हुए जो कहा था, वह इस संदर्भ का बेहतरीन उदाहरण है. उन्होंने कहा कि यदि आप रूस से हमारी ऊर्जा खरीद देख रहे हैं, तो मेरा सुझाव है कि आपका ध्यान यूरोप पर केंद्रित भी होना चाहिए. हम जो कुछ मात्रा में ऊर्जा खरीदते हैं, वह हमारी ऊर्जा सुरक्षा के लिए आवश्यक है. वहीं आंकड़ों को देखें तो हमारी महीने भर की खरीदारी यूरोप के एक दिन खरीदारी से भी कम है.
मानवाधिकारों पर अमेरिकी चिंता:इस मुद्दे पर व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने भारतीय रुख का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि इस समय रूस से भारतीय तेल आयात एक से दो प्रतिशत है. वे (भारत) संयुक्त राज्य अमेरिका से 10 प्रतिशत आयात करते हैं. यह किसी भी प्रतिबंध या उस तरह की किसी भी चीज का उल्लंघन नहीं है. संयुक्त राज्य अमेरिका से तेल आयात पहले से ही महत्वपूर्ण है. जो कि रूस से होने वाले आयात से बहुत बड़ा है. वहीं भारत में मानवाधिकारों की स्थिति पर अमेरिका की आलोचना पर भी चर्चा की गई जिस पर दोनों मंत्रियों राजनाथ सिंह और जयशंकर ने इनकार किया. ब्लिंकन ने बातचीत के बाद कहा था कि हम भारत में हालिया घटनाक्रमों की निगरानी कर रहे हैं. जिनमें सरकार, पुलिस और जेल अधिकारियों द्वारा मानवाधिकारों के हनन की सूचनाएं हैं. भारत में धार्मिक अधिकारों की स्वतंत्रता को लक्षित करने के अलावा अमेरिका भारत के नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) की भी आलोचना करता रहा है.