नई दिल्ली: रूस में भारत के राजदूत पवन कपूर (Indian Ambassador to Russia Pavan Kapoor) ने शुक्रवार को कहा कि भारत विश्व स्तर पर बौद्ध धर्म के सिद्धांतों को कायम रखता है और बढ़ावा देता है. भारतीय राजदूत ने बुरातिया में अंतरराष्ट्रीय बौद्ध मंच को संबोधित करते हुए कहा, 'बौद्ध धर्म, करुणा, ज्ञान, शांति और सद्भाव की अपनी गहन शिक्षाओं के साथ, सदियों से भारतीय समाज की आधारशिला रहा है. भारत, वह भूमि है जहां बुद्ध के ज्ञान की रोशनी सबसे पहले चमकी, भारत विश्व स्तर पर इन सिद्धांतों को कायम रखना और बढ़ावा देना जारी रखता है. रूस में बौद्ध धर्म चार प्रमुख मान्यता प्राप्त धर्मों में से एक है.'
कपूर ने मंगोलिया और रूस के एक बौद्ध मठ के वरिष्ठ लामा पंडितो खंबो लामा की उपस्थिति में अपना संबोधन दिया. कपूर ने कहा कि भारत और रूस के बीच आध्यात्मिक संबंध कई सहस्राब्दियों पहले से हैं.
उन्होंने कहा कि 'हमारा साझा आध्यात्मिक इतिहास बौद्ध धर्म के धागों से बुना गया है, जो भौगोलिक सीमाओं को पार कर हमारे सांस्कृतिक संबंधों का अभिन्न अंग बन गया है. जैसा कि हम इस सम्मेलन में विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं, बौद्ध धर्म के इंडो-हिमालयी रूप और रूस में अपनाए जाने वाले बौद्ध धर्म के बीच प्राचीन संबंधों का पता लगाना आवश्यक है.'
उन्होंने कहा कि 'हमारी आध्यात्मिक जड़ों के अंतरसंबंध का पता भारत से तिब्बत और उससे आगे तक बौद्ध धर्म के प्रसार से लगाया जा सकता है.' भारतीय राजदूत ने कहा कि देश की सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में भारत में बौद्ध धर्म की भावना को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण पहल की है.
उन्होंने कहा कि इनमें से एक 'बौद्ध पर्यटन सर्किट' की स्थापना थी, जो भारत में बुद्ध के जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण बौद्ध विरासत तीर्थ स्थलों को जोड़ता है. उन्होंने कहा कि सिद्धार्थ गौतम की जन्मस्थली नेपाल के लुम्बिनी में भी एक अनूठी और ऐतिहासिक परियोजना आ रही है. पिछले साल 16 मई को, बुद्ध जयंती वेसाक दिवस के दौरान, भारत के प्रधानमंत्री ने नेपाल के प्रधानमंत्री के साथ लुंबिनी मठ क्षेत्र में एक विश्व स्तरीय 'भारत अंतरराष्ट्रीयबौद्ध संस्कृति और विरासत केंद्र' की आधारशिला रखी.'
कपूर ने कहा कि बौद्ध धर्म के इंडो-हिमालयी रूप और रूस में प्रचलित बौद्ध धर्म के बीच का बंधन सीमाओं को पार करने के लिए आध्यात्मिकता की स्थायी शक्ति का प्रमाण है.