नई दिल्ली: भारत ने शुक्रवार को रूसी और साथ ही यूक्रेन के पक्षों से कहा कि सुझाए गए मार्ग पर बसों तक पहुंचने के लिए छात्रों सहित भारतीयों की सुरक्षित निकासी के लिए स्थानीय संघर्ष विराम जरूरी है. यह बयान उस समय आया है जब रूस ने खारकीव, सूमी से भारतीयों को निकालने के लिए 130 बसों की व्यवस्था की है. इस संबंध में भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (external affairs ministry spokesperson Arindam Bagchi) ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ये बसें छात्रों से 50-60 किलोमीटर की दूरी पर हैं. इस वजह से उन्हें बस तक पहुंचने और इसे लेना काफी दूर है.
उन्होंने कहा कि युद्ध के कारण हमें वहां पहुंचने के लिए सुरक्षित रास्ता नहीं दिख रहा है. उन्होंने कहा कि मैं संबंधित पक्षों से स्थानीय युद्ध विराम करने के लिए कहूंगा जिससे सुझाए गए मार्ग पर सुरक्षित रूप से बसों तक पहुंचा जा सके. बागची ने कहा, हम दोनों पक्षों के संपर्क में हैं लेकिन इसमें सबसे कठिन छात्रों को संघर्ष क्षेत्रों के माध्यम से छात्रों को बसों तक ले जाना है.
वहीं रूसी राष्ट्रीय रक्षा नियंत्रण केंद्र के प्रमुख कर्नल जनरल मिखाइल मिज़िंटसेव (colonel general mikhail mizintsev) ने गुरुवार को घोषणा की थी कि 130 रूसी बसें भारतीय छात्रों और अन्य विदेशियों को यूक्रेन के खार्किव और सूमी से रूस के बेलगोरोड क्षेत्र में निकालने के लिए तैयार हैं. स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, मिज़िंटसेव ने कहा, कुल 130 आरामदायक बसें सुबह 6 बजे से बेलगोरोड क्षेत्र में नेखोटेयेवका और सुज़ा चौकियों से खारकीव और सूमी के लिए प्रस्थान करने के लिए तैयार हैं. इस बीच, एक बार फिर विदेश मंत्रालय ने रूस के इस दावे का खंडन किया कि खारकीव में एक ट्रेन स्टेशन में बड़ी संख्या में भारतीय छात्र बंधक बने हुए हैं. विदेश मंत्रालय ने कहा, हम दोहरा रहे हैं कि हमें किसी भारतीय को बंधक बनाए जाने की जानकारी नहीं है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बागची ने कहा, 'उन्हें सुरक्षा कारणों से कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है, खासकर खार्किव में लेकिन कोई बंधक स्थिति में नहीं है.'
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